लखनऊ जिला जेल से कैदी के भागने का मामला: अधिकारियों बचाने की कवायद तेज, वार्डेन पर सारा दोष मढ़ने की तैयारी

लखनऊ जिला जेल से कैदी के भागने का मामला हत्या के आरोप में सजा काट रहा कैदी यशवंत 26 दिसंबर को जेल से भागा। तीन साल पहले जेल में आया था। वह मूल रूप से सीतापुर के मनापुर संगत महमूदाबाद का रहने वाला है।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Mon, 28 Dec 2020 04:21 PM (IST) Updated:Mon, 28 Dec 2020 11:55 PM (IST)
लखनऊ जिला जेल से कैदी के भागने का मामला: अधिकारियों बचाने की कवायद तेज, वार्डेन पर सारा दोष मढ़ने की तैयारी
हत्या के आरोप में सजा काट रहा कैदी यशवंत 26 दिसंबर को लखनऊ जिला जेल से भागा।

लखनऊ, जेएनएन। राजधानी के जिला कारागार से शनिवार को हत्या के आरोप में सजा काट रहे कैदी यशवंत के भागने के मामले में जेल के वार्डेन रविंद्र कुमार यादव प्रथम दृष्टया डीआइजी की जांच में दोषी पाए गए हैं। इस मामले में भी जेल के जिम्मेदार अधिकारियों बचाने की कवायद की जा रही है। सोमवार को जांच अधिकारी डीआइजी संजीव त्रिपाठी जेल में जाकर ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों और अधिकारियों के बयान दर्ज करेंगे। वहीं, पुलिस ने कैदी यशवंत की तलाश में एक पुलिस टीम हरदोई भेजी है।

हाल में जेल से छूटे साथी कैदियों का ब्योरा खंगाल रही पुलिस

इंस्पेक्टर गोसाईगंज धीरेंद्र कुशवाहा ने बताया कि यशवंत के जो साथी हाल ही में जेल से छूटे हैं। उनका ब्योरा खंगाला जा रहा है। उनके मोबाइल नंबर भी जुटाए जा रहे हैं। हो सकता है कि यशवंत उनके संपर्क में आकर भागा हो। उसके साथियों को ट्रेस किया जा रहा है। इसके साथ ही यशवंत के हरदोई निवासी एक साथी के घर पर टीम भेजी गई है। पर अभी तक कुछ यशवंत के बारे में कोई सुराग पुलिस के हाथ नहीं लगा है। वहीं, एक टीम कैदी के सीतापुर के महमूदाबाद स्थित घर भेजी गई पर वहां भी कुछ सुराग न लगा।

करीब डेढ़ घंटे बाद जेल अधिकारियों को दी थी सूचना

डीआइजी संजीव त्रिपाठी ने बताया कि कैदी जेल के बाहर दुकान पर जाने की बात कहकर करीब 09ः45 बजे निकला था। जब वह नहीं लौटा तो जेल वार्डेन रविंद्र कुमार यादव ने उसकी खोजबीन शुरू की। काफी तलाश के बाद जब वह नहीं मिला तो करीब 11ः30 बजे जेल के अधिकारियों को उसकी सूचना दी। वार्डेन द्वारा सूचना भी जेल अधिकारियों को देर से दी गई।

पहले की जांचों में भी हुई लीपापोती

बीते दिनों कई मामलों को लेकर जिला कारागार विवादों में रहा। कई मामलों की जांच भी हुई पर लीपापोती कर अधिकारियों को बचा लिया गया। कुछ दिन पहले ही जेल में बंद एक अधिकारी के बेटे से वसूली का मामला प्रकाश में आया था। जिस पर जांच हुई पर मामले को घुमा दिया गया। जेल में बंदी के पास से मोबाइल बरामद होने का मामला आया था। उसमें भी जांच बैठी पर कार्रवाई कोई नहीं हुई।

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