लखनऊ के वरिष्ठ रंगकर्मी राजा अवस्थी ने फिल्‍म लगान में आमिर खान को सिखाई अवधी, शूटिंग में बोलते थे सीन कट

फिल्म लगान में आमिर खान को लखनऊ शहर के वरिष्ठ रंगकर्मी राजा अवस्थी ने अवधी बोलना सिखाया था। इनके काम से निर्देशक आशुतोष गोवारिकर इतने प्रभावित हुए कि फिल्म में सीन कट बोलने का अधिकार ही दे दिया।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 10:27 AM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 04:23 PM (IST)
लखनऊ के वरिष्ठ रंगकर्मी राजा अवस्थी ने फिल्‍म लगान में आमिर खान को सिखाई अवधी, शूटिंग में बोलते थे सीन कट
उप्र संगीत नाटक अकादमी में वरिष्ठ रंगकर्मी राजा अवस्थी की अभिलेखागार हो रही रिकार्डिंग।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। फिल्म लगान में आमिर खान को शहर के वरिष्ठ रंगकर्मी राजा अवस्थी ने अवधी बोलना सिखाया था। इनके काम से निर्देशक आशुतोष गोवारिकर इतने प्रभावित हुए कि फिल्म में सीन कट बोलने का अधिकार ही दे दिया। जब आशुतोष गोवारिकर ने अभिनेता शाहरूख खान से परिचय कराया तो बोले, ये वही राजा अवस्थी हैं, जिन्हें लगान में डायरेक्टर के अलावा सीन कट कहने का हक था। उप्र संगीत नाटक अकादमी में वरिष्ठ रंगकर्मी राजा अवस्थी की अभिलेखागार रिकार्डिंग के दौरान ऐसे ही रोचक प्रसंग जानने को मिले। अकादमी अवार्ड से अलंकृत हरिशंकर अवस्थी उर्फ राजा अवस्थी का स्वागत करते हुए अकादमी सचिव तरुण राज ने कहा कि मंचीय अनुभव ही रंगकॢमयों की धरोहर होते हैं, जिनसे आगे की पीढ़ी बहुत कुछ सीख सकती है। उम्मीद है यह रिकार्डिंग भी उसी शृंखला में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगी।

राजा अवस्थी ने बताया कि मोहल्ले की नाट्य मंडलियों में छोटे-मोटे किरदार के साथ उनके रंगमचीय सफर की शुरुआत हुई। फिर रामलीला से जुड़े और रामलीला ही उनके लिए रंगमंच की पाठशाला बन गई। कुंवर कल्याण सिंह, राजेश्वर बच्चन जैसे नाट्य निर्देशकों के साथ रंगमंच करने का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि नार्वे में 1991 में हुए विश्व नाट्य समारोह मे भाग लेना उनके रंगमंचीय जीवन का चरम था, जहां 35 देशों के बीच सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ द्वारा निर्देशित मेघदूत लखनऊ के संस्कृत नाटक को प्रथम स्थान मिला। अपने द्वारा मुंशी प्रेमचंद की कहानी कफन के अवधी रूपांतरण और निर्देशन का अनुभव सामने रखते हुए उन्होंने बताया कि यह नाटक देखकर कुमुद नागर ने इसे दूरदर्शन में प्रस्तुत करने के लिए चुना। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के साथ निर्देशित किये संस्कृत नाटकों का लम्बा अनुभव सामने रखते हुए राजा अवस्थी ने बताया कि संस्कृत नाटकों में अभिनेता की तल्लीनता उन्हें बेहद आकर्षित करती है, जबकि ये तल्लीनता हिंदी या अन्य भाषाओं में उतनी नहीं दिखती।

दूरदर्शन के साथ किये नाटकों व नीम का पेड़ व आधा गांव जैसे टीवी धारावाहिकों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज के कलाकारों की नई पीढ़ी तो पहले टीवी धारावाहिकों में अभिनय की सोचती है और फिर इसी सोच के साथ रंगमंच से जुड़ती है। कई महोत्सवों में पुरस्कृत हुए फिल्म यथार्थ के साथ अपने फिल्मी सफर की शुरुआत हुई। अकादमी की नाट्य सर्वेक्षक शैलजाकान्त के समन्वय में हुए इस आनलाइन फेसबुक कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग पवन तिवारी का रहा।

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