लखनऊ के रायबरेली रोड पर बि‍ना नक्शा पास और कंपाउडिंग के बन गईं सील बिल्डिंग, LDA के अभियंता बने अंजान

रायबरेली रोड पर ऐसी कई बि‍ल्‍डिंगों (लविप्रा) को ठेंगा दिखाते हुए खड़ी हो गई जो कागजों पर सील हैं। बाकायदा अभियंताओं की सरपरस्ती में बि‍ल्‍डिंग की नींव खोदने से लेकर इमारत में टेराकोटा लगाया गया। आज भी न तो नक्शा पास है और न कंपाउडिंग हुई है।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 10:14 AM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 01:32 PM (IST)
लखनऊ के  रायबरेली रोड पर बि‍ना नक्शा पास और कंपाउडिंग के बन गईं सील बिल्डिंग, LDA के अभियंता बने अंजान
रायबरेली रोड पर कई बि‍ल्‍डिंग एलडीए को ठेंगा दिखाते हुए खड़ी हो गई।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। रायबरेली रोड पर ऐसी कई बि‍ल्‍डिंगों (लविप्रा) को ठेंगा दिखाते हुए खड़ी हो गई, जो कागजों पर सील हैं। बाकायदा अभियंताओं की सरपरस्ती में बि‍ल्‍डिंग की नींव खोदने से लेकर इमारत में टेराकोटा लगाया गया। आज भी न तो नक्शा पास है और न कंपाउडिंग हुई है। हां रायबरेली रोड पर दोनों बि‍ल्‍डिंग अगल-बगल लविप्रा की व्यवस्थाओं को ठेंगा दिखाते हुए जरूर खड़ी हैं।

इनमें एक अस्पताल तो दूसरा पार्क प्लाजा है। स्थानीय अवर अभियंता के मुताबिक बि‍ल्‍डिंग सील है। हालांकि यह दोनों बहुमंजिला बि‍ल्‍डिंग कैसे खड़ी हो गईं, इसकी जानकारी न तो अधिशासी अभियंता दिवाकर त्रिपाठी को है और न अवर अभियंता चमन सिंह त्यागी को। विहित प्राधिकारी धर्मेद्र सिंह के ऊपर इस जोन की जिम्मेदारी है। इनके मुताबिक जिम्मेदारी दोनों अभियंताओं पर बनती है। जबकि वास्तव में यहां साल भर से तैनात अवर अभियंता चमन त्यागी कहते हैं कि उनसे पहले बि‍ल्‍डिंग बन गई। उनके मुताबिक सहायक अभियंता आरके शुक्ला क्षेत्र में अवर अभियंता थे। अब शुक्ला इसी क्षेत्र में सहायक अभियंता है। कुल मिलाकर अभियंताओं के पूरे कॉकस ने अवैध निर्माण को रोकने के बजाय बनने दिया। यह स्थिति तब है जब लविप्रा ने शहर को सात जोन में बांट रखा है और अधिकांश के अलग-अलग अधिशासी अभियंता के साथ पूरी टीम है। चार विहित प्राधिकारी है, इसके बाद भी लविप्रा बेबस है।

विहित प्राधिकारी धर्मेद्र सिंह ने कहा कि अधिशासी अभियंता दिवाकर त्रिपाठी और अवर अभियंता का उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए जवाब मांगा गया है। आखिर सील होने के बाद भी इमारत कैसे बन गई।

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