World sickle cell day: आरबीसी टूटने से हो जाता है सिकल निमोनिया, देश में 10 लाख लोग हैं इससे बीमार

केजीएमयू के क्लीनिकल हिमेटोलॉजी विभाग के हेड डा. एके त्रिपाठी ने मुंबई हिमेटोलॉजिकल सोसाइटी द्वारा आयोजित वेबिनार में बताया कि खतरे की बात यह है जब आरबीसी टूटकर रक्त में मिल जाती हैं। इसमें मरीज की मौत तक हो सकती है। इस बीमारी के बारे में अभी जानकारी कम है।

By Mahendra PandeyEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 10:57 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 04:21 PM (IST)
World sickle cell day: आरबीसी टूटने से हो जाता है सिकल निमोनिया, देश में 10 लाख लोग हैं इससे बीमार
विश्व सिकल डिजीज जागरूकता दिवस को लेकर वेबिनार

लखनऊ, जेएनएन। सिकल सेल डिजीज (एससीडी) एक अनुवांशिक बीमारी है, जिसमें ग्लोबिन जीन में म्यूटेशन होने से हीमोग्लोबिन चेंज हो जाता है। स्ट्रेस, इंफेक्शन या आक्सीजन की कमी की दशा में हीमोग्लोबिन का आकार बदल कर सिकिल यानी हसिए की तरह हो जाता है। ऐसी कोशिकाएं एकत्र होकर थक्का जैसा बना लेती हैं। लाल रक्त कणिकाएं (आरबीसी) जो कि आकार में डिस्क की तरह होती हैं, महीन से महीन रक्त वाहिनियों से भी निकल जाती हैं, वहीं सिकल सेल अपने बदले हुए आकार की वजह से निकल नहीं पाती और थक्का बना लेती हैं। इससे ऑकल्यूजन होने और आरबीसी टूटने से एनीमिया हो जाता है।

विश्व सिकल डिजीज जागरूकता दिवस से पूर्व यह जानकारी केजीएमयू के क्लीनिकल हिमेटोलॉजी विभाग के हेड एवं प्रोफेसर डा. एके त्रिपाठी ने मुंबई हिमेटोलॉजिकल सोसाइटी द्वारा आयोजित वेबिनार में दी। उन्होंने बताया कि खतरे की बात यह होती है जब आरबीसी टूट कर रक्त में मिल जाती हैं। इसमें मरीज की मौत तक होने की संभावना रहती है। डा. त्रिपाठी ने बताया कि इस बीमारी के बारे में अभी जानकारी कम है। कई बार तो चिकित्सक भी इस रोग को नहीं पहचान पाते। देश में करीब 10 लाख लोग सिकल एनीमिया से ग्रसित हैं। सामान्य आरबीसी की उम्र तकरीबन 120 दिन होती है, जबकि ये दोषपूर्ण सेल अधिकतम 10 से 20 दिन तक जीवित रहती है। उन्होंने बताया कि सिकल एनीमिया से ग्रस्त बच्‍चों को बार-बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन करना पड़ता है। कुछ दवाइयों से इंफेक्शन और पेन अटैक कम किए जा सकते हैं। जीन थेरेपी का भी प्रयोग इसमें देखा जा रहा है।

विश्‍व सिकल डिजीज जागरूकता दिवस 

रक्त विकार से जुड़ी इस अनुवांशिक बीमारी में खून की कमी हो जाती है। इसे काफी हद तक दवाओं के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन इसके बारे में जानकारी पर्याप्त नहीं है। इस कारण इसकी डायग्नोसिस नहीं हो पाती। यही वजह है कि प्रत्येक वर्ष 19 जून को विश्व सिकल डिजीज जागरूकता दिवस मनाया जाता है।

 ये हैं लक्षण बच्‍चों में खून की कमी हो  बच्‍चों में लकवा हो जाए  बार-बार इंफेक्शन हो  हड्डियों में बेतहाशा दर्द हो गुर्दे में इंफेक्शन या रक्तस्राव हो।

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