Republic Day Parade in Lucknow: पोलो ग्राउंड से सड़क तक के सफर में परेड ने देखे कई बदलाव

Republic Day Parade in Lucknow वर्ष 1979 में कुछ विभागों ने मिलकर लखनऊ की सड़क पर परेड निकालने की रणनीति तैयार की और 26 जनवरी 1979 को पहली बार लखनऊ की सड़क पर गणतंत्र दिवस की परेड नजर आई।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 08:49 AM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 11:16 AM (IST)
Republic Day Parade in Lucknow: पोलो ग्राउंड से सड़क तक के सफर में परेड ने देखे कई बदलाव
पहली बार सूचना विभाग, शिक्षा विभाग, गृह विभाग और शहर के कुछ लोगों ने परेड में भाग लिया था।

लखनऊ, जेएनएन। गणतंत्र दिवस की परेड किसी उत्सव की तरह दिखती है। लखनऊ की हर सड़क से भीड़ हजरतगंज की तरफ बढ़ती दिखती है। यह भीड़ सुबह सात बजे ही घर को छोड़ देती है, जिससे परेड देखने के लिए उचित जगह मिल सके। हजरतगंज चौराहे से लेकर केडी सिंह बाबू स्टेडियम की सड़क के दोनों तरफ जनसैलाब सा दिखता है। बच्चे बुजुर्ग भी इस परेड का गवाह बनते हैं। इस बार कोरोना संक्रमण के चलते कुछ बदलाव दिखेगा, लेकिन फिर भी प्रशासन ने भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के इंतजाम किए हैं। हर जगह देश भक्ति से जुड़े गीत गूंज रहे होंगे। हेलीकाप्टर से पुष्प वर्षा हो रही होगी। विधान भवन के सामने मुख्य आकर्षण होता है जिसमें राज्यपाल परेड की सलामी लेंगी तो मुख्यमंत्री समेत सभी विशिष्ट लोगों वहां परेड का नजारा देखने के लिए मौजूद रहेंगे।

अगर परेड की अतीत में जाएं तो यह सब एक सामूहिक प्रयास से ही संभव हो पाया था। लंबे समय तक गणतंत्र दिवस की परेड सेना के पोलो ग्राउंड तक ही सीमित थी और परेड को देखने के लिए कुछ लोग ही जा पाते थे। परेड का आनंद हर कोई ले सके, इसके लिए परेड को सड़क पर लाने की योजना तैयार की गई। वर्ष 1979 में कुछ विभागों ने मिलकर सड़क पर परेड निकालने की रणनीति तैयार की और 26 जनवरी 1979 को पहली बार लखनऊ की सड़क पर गणतंत्र दिवस की परेड नजर आई।

सूचना विभाग, शिक्षा विभाग, गृह विभाग और शहर के कुछ लोगों ने परेड में भाग लिया था। तत्कालीन जिलाधिकारी रहे योगेंद्र नारायण ने परेड को सड़क पर लाने में अहम भूमिका निभाई थी। तब परेड को शोभा यात्रा का नाम दिया गया था। पहली बार शोभा यात्रा में देश की संस्कृति और गौरवशाली इतिहास की झलक दिखाई गई थी। बेगम हजरत महल पार्क से शुरू होकर शोभा यात्रा हजरतगंज, विधानसभा मार्ग, बर्लिंग्टन चौराहे, भातखंडे संगीत महाविद्यालय से होते हुए फिर बेगम हजरत महल पार्क में आकर समाप्त होती थी। कैसरबाग और बीएन रोड की सड़क पर बिजली के तार काफी नीचे लटकते थे और इस कारण शोभा यात्रा को निकालने में परेशानी होने लगी थी, फिर शोभा यात्रा के रास्ते में बदलाव किया गया।

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परेड को बेगम हजरत महल पार्क से चारबाग रवींद्रालय तक का नया रास्ता दिया गया। वर्ष 1979 में परेड निकालने का जिम्मा तत्कालीन डीएम योगेंद्र नारायण, सूचना निदेशालय में तैनात रहे गीता व नाटक अधिकारी केसी चंद्रा व अपर नगर मजिस्ट्रेट नजमुल हसन जैदी ने संभाला था सेना, पुलिस, पीएसी, एनसीसी कैडे्टस शामिल थे। पहली बार सड़क पर परेड का आंखों देखा हाल हजरतगंज सूचना केंद्र से ठाकुर प्रसाद सिंह, आकाशवाणी से हरवंश लाल जायसवाल और आनंद सिनेमा हाल से सुरेश शुक्ला ने सुनाया था। 

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