बॉलीवुड के सितारों की भूमिका से सज्जित होगी रामनगरी की रामलीला, पूरी दुनिया में होगा लाइव प्रसाारण

Ramlila in Ayodhya रामनगरी में रामलीला मंचन की परंपरा भी नए आयाम का स्पर्श करने जा रही है। जहां रामनगरी में लंबे समय से रामलीला से न्याय न हो पाने का मलाल था वहीं इस बार यहां फिल्मी सितारों से सज्जित रामलीला होने जा रही है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Wed, 07 Oct 2020 07:47 AM (IST) Updated:Wed, 07 Oct 2020 08:16 AM (IST)
बॉलीवुड के सितारों की भूमिका से सज्जित होगी रामनगरी की रामलीला, पूरी दुनिया में होगा लाइव प्रसाारण
रामनगरी में रामलीला मंचन की परंपरा भी नए आयाम का स्पर्श करने जा रही है।

अयोध्या [रघुवरशरण]। रामनगरी में श्रीराम मंदिर निर्माण की उल्टी गिनती शुरू होने के साथ रामलीला मंचन की परंपरा भी नए आयाम का स्पर्श करने जा रही है। जहां रामनगरी में लंबे समय से रामलीला से न्याय न हो पाने का मलाल था, वहीं इस बार यहां फिल्मी सितारों से सज्जित रामलीला होने जा रही है। मंगलवार को सरयू तट स्थित सुप्रसिद्ध पीठ लक्ष्मणकिला के परिसर में मंचन स्थल का भूमिपूजन किया गया। इसी के साथ रामलीला के मंचन की तैयारियां निर्णायक चरण में पहुंचती प्रतीत हुईं। हालांकि कोरोना संक्रमण को देखते हुए मंचन स्थल पर श्रद्धालुओं के पहुंचने की इजाजत नहीं होगी, पर यू टयूब एवं सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों से इसका दुनिया भर में सीधा प्रसारण देखा जा सकेगा।

रामनगरी अयोध्या में 17 से 25 अक्टूबर तक प्रस्तावित रामलीला में यूं तो कुल 70 आर्टिस्ट विभिन्न भूमिकाओं में होंगे, पर दर्जन भर से अधिक बॉलीवुड के जाने-माने नाम हैं। भोजपुरी फिल्मों के स्टार और बॉलीवुड तक में स्थापित गोरखपुर क्षेत्र के सांसद रविकिशन भरत, मशहूर गायक, शीर्ष भाजपा नेता एवं सांसद मनोज तिवारी अंगद, बलिष्ठता के पर्याय रहे दिग्गज पहलवान दारासिंह के पुत्र और बॉलीवुड के स्थापित नाम बिंदु दारा सिंह हनुमान, चंद्रकांता फेम शाहबाज खान रावण, रजा मुराद अहिरावण की भूमिका का रिहर्सल कर रहे हैं।

अभिनय के क्षेत्र में नयी संभावना के तौर पर स्थापित हो रहे सोनू नागर राम एवं कविता जोशी सीता की भूमिका में नजर आएंगी। युवा रामकथा मर्मज्ञ एवं प्रस्तुति की तैयारियों को संरक्षण दे रहे मिथिलेशनंदिनीशरण कहते हैं, 'रामलीला तो वही है, पर जमाना बदल गया है और बदलते दौर के साथ हमें रामलीला के मंचन को भी समुन्नत करना होगा। यह सुखद सुयोग है कि इस दिशा में प्रयास भी शुरू हो गया है।'

रामनगरी में रामलीला की परंपरा त्रेतायुगीन मानी जाती है। दार्शनिक मान्यता और भक्तों का विश्वास है कि अखंड ब्रह्मांड नायक परमात्मा ने राम के रूप में लीला की और मर्यादा पुरुषोत्तम बनकर मानवता के महानतम पथ प्रदर्शक बने। भगवान राम के व्यक्तित्व में ही निहित लीला की परंपरा समय के साथ सुप्त हुई, तो पांच शताब्दी पूर्व रामकथा के कालजयी गायक गोस्वामी तुलसीदास ने नये सिरे से रोशन की। तुलसीदास के प्रयास का केंद्र भोले की नगरी काशी थी, तो रामनगरी में रामचरितमानस के प्रणेता के प्रयासों को अभिनव स्वरूप देने का श्रेय तीन शताब्दी पूर्व के दौर में रहे स्वामी रामप्रसादाचार्य को जाता है। इसके बाद से रामप्रसादाचार्य का अखाड़ा दशरथमहल बड़ास्थान सदियों तक रामनगरी में रामलीला की परंपरा का संवाहक रहा। 

कला के साथ आस्था-अध्यात्म का भी पक्ष : रामलीला की प्रस्तुति किसी अन्य विषय की प्रस्तुति की तरह कला और प्रतिभा के पक्ष से युक्त होने के साथ आस्था के सूत्र की तरह भी स्थापित हुई। भक्त भगवान की उपासना के साथ उनकी लीला में लीन होकर और उनका अनुचर-सहचर बनकर आराध्य से अपनी अभिन्नता अनुभूत करता था और इसीलिए रामलीला की प्रस्तुति की व्यवस्था के केंद्र में प्राय: संत ही थे। संतों की प्रेरणा से नागरिकों ने आयोजन समिति बनाकर इस परंपरा को आगे बढ़ाया। रामनगरी में भी भगवदाचार्य स्मारक सदन की रामलीला के रूप में कुछ दशक तक यह प्रयोग सफल हुआ, पर गत दशक से यहां की रामलीला बाधित है। राजेंद्र निवास के सामने की प्रस्तुति से रामलीला की परंपरा जरूर जीवित है।

कोरोना संकट ने थामा नित्य रामलीला का सफर : अयोध्या शोध संस्थान में डेढ़ दशक पूर्व नित्य रामलीला मंचन का क्रम शुरू हुआ। यह सिलसिला 2015 तक अनवरत चलता रहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयास से 2017 यह क्रम पुन: आगे बढ़ा, पर कोरोना संकट के चलते नित्य रामलीला का सफर थम गया है।

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