UP: नया ठिकाना तलाश रहे बसपा के बागी, किसी को सपा में तो किसी को भाजपा में दिख रहा सुरक्षित भविष्य
यूपी विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट होते ही बसपा के बागी विधायकों ने नया ठिकाना तलाशना शुरू कर दिया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव से गुपचुप तरीके से मिले पांच बागी विधायकों को टिकट का आश्वासन तो मिला तो वहीं कुछ भाजपा नेतृत्व से भी नजदीकियां बनाए हुए हैं।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट होते ही बहुजन समाज पार्टी के बागी विधायकों ने नया ठिकाना तलाशना शुरू कर दिया है। मंगलवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव से गुपचुप तरीके से मिले पांच बागी विधायकों को टिकट का आश्वासन तो मिला, लेकिन विधानसभा सदस्यता निरस्त होने की आशंका में पार्टी में शामिल होने का कार्यक्रम लटका दिया गया है। सुरक्षित सियासी ठौर पाने के लिए बागियों का एक खेमा अलग पार्टी के गठन की कोशिशों में भी जुटा है। वहीं कुछ बागी भाजपा नेतृत्व से भी नजदीकियां बनाए हुए हैं।
मंगलवार को सुबह करीब 11 बजे सपा मुख्यालय में पिछले दरवाजे से बसपा के पांच बागी विधायकों ने प्रवेश किया तो वहां मौजूदा कार्यकर्ताओं में हलचल तेज हो गई। सूत्रों के अनुसार बंद कमरे में आधे घंटे से अधिक चली मुलाकात के दौरान मुख्यालय मेें सपाइयों का भी प्रवेश रोक दिया गया। अखिलेश यादव से मिलने वालों में बसपा के वे विधायक शामिल थे, जिन पर राज्यसभा चुनाव में निष्ठा बदलने का आरोप लगा था। राज्यसभा चुनाव के बाद यह दूसरा मौका था जब बागी बसपाइयों ने अखिलेश से मुलाकात की। हालांकि इस बार दो विधायकों का गैरहाजिर रहना चर्चा में रहा। वंदना सिंह और असलम चौधरी मिलने वालों में शामिल नहीं थे।
सपा प्रमुख से मिलकर कार्यालय के पिछले दरवाजे से वापस लौटे विधायकों में से एक ने बताया कि आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट का आश्वासन दिया गया है, लेकिन दलबदल कानून में कार्रवाई से बचने के लिए सदस्यता अभी ग्रहण नहीं की जाएगी। मिलने वालों में असलम राईनी, हरगोविंद भार्गव, हाकिम लाल बिंद, मुजतबा सिद्दीकी व सुषमा पटेल बताए जा रहे हैं।
अलग दल बनाने की जुगत : बागी विधायक असलम राईनी ने बताया कि बसपा से बाहर हुए विधायक मिलकर अलग पार्टी बनाने की कोशिशों में लगे हैं। इसकी अगुवाई निष्कासित विधानमंडल दल नेता लालजी वर्मा को सौंपने की योजना है। राईनी ने बताया कि सभी विधायक मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित से मिलने उनके कक्ष में पहुंचे थे, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी। उन्होंने दावा किया कि बसपा से अलग हुए विधायकों की संख्या 11 है। केवल एक विधायक की संख्या कम है। अलग पार्टी बनाने से दल बदल कानून का खतरा भी नहीं रहेगा। उधर अलग पार्टी बनाने के सवाल पर लालजी वर्मा ने कोई टिप्पणी करने से इन्कार किया है।
सत्ताधारी दल में भी संभावना : बसपा के बाहर हुए विधायकों में से दो की भाजपा नेतृत्व से नजदीकियां छिपी नहीं हैं। बागियों में गिनी जा रहीं एक महिला विधायक को भी भाजपा में सुरक्षित भविष्य नजर आ रहा है। सूत्रों का कहना है कि हाल ही में निष्कासित दो विधायकों में से भी एक बसपा में वापसी की आस खत्म होने पर भाजपा से तार जोड़ने लगा है।