अयोध्या की पुकार : 'अयोध्या रिविजिटेड' के मानचित्र से होती है रामजन्मभूमि की पुष्टि Ayodhya News

आचार्य कुणाल किशोर के शोधपूर्ण अध्ययन का परिणाम है अयोध्या रिविजिटेड। इसी मानचित्र से कोर्ट में विचलित हुए बाबरी मस्जिद के वकील।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Tue, 22 Oct 2019 04:28 PM (IST) Updated:Wed, 23 Oct 2019 08:15 AM (IST)
अयोध्या की पुकार : 'अयोध्या रिविजिटेड' के मानचित्र से होती है रामजन्मभूमि की पुष्टि Ayodhya News
अयोध्या की पुकार : 'अयोध्या रिविजिटेड' के मानचित्र से होती है रामजन्मभूमि की पुष्टि Ayodhya News

अयोध्या [रघुवरशरण]। जिस स्थल पर रामलला विराजमान हैं, वह रामजन्मभूमि थी अथवा बाबरी मस्जिद। इस सच्चाई पर से पर्दा तो अगले कुछ दिनों में सुप्रीमकोर्ट का फैसला आने के साथ उठेगा पर कुछ ऐसे प्रसंग हैं, जो इस विवाद में मील के पत्थर की तरह हैं। इस सूची में वह मानचित्र भी शुमार है, जिसे बुधवार को सुनवाई के अंतिम दिन कोर्ट में ही सुप्रीम कोर्ट बाबरी मस्जिद केस के अधिवक्ता राजीव धवन ने फाड़ दिया था। फाड़े गए मानचित्र के बारे में जानना रोचक है। यह मानचित्र तीन वर्ष पूर्व प्रकाशित मंदिर-मस्जिद विवाद के प्रतिनिधि ग्रंथ 'अयोध्या रिविजिटेडÓ में संलग्न है। पुस्तक के लेखक गुजरात के सहायक पुलिस महानिदेशक के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले आचार्य कुणालकिशोर हैं। यह शोधपूर्ण ग्रंथ उन्होंने एक दशक की मेहनत से तैयार किया है और इसमें पुरातन-प्राचीन संदर्भों तथा आधुनिक घटनाक्रम को संयोजित कर निष्कर्ष निकालने की कोशिश हुई है।  

ब्रिटिशकालीन गजेटियर को आधार है अयोध्या रिविजिटेड

आचार्य कुणाल ने यूरोपीय एवं अरब यात्रियों, विभिन्न धाराओं के समकालीन इतिहासकारों के विवरण एवं ब्रिटिशकालीन गजेटियर को आधार बनाया। अयोध्या रिविजिटेड में उन्होंने यह बताया है कि रामजन्मभूमि पर बने मंदिर को बाबर ने नहीं औरंगजेब ने तोड़वाया था। औरंगजेब धर्मांध था तथा उसी के समय देश के कई प्रमुख मंदिरों को तोड़े जाने के दौरान 1760 में रामजन्मभूमि पर बना मंदिर भी तोड़ा गया। इसी संदर्भ में वह मानचित्र भी है, जिसे देखकर मस्जिद की पैरवी करने वाले अधिवक्ता कोर्ट में ही भड़क उठेे।

यह मानचित्र 30 नवंबर 1858 में सईद मोहम्मद की रिपोर्ट, 1767 में ब्रिटिश यात्री जोसफ ट््िलफ्नर के वृत्तांत, 1810 में फ्रांसिस बुकानन की प्लॉन ऑफ अयोध्या, आक्सफोर्ड की लाइब्रेरी में संरक्षित अयोध्या महात्म्य, 1870 में प्रकाशित पीसी कार्नेगी की 'अजुधिया महात्मÓ और 1950 के एक प्रामाणिक मानचित्र के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें करीब 14 हजार वर्ग फीट के संपूर्ण विवादित स्थल सहित आस-पास की भूमि पर भी मंदिर दर्शित किया गया है और मस्जिद का कोई निशान नहीं है। 

अयोध्या से है गहरा जुडा़व

 मूलत: बिहार के आचार्य कुणाल का अयोध्या से गहरा जुड़ाव है। दो दशक पूर्व स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने अयोध्या को केंद्र बनाकर सेवा एवं अध्यात्म के प्रकल्प चलाए। विवादित स्थल से सटा अमावा राज मंदिर उनके स्थानीय प्रकल्प का केंद्र है। ऐतिहासिक-सामाजिक संदर्भ की अनेक कृतियों के लेखक कुणाल कवि भी हैं और उनके संरक्षण में पटना का प्रसिद्ध महावीर मंदिर एवं महावीर कैंसर संस्थान संचालित है। 

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