UP Love Jihad Law: झूठ बोलकर धर्म परिवर्तन कराने पर अब दस साल तक की सजा, जानिए अध्यादेश के मुख्य बिंदु

UP Love Jihad Law यूपी में लव जिहाद और धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त कदम उठाया है। इस कानून के लागू होने के बाद छल-कपट व जबरन धर्मांतरण के मामलों में एक से दस वर्ष तक की सजा का प्रवधान होगा।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 09:20 PM (IST) Updated:Wed, 25 Nov 2020 02:27 PM (IST)
UP Love Jihad Law: झूठ बोलकर धर्म परिवर्तन कराने पर अब दस साल तक की सजा, जानिए अध्यादेश के मुख्य बिंदु
लव जिहाद और धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त कदम उठाया है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। UP Love Jihad Law: उत्तर प्रदेश में लव जिहाद और धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त कदम उठाया है। मंगलवार को यूपी कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 को मंजूरी दे दी है। इस कानून के लागू होने के बाद छल-कपट व जबरन धर्मांतरण के मामलों में एक से दस वर्ष तक की सजा का प्रवधान होगा। 

यूपी कैबिनेट की बैठक मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सरकारी आवास पर हुई। सीएम योगी की अध्यक्षता में कुल 21 प्रस्तावों पर मुहर लगी, जिनमें सर्वाधिक चर्चित और प्रतीक्षित धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश को भी स्वीकृति दे दी गई। जबरन धर्मांतरण को लेकर तैयार किए गए मसौदे में इन मामलों में दो से सात साल तक की सजा का प्रस्ताव किया गया था, जिसे सरकार ने और कठोर करने का निर्णय किया है। आइए जानते हैं इस अध्यादेश के मुख्य बिंदु.... जबरन धर्मांतरण को उत्तर प्रदेश सरकार ने और कठोर करने का निर्णय किया है। सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में भी तीन से 10 वर्ष तक की सजा होगी। जबरन या कोई प्रलोभन देकर किसी का धर्म परिवर्तन कराया जाना अपराध माना जाएगा। विवाह के जरिये एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन भी कठोर अपराध की श्रेणी में होगा। यह अपराध गैरजमानती होगा। सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामलों में शामिल संबंधित सामाजिक संगठनों का पंजीकरण निरस्त कर उनके विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी। अध्यादेश के उल्लंघन की दोषी किसी संस्था अथवा संगठन के विरुद्ध भी सजा का प्रविधान होगा। जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों में साक्ष्य देने का भार भी आरोपित पर होगा। यानी कपटपूर्वक, जबरदस्ती या विवाह के लिए किसी का धर्म परिवर्तन किए जाने के मामलों में आरोपित को ही साबित करना होगा कि ऐसा नहीं हुआ। यह अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में होगा और गैर जमानती होगा। अभियोग का विचारण प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की कोर्ट में होगा। यदि किसी लड़की का धर्म परिवर्तन एकमात्र विवाह के प्रयोजन लिए किया गया तो विवाह शून्य घोषित किया जा सकेगा।

धर्मांतरण के लिए दो माह पूर्व करना होगा आवेदन

उत्तर प्रदेश में अब धर्मांतरण के इच्छुक होने पर तय प्रारूप में डीएम के समक्ष दो माह पूर्व आवेदन करना अनिवार्य होगा। इसके उल्लंघन पर छह माह से तीन वर्ष तक की सजा तथा कम से कम 10 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान होगा। एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन के लिए तय प्राधिकारी के समक्ष यह घोषणा करनी होगी कि धर्म परिवर्तन किसी छल-कपट के तहत, जबरन, बलपूर्वक, कोई प्रलोभन देकर अथवा कपटपूर्ण रीति से विवाह द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन के लिए नहीं है। - अध्यादेश में कहा गया है कि ऐसे धर्म परिवर्तन को अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जो मिथ्या, निरूपण, बलपूर्वक, असम्यक, प्रभाव, प्रपीड़ना, प्रलोभन या अन्य किसी कपट रीति से या विवाह द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन के लिए किया जाएगा।

यह होगी सजा और जुर्माना

अध्यादेश में छल-कपट से, प्रलोभन देकर, बलपूर्वक या विवाह के लिए धर्म परिवर्तन के सामान्य मामले में कम से कम एक वर्ष तथा पांच वर्ष अधिकतम सजा। कम से कम 15 हजार रुपये तक जुर्माना। नाबालिग लड़की, अनुसूचित जाति-जनजाति की महिला का जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर कम से कम तीन वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष तक कारावास। कम से कम 25 हजार रुपये जुर्माना। सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामलों में कम से कम तीन वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष तक की सजा और कम से कम 50 हजार रुपये जुर्माना।
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