Lucknow Plot Scam: गोमती नगर में 22 भूखंडों के घोटाले की जांच ने पकड़ी गति, दिवाली से पहले जेल जा सकते हैं कई
एलडीए के भूखंड घोटाले की जांच को गति मिलनी शुरू हो गई है। अब लविप्रा विनम्र खंड वास्तु खंड विराज खंड विकल्प खंड विक्रांत खंड और विराट खंड के भूखंडों की कुंडली पलटनी शुरू कर दी है। उम्मीद है कि दीपावली से पहले आरोपियों को जेल जाना तय है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। गोमती नगर के बाइस भूखंडों का घोटाला कई बाबू व पूर्व अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करेगा। पहले पंद्रह भूखंड, फिर गोमती नगर के तेरह भूखंड पर एफआइआर और अब बाइस भूखंडों की बाहर ही बाहर फर्जी रजिस्ट्री करने का मामला सामने आया है। इस पूरे खेल में वही पुराना गैंग है, जिसने गोमती नगर में पहले भी घोटाले किए थे, वहीं ट्रांसपोर्ट नगर भूखंड घोटाले में शामिल जालसाजों की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता। फिलहाल सोमवार से मामले की जांच को गति देने का काम शुरू कर दिया गया है।
अब लविप्रा विनम्र खंड, वास्तु खंड, विराज खंड, विकल्प खंड, विक्रांत खंड और विराट खंड के भूखंडों की कुंडली पलटनी शुरू कर दी है। उम्मीद है कि दीपावली से पहले आरोपियों को जेल जाना तय है।
ज्ञानेंद्र वर्मा, अपर सचिव, लविप्रा ने बताया कि नायब तहसीलदार स्निग्धा चतुर्वेदी एक बार फिर मामले की जांच करेंगी। सोमवार से उन्नीस भूखंड की फाइलें संबंधित बाबुओं से तलब की गई हैं। अब एक एक फाइल की जांच होगी। वहीं जेल भेजे गए आरोपी बाबू पवन गौतम द्वारा रजिस्ट्री आफिस में इससे पहले कितनी रजिस्ट्री कराई गई, उसका ब्योरा खंगाला जा रहा है। साथ ही बाइस भूखंडों की सत्यापित प्रति भी रजिस्ट्री सेल से मंगाने का काम शुरू कर दिया गया है। इन भूखंडों में नब्बे फीसद कंप्यूटर पर जो ब्योरा चढ़ाया गया है वह वर्ष 2017 से वर्ष 2019 के बीच अजय प्रताप वर्मा की आइडी 2858 का प्रयोग करके चढ़ाया गया है, जो बिना कंप्यूटर सेल की मिलीभगत से संभव नहीं है।
इन भूखंडों की बाहर ही बाहर हुई रजिस्ट्री: विनम्र खंड 1/275, 1/327, 3/222ए, 3/250, वास्तु खंड 3/521, 3/564, 3/583, 3/358, 3/360, विराज खंड 2/80, 2/81, 2/63एच, 3/154, विकल्प खंड में 3/138, 2/387ए, 2/387बी, 2/387सी, 3/372, 2/377ए, विक्रांत खंड 3/262ए, विराट खंड 1/138, 3/270ए हैं।
दीपावली में कई भूखंड दोबारा व तीसरी बार बेचने की थी तैयारी: दीपावली से पहले इन भूखंडों को फिर बेचने की तैयारी थी। इनमें बारह भूखंड बेचे जा चुके थे, कइयों को दोबारा, तीसरी बार और चाैथी बार बेचने की तैयारी थी। अब भूखंड नंबर जारी होने के बाद योजना देख रहे बाबू, अफसर और फर्जीवाड़े करने वाले सब सक्रिय हो गए हैं। इसलिए जालसाजों के मंसूबों पर पानी फिर गया है।