74th Independence Day : राष्ट्रीयता की दीवानगी में अमीनुद्दौला पार्क का नाम हो गया झंडे वाला पार्क, जानिए इसका इतिहास
लखनऊ के झंडे वाले पार्क में आजादी से पहले और आजादी के बाद दोनो बार झंडा यहां फहराया गया नमक का कानून तोड़ने के लिए यहां हुआ था आंदोलन।
लखनऊ, जेएनएन। असहयोग आंदोलन, नमक बनाओ आंदोलन हो या अंग्रेजों भारत छोड़ो। जब बात राष्ट्रीयता की आई तो इसी अमीनुद्दौला पार्क में मतवालों का मरकज़ बना। यहां स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सबसे पहले भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। यहां नमक कानून को तोड़ने के लिए भी आंदोलन हुआ। आजादी के बाद भी लंबे समय तक ये पार्क आंदोलनों का केंद्र रहा है।
शहर को स्मारकों का शहर भी कहा जाता है। अवध की सभ्यता में अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष में विशेषकर लखनऊ के अमीनाबाद स्थित अमीनुद्दौला पार्क का नाम सुनहरे शब्दों में लिखा हुआ है। जिसे अब झंडे वाला पार्क के नाम से जानते हैं आपको पता है कि उसे कभी अमीनउद्दौला पार्क के नाम से जाना जाता था।पद्मश्री इतिहासकार योगेश प्रवीण बताते हैं कि इस पार्क के बनने के बाद से ही ये अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलनों का केंद्र बन गया था। यहां समय समय पर झंडा फहराया गया इसलिए इसको झंडे वाला पार्क कहा जाने लगा।
उन्होंने बताया कि पार्क तो लखनऊ में बहुत से हैं मगर इसका अलग ही महत्व है। जनवरी 1928 में क्रांतिकारियों ने पहली बार राष्ट्रीय ध्वज अमीनुद्दौला पार्क में ही फहराकर अंग्रेजी हुकूमत को ललकारा था| उसी दिन से यह अमीनुद्दौला पार्क झंडे वाला पार्क के नाम से जाना जाने लगा| अवध के चतुर्थ बादशाह अमजद अली शाह के समय में उनके वजीर इमदाद हुसैन खां अमीनुद्दौला को पार्क वाला क्षेत्र भी मिला था, तब इसे इमदाद बाग कहा जाता था।
इससे पहले ब्रिटिश शासनकाल में वर्ष 1914 में अमीनाबाद का पुनर्निर्माण कराया गया चारों तरफ सड़कें निकाली गई बीच में जो जगह बची उसमें एक पार्क का निर्माण कराया गया| जिसका नाम अमीनुद्दौला पार्क का नाम दिया गया| लेकिन आजादी के मतवालों ने यहाँ पहली बार झंडा फहराया तब से यह पार्क झंडे वाला पार्क कहलाया जाने लगा| अप्रैल 1930 को क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश हुकूमत के नमक कानून को तोड़कर नमक बनाया| इतना ही नहीं अगस्त 1935 को क्रांतिकारी गुलाब सिंह लोधी भी उस जुलूस में शामिल हुए, जो पार्क में झंडा फहराना चाहते थे। आजादी की पहली सुबह भी लखनऊ भर से लोग झण्डे वाले पार्क में जमा हुए थे। यहां आजादी के बाद पहली बार यहां तिरंगा फहराया गया था।.