लखनऊ में पीडब्ल्यूडी की लापरवाही, दो माह बाद भी नहीं बन सकी एलडीए की सड़कें
डीएम एवं लविप्रा उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने बताया था कि एलडीए को सड़के बनाने में विशेषज्ञता नहीं है। पीडब्ल्यूडी जितनी अच्छी सड़के बना सकता है वह प्राधिकरण नहीं। क्योंकि पीडब्ल्यूडी का मूल काम ही सड़कों का जाल बिछाना है।
लखनऊ, जेएनएन। लखनऊ विकास प्राधिकरण ने मार्च माह में गांधी सेतु व भागीदारी भवन की सड़के बनाने का काम आपसी सहमति से तय हुआ था। इनका काम आज भी अधूरा है। वहीं लोक निर्माण विभाग को प्राधिकरण ने 18 मीटर से ऊपर की सड़के देने की बात कही थी, लेकिन फाइलों में यह काम आज तक चल रहा है। इससे लविप्रा की कालोनियों में बनने वाली सड़कों का काम शुरू नहीं हो पाया है। अब अभियंता कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप का हवाला दे रहे हैं।
डीएम एवं लविप्रा उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश के आदेश पर सवा माह पहले यह कवायद शुरू हुई थी। मुख्य अभियंता इन्दु शेखर ने गांधी सेतु व भागीदारी भवन की सड़के पीडब्ल्यूडी द्वारा बनाने की बात कही थी, इस पर पहले मार्च माह में ही काम होना था। क्योंकि प्राधिकरण के पास बजट सड़क बनाने के लिए था नहीं। वहीं पीडब्ल्यूडी की हां से उम्मीद जगी थी, लेकिन बदहाल सड़के आज भी नहीं बन सकी। वहीं मार्च माह भी निकल गया। अब प्राधिकरण स्थितियां सामान्य होने का इंतजार कर रहा है। वहीं डीएम एवं लविप्रा उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने बताया था कि लविप्रा को सड़के बनाने में विशेषज्ञता नहीं है। पीडब्ल्यूडी जितनी अच्छी सड़के बना सकता है, वह प्राधिकरण नहीं। क्योंकि पीडब्ल्यूडी का मूल काम ही सड़कों का जाल बिछाना है। उन्होंने बताया कि पहले चरण में 18 मीटर या उससे चौड़ी सड़के ही दी जाएंगी। बता दें कि हर साल कई करोड़ रुपये सड़कों के बनाने और उनके रखरखाव में खर्च हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि नई टाउनशिप बनाते वक्त जरूर प्राधिकरण सड़के पूर्व की तरह बनाता रहेगा।
इन कालोनियों की हैं सड़के: लविप्रा द्वारा गोमती नगर, गोमती नगर विस्तार, अलीगंज, शारदा नगर, रत्न खंड, रुचि खंड, मानसरोवर, कानपुर रोड, बसंत कुंज, जानकीपुरम, जानकीपुरम विस्तार, सेक्टर जे सहित कई कालोनियों में अभी तक प्राधिकरण ही सड़के बनाता था। अब इन्हें पीडब्ल्यूडी को स्थानांतरित कर दिया जाएगा।