Lucknow Zoo News: गर्भवती आशी की मौत, बच्चे के भ्रूण में संक्रमण बनी वजह; स्टाफ में मायूसी

Lucknow Zoo News चिडिय़ाघर के उप निदेशक डा. उत्कर्ष शुक्ला ने बताया कि बुधवार दोपहर मादा हिप्पो को उसके बाड़े में मृत पाया गया। अब पोस्टमार्टम के बाद ही मौत का कारण पता चल सकेगा। वह गर्भवती थी। पांच फरवरी से वह बीमार चल रही थी।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 05:03 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 08:13 AM (IST)
Lucknow Zoo News: गर्भवती आशी की मौत, बच्चे के भ्रूण में संक्रमण बनी वजह;  स्टाफ में मायूसी
उसके इलाज के लिए विदेश के चिकित्सकों के राय ली गई थी।

लखनऊ, जेएनएन। Lucknow Zoo News: चिडिय़ाघर की मादा हिप्पों आशी की बुधवार दोपहर मौत हो गई है। वह गर्भवती थी और कुछ समय से बीमार चल रही थी। पोस्टमार्टम में बच्चे के भ्रूण में संक्रमण होने से मौत होने की बात सामने आई है। देश विदेश के चिकित्सकों की राय के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका। चिड़िय़ाघर के उप निदेशक डा. उत्कर्ष शुक्ला ने बताया कि बुधवार दोपहर मादा हिप्पो उसके बाड़े में मृत पाया गया। वह गर्भवती थी. पांच फरवरी से वह बीमार चल रही थी और भोजन भी नहीं खा रही थी. बरेली के भारतीय पशु चिकित्सा केंद्र के प्रभारी डा. अभिजीत पावड़े की सलाह ली गई थी। इसके अलावा इलाज के लिए कानपुर और दिल्ली समेत कई चिडिय़ाघरों के पशु चिकित्सकों के भी सुझाव मांगे गए थे। वह 24 साल की थी और पिछली फरवरी से प्रसव नहीं होने के चलते बीमार चल रही थी।

आशी के पोस्माॅर्टम में यह बात सामने आई है कि गर्भस्थ भ्रूण में संक्रमण की वजह से आशी की मौत हुई है। आशी के गुजर जाने से उसकी देखभाल में लगे स्टाफ में मायूसी है। नवाब वाजिद अली शाह में दो हिप्पो यानी दरियाई घोड़े थे। मादा दरियाई घोड़ा आशी के गर्भवती होने की खबर से दर्शक भी छोटे हिप्पो का इंतजार कर रहे थे अपने गर्भकाल के 240 दिन बाद भी उसे कोई बच्चा नहीं हुआ। जिसका प्रभाव उसके व्यवहार में दिखने लगा। उसने चारा खाना बंद कर दिया। अपने बाड़े में अक्सर गुमसुम दिखाई देती रही। जिसके बाद प्राणि उद्यान ने देश-विदेश के वन्यजीव चिकित्सकों और विशेषज्ञों से संपर्क कर उसका इलाज शुरू किया। बीच में वह बेहतर निगरानी के चलते अवसाद से उबरने भी लगी थी। उसकी सेहत ज्यादा दिन नहीं सुधरी।

चिड़ि‍याघर प्रशासन लगातार कहता रहा कि उसकी स्थिति चिंताजनक है। हम उसका इलाज उसके व्यवहार और लक्षणों के आधार पर कर रहे हैं। वन्यजीवों की चिकित्सा करने की सीमाएं हैं। वह दो महीने तक बीमारी से जूझती रही और आखिकार उसने दम तोड़ दिया। करीब 25 साल तक वह दर्शकों की पसंदीदा बनी रही। प्राणि उद्यान में तीन हिप्पो थे। मादा आशी (24 ), नर धीरज (35) और उनकी संतान आदित्य (5)।

पोस्टमॉर्टम में निकला संक्रमण

प्राणि उद्यान निदेशक आरके सिंह ने बताया कि मादा आशी के गुजर जाने के बाद उसका पोस्टमॉर्टेम किया गया। पशुपालन विभाग बादशाहनगर के अधीक्षक पालीक्लिनिक डा नरवीर सिंह, डा.विनीत यादव, उपनिदेशक डा. उत्कर्ष शुक्ल, पशु चिकित्सक डा. अशोक कश्यप, डा बृजेंद्र मणि यादव की टीम ने पोस्टमार्टम किया। पोस्माॅर्टम में भ्रूण में संक्रमण की वजह से मौत बताई जा रही है. हालांकि चिड़ियाघर प्रशासन इतने लंबे समय बाद उसे बचा नही सका। इस पर सवाल खड़े हो रहे हैंकि चिडि़याघर प्रशासन यह तक तो पता नहीं कर पाया कि आशी के पेट में पल रहे बच्चे की क्या स्थिति है।

सूने होते गए बाड़े करीब डेढ़ साल पहले 14 वर्ष की हिप्पो मुन्नी की मौत। दो महीने के भीतर इसके दो साल के बेटे बादल की भी मौत। 2015 में मादा जिराफ सुजाता के बच्चे की मौत जन्म के दो घंटे के भीतर हो गई थी. 2018 में गैंडे लोहित ने दम तोड़ दिया था। 2019 में प्राणि उद्यान के हीरो हुक्कू कालू बंदर की मौत।

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