लखनऊ नगर निगम के लाइसेंस से चलेंगे सार्वजनिक वाहन, व्यावसायिक गतिविधियों पर भी कसेगा शिकंजा

टेंपो बस समेत सार्वजनिक वाहनों के संचालन के साथ कुछ व्यावसायिक गतिविधियों पर शिकंजा कसने जा रहा है। नगर निगम की तरफ से जारी होने वाले लाइसेंस से ही सार्वजिनक वाहन चल सकेंगे। वाहन मालिकों को लाइसेंस शुल्क भी देना होगा।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Wed, 29 Sep 2021 06:15 AM (IST) Updated:Wed, 29 Sep 2021 06:32 PM (IST)
लखनऊ नगर निगम के लाइसेंस से चलेंगे सार्वजनिक वाहन, व्यावसायिक गतिविधियों पर भी कसेगा शिकंजा
लखनऊ नगर निगम कार्यकारिणी समिति की बैठक 30 स‍ितंबर को।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। नगर निगम टेंपो, बस समेत सार्वजनिक वाहनों के संचालन के साथ कुछ व्यावसायिक गतिविधियों पर शिकंजा कसने जा रहा है। अब नगर निगम की तरफ से जारी होने वाले लाइसेंस से ही सार्वजिनक वाहन चल सकेंगे। इतना ही नहीं, वाहन मालिकों को लाइसेंस शुल्क भी देना होगा। इससे नगर निगम की आय में हर साल इजाफा होगा, साथ ही नियमावली लागू होने से वाहनों चालकों की मनमानी पर लगाम लग सकेगी। नगर निगम कार्यकारिणी समिति की तीस सितंबर को सुबह 11:15 बजे से होने वाली बैठक में लाइसेंस शुल्क वसूलने और नियमावली बनाने का प्रस्ताव लाया जाएगा।

महापौर की अध्यक्षता वाली कार्यकारिणी समिति में अधिकारियों के साथ ही बारह पार्षद भी होते हैं, जो नगर निगम के नीतिगत निर्णय लेने के लिए अधिकृत होते हैं। कुल आठ प्रस्ताव चर्चा के लिए लाए जाने हैं। इसमें प्रमुख हैं नगर निगम की सीमा क्षेत्र में संचालित आटो, टैक्सी, ई-रिक्शा, बस, मिनी बस के मालिकों और व्यवसाय करने वालों के लिए तैयार की गई उपविधि। यह उपविधि वाणिज्य नियंत्रण अनुज्ञप्ति कहलाएगी।

परिवहन चालकों के लिए शर्ते

चालकों को ड्राइविंग लाइसेंस रखना होगा। आटो वाहन को परिवहन विभाग से पास कराना होगा और प्रदूषण प्रमाणपत्र रखना होगा। वार्षिक रोड टैक्स, बीमा के कागजात रखने होंगे। आटो रिक्शा, थ्री सीटर और सात सीटर ई-रिक्शा में अतिरिक्त सवारियां ढोने पर चालान होगा। ऐसा ही बस और मिनी बस के लिए भी नियम होगा। वाहनों का फिटेनस प्रमाण पत्र होना अनिवार्य होगा। एक अप्रैल से 31 मार्च तक का लाइसेंस बनेगा। एक अप्रैल से तीस जून के बीच नवीनीकरण शुल्क जमा करने पर दस रुपये प्रतिदिन के हिसाब से विलंब शुल्क देना होगा।  

लाइसेंस की वार्षिक दरें

आटो रिक्शा तीन सीटर 15 सौ रुपये आटो रिक्शा सात सीटर दो हजार रुपये ई-रिक्शा पंद्रह सौ रुपये मिनी बस तीन हजार रुपये बस पांच हजार रुपये तांगा दो सौ रुपये ट्राली (तीन पहियों का सामान ढोने वाली) तीन सौ रुपये अन्य चार पहिया वाहन (व्यापारिक प्रयोग के लिए) तीन हजार रुपये

लांड्री और ड्राई क्लीनर्स को लगाना होगा रेट बोर्ड : नगर निगम लांड्री और ड्राई क्लीनिंग करने वालों को भी लाइसेंस के दायरे में लाया जा रहा है। लांड्री और ड्राई क्लीनर्स, फाइनेंस कंपनी, चिट फंड कंपनी बीमा कंपनियों को अपनी दुकान व दफ्तर के बाहर जनसुविधा के लिए रेट बोर्ड व अन्य जानकारी को प्रदर्शित करना होगा।

किनका कितना वार्षिक शुल्क

धुलाई गृह (लांड्री) एक हजार ड्राई क्लीनर्स तीन हजार फाइनेंस कंपनी और चिटफंड आठ हजार बीमा कंपनी प्रति शाखा 15 हजार

गुरुनानक मार्केट की संपत्तियों की दर तय होगी : चारबाग में नगर निगम की गुरुनानक मार्केट की तय दरों पर चर्चा के साथ ही लीज पर विक्रय करने का प्रस्ताव (शासन को भेजने के लिए) कार्यकारिणी समिति के समक्ष लाया जाएगा। नगर निगम कार्यकारिणी समिति ने दरों को तय करने के लिए कमेटी बनाई थी। कमेटी ने आवासीय भवनों को अनावासीय भवन बनाने वाले और अध्यासियों की तरह काबिज लोगों की दरों को पूर्व में तय किया था।

ये प्रस्ताव भी आएंगे आर्यनगर में नगर निगम की डिस्पेंसरी को नगरीय स्वास्थ्य केंद्र के संचालन के लिए एक रुपये प्रतिवर्ष टोकन मनी पर सीएमओ को दी जाएगी। सिंगार नगर मेट्रो स्टेशन के लिए नगर निगम द्वारा उपलब्ध जमीन के संबंध में उच्च न्यायालय की तरफ से मेडीएटर द्वारा कराए गए सेटेलमेंट का प्रस्ताव आएगा। मोहन मार्केट में आवंटित दुकानों को आवंटियों के पक्ष में विक्रय किए जाने को लेकर कार्यकारिणी उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट पर निर्णय होगा।

चिकित्सा प्रतिपूर्ति का प्रस्ताव हटाने से बढ़ी नाराजगी : वर्ष 2016-17 से चिकित्सा प्रतिपूर्ति पाने के लिए परेशान नगर निगम के कर्मचारियों और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को नगर निगम कार्यकारिणी समिति की होने वाली बैठक से निराशा लगी है। कार्यकारिणी समिति की होने वाली बैठक में चिकित्सा प्रतिपूर्ति के प्रस्ताव को नहीं रखा गया है। नगर निगम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष आनंद वर्मा और महामंत्री रामअचल ने महापौर को पत्र भेजकर नाराजगी जताई है। कर्मचारी संघ अध्यक्ष आनंद वर्मा ने बताया कि अगर कार्यकारिणी समिति ने चिकित्सा प्रतिपूर्ति का प्रस्ताव पास नहीं किया तो उन कर्मचारियों के लिए आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा, जो इलाज करा रहे हैं। आगे आचार संहिता लागू से कार्यकारिणी समिति की बैठक नहीं हो पाएगी और यह मामला लटक जाएगा। महापौर को पत्र भेजकर प्रस्ताव को शामिल करने की मांग की गई है।

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