लखनऊ के चंदरनगर गुरुद्वारे में प्रकाशोत्सव की धूम, महिला संगतों ने किया विशेष पाठ

लखनऊ के चंदरनगर गुरुद्वारे में रविवार को प्रकाशोत्सव के मौके पर फूलों से सजा दरबार हाल शबद कीर्तन सुनाते रागी जत्थे और लंगर सेवा करते सेवादारों का अद्भुद नजारा देखने को मिला। गुरुद्वारे के अध्यक्ष मनमोहन सिंह ने बताया कि महिला संगतों ने सुबह विशेष पाठ किया।

By Dharmendra MishraEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 03:37 PM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 03:37 PM (IST)
लखनऊ के चंदरनगर गुरुद्वारे में प्रकाशोत्सव की धूम, महिला संगतों ने किया विशेष पाठ
गुरुद्वारे के अध्यक्ष मनमोहन सिंह ने बताया कि फूलों की बारिश के बीच मोहक दीवान सजाया गया।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। लखनऊ के चंदरनगर गुरुद्वारे में रविवार को प्रकाशोत्सव के मौके पर फूलों से सजा दरबार हाल, शबद कीर्तन सुनाते रागी जत्थे और लंगर सेवा करते सेवादारों का अद्भुद नजारा देखने को मिल रहा था। गुरुद्वारे के अध्यक्ष मनमोहन सिंह ने बताया कि फूलों की बारिश के बीच मोहक दीवान सजाया गया। महिला संगतों ने सुबह विशेष पाठ किया। फिर दोपहर बाद लंगर के साथ प्रकाशोत्सव का समापन हुआ।

चार साहिब जादों का शहीदी दिवस 24 दिसंबर सेः

लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से चार साहिबजादों और माता गुजरी का शहीदी दिवस 24 दिसंबर से शुरू होगा। कमेटी के प्रवक्ता सतपाल सिंह मीत ने बताया कि अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बग्गा के संयोजन में गुरुद्वारा नाका हिंडोला में विशेष दरबार सजेगा। माता गुजरी देवी सत्संग सभा के सहयोग से होने वाले आयोजन में दिल्ली के भाई भुपिंदर सिंह, लुधियाना की बीबी जसप्रीत कौर के अलावा हेडग्रंथी सुखदेव सिंह और रागी भाई राजिंदर सिंह चार साहिबजादों की जीवनी पर प्रकाश डालेंगे।

कौन थे चार साहिबजादे

लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बग्गा ने बताया कि सिखों के 10वेंगुरु गोविंद सिंह जी चार पुत्रों को सिख समाज साहिबजादे के नाम से संबोधित करता है। गुरु गोविंद सिंह जब परिवार से जुदा हो रहे थे तो एक ओर जहां बड़े साहिबजादे गुरु जी के साथ चले गए तो छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह माता गुजरी के साथ चले गए। मुगलों ने आखिर में दोनों छोटे साहिबजादों को जिंदा दीवारों में चुनवाने का एलान किया। 'जपुजी साहिब' के पाठ के साथ दोनों साहिबजादे दीवार में चुनने को तैयार हो गए।

कुछ समय के बाद दीवार तोड़ी गई तो वे जिंदा थे। फिर दोनों को मौत के घाट उतार दिया गया। बड़े साहिबजादे अजीत सिंह चकमौर के युद्ध में वीर गति को प्राप्त हुए। अजीत सिंह के छोटे भाई जुझार सिंह ने भी मोर्चा संभाला और शहीद हो गए। ऐसे में चारों साहिबजादों के शहीदी दिवस पर सिख समाज उन्हें नमन करना है।

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