लखनऊ में 171 स्थान बेटियों के लिए अभी भी असुरक्षित, Safe City Project ने बताया सच
लखनऊ के सेफ सिटी योजना के सर्वे में सामने आया सच शाम होते ही कई सड़कों पर छा जाता है अंधेरा। 171 स्थान अभी भी असुरक्षित।
लखनऊ [अजय श्रीवास्तव]। दिल्ली, हैदाराबाद और फिर उन्नाव...। बेटियों और महिलाओं के साथ हैवानियत थम नहीं रही है। हर कोई गुस्से में है। देश उबल रहा है। हालांकि, इस बीच हैदराबाद पुलिस ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए चार हैवानों को एनकाउंटर में मार भी गिराया लेकिन, देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में आधी आबादी को 'इंसाफ और सुरक्षा की दरकार अब भी है। बाकी जिलों को छोड़ दें, राजधानी की सड़कों पर 171 स्थान ऐसे हैं जो शाम ढलते ही बेटियों के लिए खौफनाक बन जाते हैं...। अकेले घूमना उनके लिए खतरे से खाली नहीं। यह हम नहीं, सेफ सिटी प्रोजेक्ट के तहत तैयार की गई रिपोर्ट कहती है। आप भी जानिए, कौन-कौन से हैं वे स्थान...।
दिल्ली के निर्भया कांड के बाद केंद्र सरकार ने कुछ बड़े शहरों को सेफ सिटी बनाने का फैसला किया था। इस तरह के शहर, जहां बेटियां दिन हो या रात, बेधड़क आ जा सकें। इंतजाम ऐसे करने थे कि उन्हें कोई छू तक न पाए। रात में भी दिन जैसा उजाला ऐसे शहरों में फैलाना था। चप्पे-चप्पे पर 24 घंटे सुरक्षा व्यवस्था होनी थी लेकिन, अफसोस...। योजना बने साल से ज्यादा और बजट मिले महीनों गुजर गए मगर, राजधानी में ही बेटियों के लिए खतरा बने 171 स्थान सुरक्षित नहीं हो पाए। नगर निगम और पुलिस के संयुक्त प्रयास से तैयार सेफ सिटी योजना फिलहाल कागजों में अटकी है।
भीड़ वाले इलाके भी असुरक्षित
अमीनाबाद को ही लें। महिलाओं से जुड़ी मार्केट है। हनुमान मंदिर पर भी महिला श्रद्धालुओं का आना रहता है। कहने को देर शाम तक भीड़ रहती है लेकिन, सेफ सिटी की रिपोर्ट में फौरी स्थिति उनके लिए ठीक नहीं। रात तक सड़क पर तेज रोशनी हो, इसके लिए 150 की संख्या में पोल पर 90 वॉट की एलइडी लाइटें लगनी थीं, जो तीन साल में नहीं लग पाईं। अपर नगर आयुक्त अमित कुमार ने कहा कि नगर निगम को अभी रोड लाइटें और पिंक टॉयलेट बनाने का बजट नहीं मिला है, जब मिलेगा तो काम चालू करा दिया जाएगा
207544 मनचले कहां गए
एक तो 171 स्थानों पर खतरा, उस पर भी मनचलों की भरमार। जिले की आबादी 45 लाख के हिसाब से मनचलों का प्रतिशत चार है। योगी सरकार बनने के बाद पुलिस के चलाए अभियान में राजधानी के 207544 युवकों और उम्रदराज मनचलों को चिह्नित किया गया था। लखनऊ के नोडल अधिकारी व अपर मुख्य सचिव (वाणिज्यकर और आइटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स) आलोक सिन्हा तक यह रिपोर्ट पहुंची।
यहां ज्यादा सक्रिय रहते मनचले
मनचलों पर नकेल कसने के लिए पुलिस ने एटी रोमियो स्क्वायड गठित किया था। शहर के 8565 जगहों और बालिका स्कूलों, कॉलेज के पास चेकिंग की थी। इस दौरान 25 स्क्वायड ने पाया था कि ऐसे प्रतिष्ठान जहां महिलाएं कार्यरत हैं, कोचिंग सेंटर हैैं, वहां मनचले अधिक सक्रिय रहते हैं। इसके बाद दल ने 207597 लोगों की चेकिंग की थी, जिसमें 16 मनचलों पर मुकदमा दर्ज किया गया।
सेफ सिटी परियोजना
194.55 करोड़ से लखनऊ को सेफ सिटी बनाना है। इसमें केंद्र सरकार 40 और राज्य सरकार 60 प्रतिशत रकम खर्च करेगी। केंद्र से पांच फरवरी को अंश का 62.89 करोड़ जारी कर दिया गया। परियोजना धरातल पर उतारने के लिए 16 अक्टूबर को केंद्रीय गृह सचिव ने समीक्षा की थी। इसके बाद पुलिस, परिवहन, नगर निगम समेत अन्य विभागों के अधिकारियों ने बैठक कर खाका तैयार किया। हर विभाग को समय सीमा भी दी मगर, अभी तक योजना कागजों से बाहर नहीं आ सकी।