Diwali Celebration 2021: पर्यावरण बचाएं और ईको फ्रेंडली दीपोत्सव मनाएं, दूसरों के जीवन में लाएं उजियारा
डिजिटल इंडिया के दौर में आप इसका इस्तेमाल इको फ्रेंडली दीपावली के रूप में कर सकते हैं। मोबाइल के प्ले स्टोर पर जाकर दीपावली क्रैकर्स इंडियन दीपावली डिजिटल दीपावली व दीपावली क्रैकर्स- 2021 सहित कई एप डाउन लोड करके आप इको फ्रेंडली डिजिटल दीपोत्सव मना सकते हैं।
लखनऊ, जितेंद्र उपाध्याय। प्रदूषमुक्त दीपावली मनाकर हम जहां एक ओर पर्यावरण संरक्षण में योगदान कर सकते हैं तो पटाखों में होने वाली फिजूल खर्ची से किसी के जीवन में उजियारा भी ला सकते हैं। आपका यह छोटा सा प्रयास गरीबों के जीवन में खुशी का उजाला ला सकता है। डिजिटल दीपोत्सव से भी खुशी के साथ ही पर्यावरण को नुकसान होने से बचाया जा सकता है। आइए आपको बताते हैं कि आप इस दीपावली को कैसे ईको फ्रेंडली बना सकते हैं।
प्ले स्टोर से डाउन लोड करें एप: डिजिटल इंडिया के दौर में आप इसका इस्तेमाल इको फ्रेंडली दीपावली के रूप में कर सकते हैं। मोबाइल के प्ले स्टोर पर जाकर 'दीपावली क्रैकर्स इंडियन दीपावली, डिजिटल दीपावली व दीपावली क्रैकर्स- 2021 सहित कई एप डाउन लोड करके आप इको फ्रेंडली डिजिटल दीपोत्सव मना सकते हैं। राकेट के साथ ही जलती चटाई आपको रोमांचित करेगी। इसमें न केवल बच्चों को चटाई जलाने का आनंद मिलेगा बल्कि रॉकेट और फुलझड़ी से निकलने वाले धुएं से भी निजात मिलेगी।
यहां दान के दीपक से होगी रोशनी: पटाखों के शोर और धुएं से निजात पाने के लिए आप उस पटाखे की रकम से कानपुर रोड बाराबिरवा स्थित आदर्श कुष्ठ आश्रम में रोगियों के परिवार वालों के अंधेरे जीवन में खुशी ला सकते हैं। कैंट विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुरेश चंद्र तिवारी की ओर से यहां लाइटिंग की जाएगी तो हिंद नगर के पार्षद सौरभ सिंह मोनू की ओर से यहां रहने वाले करीब डेढ़ सौ कुष्ठ रोगियों के बच्चों को उपहार दिए जाएंगे। आप भी यहां दान करके अपने साथ उनकी खुशी में शामिल हो सकते हैं।
बच्चों को उपहार देकर मना सकते हैं दीपावली: अनाथ आश्रम और बाल गृहों में भी पटाखों के पैसे से आप उनके जीवन में खुशी के दो पल ला सकते हैं। श्रीराम औद्योगिक अनाथ आश्रम अलीगंज के साथ ही प्राग नारायण रोड स्थित राजकीय बालगृह और मोती नगर स्थित लीलावती मुंशी निराश्रित बालगृह में आप दान करके दीपोत्सव के उल्लास में चार चांद लगा सकते हैं। उन्हें उपहार और मिठाई देकर उनके जीवन में उजाला ला सकते हैं। सरोजनीनगर के वृद्धाश्रम जाकर आप उनके साथ खुशी के पल साझा कर सकते हैं।
मिट्टी के दीपक जलाएं, पर्यावरण बचाएं: मोमबत्ती के बजाय आप मिट्टी के दीपक जलाकर रोशनी का त्योहार मना सकते हैं। इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। बाजारों में भी आकर्षक दीपक मौजूद हैं। तेल या घी में लिपटी रुई की बनी बत्ती से निकलने वाला धुंआ मोमबत्ती के धुएं के मुकाबले पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचा सकते हैं। कुम्हार मंडी तेलीबाग के संदीप ने बताया कि मिट्टी के दीपक लेकर आप पुरानी परंपराओं को भी जीवंत कर सकते हैं। घरों में दीपक जलाकर इस तबके के जीवन में उजियारा ला सकते हैं।