Republic Day 2021 in Lucknow: जब दिलकुशा कोठी पर बोला था धावा, क्रांतिकारियों के जज्बे को देख आया अंग्रेजों को पसीना
Republic Day 2021 दिलकुशा कोठी का निर्माण नवाब सआदत अली खां ने 1789 से 1814 के बीच कराया था। अंग्रेज जनरल हेनरी हेवलॉक का यहीं हुआ था निधन। युद्ध के दौरान यह कोठी तहस नहस हो गई थी।
लखनऊ [सौरभ शुक्ला]। Republic Day 2021: 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी अवध में भी फैल चुकी थी। यहां भी क्रांति का बिगुल बज गया था। चार मार्च 1858 में दिलकुशा कोठी में अंग्रेजों पर क्रांतिकारियों ने धावा बोल दिया। क्रांतिकारियों के जज्बे को देख अंग्रेजों को पसीना आ रहा था। पहले से कोठी पर कब्जा जमाए अंग्रेजों ने क्रांतिकारियों की आक्रामकता को देख सहम गए। युद्ध के दौरान यह कोठी तहस नहस हो गई थी। वर्तमान समय में यह कोठी संरक्षित स्मारक के रूप में हमे स्वतंत्रा संग्राम की याद दिलाती है।
दिलकुशा कोठी का निर्माण नवाब सआदत अली खां ने 1789 से 1814 के बीच कराया था। पेड़ पौधों से घिरी यह कोठी आरामगाह के रूप में इस्तेमाल होती थी। अंग्रेज मेजर फोब्र्स ने अपनी डायरी में इस कोठी की विशेषता के साथ ही युद्ध का भी जिक्र किया है। काले हिरणों की संख्या यहां अधिक थी जिसे अंग्रेज मारकर खाते थे। 25 सितंबर 1857 को रेजीडेंसी को हिंदुस्तानियों ने घेर लिया था। बंधक अंग्रेजों को छुड़ाने के लिए अंग्रेज जनरल हेनरी हेवलॉक के नेतृत्व में क्रांतिकारियों से लोहा लेने के लिए फिरंगी सेना यहां आई थी। दोनों के बीच हुई गोलीबारी में कई क्रांतिकारी शहीद हो गए थे, लेकिन अंग्रेजों की चूलें हिल गईं थीं।
क्रांतिकारियों के जोश के आगे खुद को असहाय महसूस कर रहे अंग्रेज रेजीडेंसी से परिवार को निकाल कर सुरक्षित ले जा रहे थे कि दिलकुशा कोठी के पास हेनरी हेवलॉक तबियत खराब हो गई। उल्टी दस्त से परेशान हेनरी हेवलॉक का दिलकुशा कोठी में ही निधन हो गया। निधन की खबर फैलते ही क्रांतिकारियों के अंदर एक नया जोश भर गया। उन्होंने कोठी पर भी धावा बोल दिया। मेजर के लड़के हेरी हेवलॉक ने आलमबाग कोठी में उन्हें दफन किया वह कब्र आज भी मौजूद है।