Sharad Purnima 2020 : रायबरेली में शरद पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने किया गंगा स्नान, मंदिरों में दर्शन-पूजन
शरद पूर्णिमा के अवसर पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने डलमऊ स्थित गंगा नदी में स्नान किया। देवी-देवताओं के मंदिरों में श्रद्धालुओं ने पूजन अर्चन कर अपने तीर्थ पुरोहितों को यथाशक्ति दान किया। अश्विन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा या जागृति पूर्णिमा कहा जाता है।
रायबरेली, जेएनएन। शरद पूर्णिमा के अवसर पर शनिवार को सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने डलमऊ स्थित गंगा नदी में स्नान किया। राजघाट वीआईपी घाट, रानी शिवाला घाट, पक्का घाट, संकट मोचन घाट, पथवारी देवी घाट, दीन शाह गौरा घाट, महावीरन घाट, बड़ा मत घाट सहित सभी 16 घाटों पर भीड़ रही।
गंगा स्नान के बाद तट पर स्थित देवी-देवताओं के मंदिरों में श्रद्धालुओं ने पूजन अर्चन कर अपने तीर्थ पुरोहितों को यथाशक्ति दान किया। स्नान के दौरान तीर्थ पुरोहित श्रद्धालुओं को कोरोना महामारी को देखते हुए शारीरिक दूरी बनाए रखने व मास्क लगाने के लिए जागरूक करते रहे। अश्विन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा या जागृति पूर्णिमा कहा जाता है। हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का अपना एक अलग ही महत्व है। पौराणिक मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी व भगवान विष्णु पृथ्वी पर विचरण करते हैं, धार्मिक मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन ही सागर मंथन से मां लक्ष्मी उत्पन्न हुई थी।
पूर्णिमा की रात होती है अमृत वर्षा
डलमऊ बड़ा मठ के महामंडलेश्वर स्वामी देवेंद्रानंद गिरि ने शरद पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है, पौराणिक मन्यता के अनुसार इस पूर्णिमा के दिन अमृत वर्षा होती। इस लिए शरद पूर्णिमा के दिन खीर बना कर खुले में आसमान के नीचे रखना चाहिए। इस खीर के खाने से शरीर निरोगी होता है। शरद पूर्णिमा को जागृति पूर्णिमा भी कहा जाता है इस रात जागरण का विशेष महत्व होता है। स्नान,ध्यान और दान का इस दिन विशेष महत्व है।