UP: बड़ी शांति से अरविंद कुमार शर्मा की बीजेपी में 'सनसनीखेज एंट्री', चर्चा में कई किस्से और कयास

अरविंद कुमार शर्मा ने जिस तरह राजनीतिक पारी की शुरुआत की है उससे अटकलों का माहौल गर्म है। मोदी के भरोसेमंद होने से उनका अचानक राजनीति में आना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भाजपा नेता कुछ कहने से बच रहे हैं लेकिन उनकी अहमियत कम करके नहीं आंकी जा रही।

By Umesh Kumar TiwariEdited By: Publish:Thu, 14 Jan 2021 08:37 PM (IST) Updated:Thu, 14 Jan 2021 08:56 PM (IST)
UP: बड़ी शांति से अरविंद कुमार शर्मा की बीजेपी में 'सनसनीखेज एंट्री', चर्चा में कई किस्से और कयास
यूपी बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने सेवानिवृत्त आइएएस अफसर अरविंद कुमार शर्मा को पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। यह भगवा आंधी का दौर है, जिसमें दूसरे दलों के कई दिग्गज नेता भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके हैं। वे ढोल-ताशों के साथ आए फिर खामोशी। अब इस अनोखी ज्वॉइनिंग को देखिए-समझिए। गुजरात कैडर के आइएएस अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा अचानक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेते हैं और चंद रोज बाद ही उत्तर प्रदेश भाजपा मुख्यालय पहुंचकर पार्टी में शामिल हो जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वनीय अरविंद कुमार शर्मा ने पार्टी में शांति से, लेकिन 'सनसनीखेज एंट्री' की है। भाजपा की प्राथमिक सदस्यता के साथ ही कयासों में उनके लिए सरकार की बड़ी कुर्सी तलाशी जा रही है।

1988 बैच के सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा (एके शर्मा) गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। शर्मा ने सदस्यता ग्रहण करने के बाद नेतृत्व का आभार जताते हुए कहा कि पार्टी जो जिम्मेदारी देगी, उसे गंभीरता व निष्ठा से निभाएंगे। दोपहर करीब 12 बजे आयोजित संक्षिप्त कार्यक्रम में शर्मा ने अपने बारे में बताया।

उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि बिना किसी राजनीतिक बैकग्राउंड के विश्व की सबसे बड़ी पार्टी में शामिल होने का मौका मिला। मैं मऊ जिले के एक पिछड़े गांव से निकला और आइएएस अधिकारी बना। मेरे जैसे सामान्य व्यक्ति को अपने साथ काम करने का मौका भाजपा व नरेंद्र मोदी जैसे व्यक्तित्व ही दे सकते हैं। उन्होंने राष्ट्रवाद और भाजपा की सेवा करने की बात भी कही, लेकिन अन्य सवालों का जवाब देने के बजाए हाथ जोड़कर किनारा कर गए।

अरविंद कुमार शर्मा ने जिस तरह अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की है, उससे अटकलों का माहौल गर्म है। मोदी के भरोसेमंद होने के कारण उनका अचानक राजनीति में आना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। स्थानीय भाजपा नेता कुछ कहने से बच रहे हैं, लेकिन उनकी अहमियत कम करके नहीं आंकी जा रही। गौर करने लायक है कि इससे पहले भी कई नौकरशाह भाजपा में आए, लेकिन ऐसा कौतुहल नहीं बना।

यहां शर्मा को विधान परिषद भेजा जाना तय है। इसके इतर उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाए जाने के कयास तो सेवानिवृत्ति वाले दिन से ही लगाए जा रहे हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि उन्हें गृहमंत्री बनाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि तकरीबन तीन दशक पहले तक कांग्रेस की सरकार में ही गृहमंत्री अलग से बनाए गए। उसके बाद बसपा, सपा और भाजपा की सरकारों में गृह विभाग, मुख्यमंत्री ने अपने पास ही रखा है।

प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने सदस्यता दिलाने के दौरान शर्मा के बारे में विस्तार से बताया। स्वागत करते हुए कहा कि शर्मा की कार्यक्षमता व कर्मठता से पार्टी को नई दिशा व गति मिलेगी। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा सहित अन्य प्रदेश पदाधिकारी उपस्थित थे। शर्मा के गृह जिले मऊ से भी बड़ी संख्या में समर्थक पार्टी मुख्यालय पहुंचे।

दो दशक से मोदी के विश्वासपात्र : मऊ जिले में रानीपुर ब्लॉक के काझाखुर्द गांव में 11 जुलाई, 1962 को जन्मे अरविंद शर्मा के पिता शिवमूर्ति राय रोडवेज में ट्रैफिक इंसपेक्टर थे। तीन भाइयों में सबसे बड़े अरविंद बचपन से मेधावी थे। शुरुआती शिक्षा गांव के प्राथमिक विद्यालय में ही लेने के बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एमए राजनीति शास्त्र में सर्वोच्च अंक प्राप्त किए। यहीं से पीएचडी करने के बाद उनका चयन 1988 में गुजरात कैडर में भारतीय प्रशासनिक सेवा में हो गया। वर्ष 2001 में जब गुजरात में नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली तो अरविंद उनके सचिव बने। 2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बने तो उनको पीएमओ में संयुक्त सचिव की जिम्मेदारी दी गई। विभिन्न पदों पर रहते हुए शर्मा ने गत 11 जनवरी को सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय के सचिव पद पर रहते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली।

मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें : योगी मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें विधानसभा उपचुनाव व विधान परिषद चुनाव के बाद से जोर पकड़े हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अकेले में मुलाकात ने मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चाओं को और बल दिया है। मंत्रिमंडल में 60 मंत्री हो सकते हैं और वर्तमान में 54 मंत्री हैं। यानी अभी विस्तार की संभावनाएं बरकरार हैं। ऐसे में फरवरी के प्रथम सप्ताह में अरविंद कुमार शर्मा के अलावा कुछ नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।

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