भू-माफिया दिलीप सिंह बाफिला समेत सात अपराधी जिला बदर, छह माह तक लखनऊ की सीमा से रहेंगे बाहर
शहर में त्योहारों पर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस कमिश्नर लखनऊ डीके ठाकुर ने यह कार्रवाई की है। दिलीप सिंह बाफिला के खिलाफ गोमतीनगर चिहनट गोमतीनगर विस्तार में करीब 10 अपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। जबिक कुल डेढ़ दर्जन से अधिक अपराधिक मुकदमें हैं।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। भू-माफिया दिलीप सिंह बाफिला समेत सात अपराधियों को लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट ने सोमवार को जिला बदर कर दिया। इन सभी अपराधियों को छह माह के लिए लखनऊ कमिश्नरेट की सीमा में प्रवेश प्रतिबंधित किया गया है। अगर इस अवधि में शहर में मिले तो इन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाएगा। शहर में त्योहारों पर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस कमिश्नर लखनऊ डीके ठाकुर ने यह कार्रवाई की है। दिलीप सिंह बाफिला के खिलाफ गोमतीनगर, चिहनट, गोमतीनगर विस्तार में करीब 10 अपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। जबिक कुल डेढ़ दर्जन से अधिक अपराधिक मुकदमें हैं। बाफिला गोमतीनगर में जमीन पर कब्जा करने, फर्जी दस्तावेज तैयार कर जमीन हड़पने समेत के मुकदमे हैं। बाफिला के खिलाफ मार्च 2021 में भू-माफिया की कार्रवाई हुई थी। उसे जिला स्तरीय भूमाफिया घोषित किया गया था।
इन पर हुई जिला बदर की कार्रवाई : दिलीप सिंह बाफिला निवासी शक्तिनगर इंदिरानगर, विकासनगर सबौली का नंदी वर्मा, हैदर कैनाल नाला पिंक सिटी पारा का शराफत, सर्वोदयनगर में रहने वाले सिराज, उदयगंज ओमकार बिल्डिंग पुराना बर्फखाना का अनमोल, कल्याणपुर गुडंबा का मयंक यादव, मोहनलालगंज सिसेंडी का रंजीत कुमार गौतम है।
क्या है जिलाबदर की कार्रवाई : एसीपी हजरतगंज राघवेंद्र मिश्र के मुताबिक ऐसे लोग जो अपराधिक गुंडा (आदतन अपराधी) की श्रेणी में आते हो। उनके खिलाफ कई थानों में मारपीट, बलवा, दुष्कर्म, सशस्त्र बलवा समेत अन्य मुकदमें जिनसे शांति व्यवस्था को खतरा हो और वह जेल से बाहर हो। उनसे माहौल बिगडऩे की आशंका होगा। ऐसे लोगों के खिलाफ जिला बदर की कार्रवाई होती है। उन्हें शहर की सीमा से छह माह के लिए बाहर कर दिया जाता है।
ऐसे होती है कार्रवाई : जिन अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर चार-पांच मुकदमें दर्ज होते हैं। उन पर थाने स्तर पर निगरानी होती है। उनका चाल-चलन देखा जाता है। इसके बाद सूची तैयार की जाती है। थाने से पहले सूची जिलाधिकारी को जाती थी। जिलाधिकारी इसमें कार्रवाई करते थे। अब जब से कमिश्नरेट व्यवस्था है यह सूची पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर के पास जाती है। फिर अभियुक्त को नोटिस भेजी जाती है। उनका वकील आता है। कमिश्नर कोर्ट में सुनवाई होती है। इसके बाद जिलाबदर की कार्रवाई की जाती है।