उत्तर प्रदेश में एससी-एसटी वर्ग के उद्यमियों के लिए बनेगी अलग नीति, गठित की गई कमेटी

एमएसएमई विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ.नवनीत सहगल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में दलित समाज के लोगों को नौकरी मांगने वाला नहीं बल्कि रोजगार देने वाला बनाने के लिए एक्सक्लूसिव पॉलिसी लाई जाएगी। उन्होंने कमेटी गठित कर अन्य प्रदेशों की नीतियों का अध्ययन करने के निर्देश दिए हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Tue, 22 Sep 2020 12:39 AM (IST) Updated:Tue, 22 Sep 2020 09:50 AM (IST)
उत्तर प्रदेश में एससी-एसटी वर्ग के उद्यमियों के लिए बनेगी अलग नीति, गठित की गई कमेटी
यूपी सरकार एससी-एसटी वर्ग के उद्यमियों के लिए अलग से नीति बनाने जा रही है। (सांकेतिक तस्वीर)

लखनऊ, जेएनएन। उद्यमियों की सहूलियत के लगातार नियम और नीतियां बना रही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब अनुसूचित जाति-जनजाति (एससी-एसटी) वर्ग के उद्यमियों के लिए अलग से नीति बनाने जा रही है। सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ.नवनीत सहगल ने इसके लिए कमेटी गठित कर अन्य प्रदेशों की नीतियों का अध्ययन करने के निर्देश दिए हैं।

दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (डिक्की) के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष रवि कुमार नर्रा के नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को कैसरबाग स्थित निर्यात प्रोत्साहन भवन में अपर मुख्य सचिव से मुलाकात की। चर्चा के बाद डॉ.सहगल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में दलित समाज के लोगों को नौकरी मांगने वाला नहीं, बल्कि रोजगार देने वाला बनाने के लिए एक्सक्लूसिव पॉलिसी लाई जाएगी। इसके लिए डिक्की के यूपी चैप्टर अध्यक्ष कुंवर शशांक, आयुक्त उद्योग और संयुक्त आयुक्त एमएसएमई की तीन सदस्यीय संयुक्त कमेटी गठित की गई है।

अपर मुख्य सचिव डॉ.नवनीत सहगल ने कहा कि देश में अनूसचित जाति एवं जनजाति के लोगों की आबादी सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में है। राज्य सरकार इस कमजोर वर्ग के उत्थान के प्रति बेहद संवेदनशील भी है। दलित उद्यमियों को आगे बढ़ाने में सरकार हर संभव सहयोग देगी। उन्होंने समिति को दलित उद्यमियों की सुविधा के लिए प्रदेश में भूमि आवंटन, मार्जिन मनी सब्सिडी, इंट्रेस्ट सब्सिडी, कैपिटल इन्वेस्ट सब्सिडी, वेंचर कैपिटल फंड, डायरेक्ट फंडिंग, बिजनेस फैसिलिटेशन सेंटर, सरकारी खरीद में आरक्षण आदि विषयों पर गहन अध्ययन कर प्रस्ताव उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

वहीं, डिक्की अध्यक्ष ने डॉ.आम्बेडकर के नाम से एक नीति का प्रारूप प्रस्तुत करते हुए आग्रह किया कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए सस्ते दर पर जमीन की उपलब्धता, आसान ऋण सुविधा और विशेष सहायता उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने भूमि आवंटन के लिए लगने वाली रजिस्ट्रेशन फीस का 90 फीसद प्रतिपूर्ति, स्टांप ड्यूटी में 100 फीसद छूट, ऋण ब्याज में छूट, एमएसएमई इकाइयों के लिए 35 फीसद और महिला उद्यमियों के लिए 45 फीसद कैपिटल सब्सिडी उपलब्ध कराने संबंधी प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

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