उपलब्धता न बढ़ने से यूपी में बिजली संकट बरकरार, सीएम योगी आज आपूर्ति की स्थिति की करेंगे समीक्षा

कोयले की किल्लत से उत्पादन नहीं बढ़ने के कारण यूपी में बिजली का संकट बरकरार है। उपलब्धता घटने से गांव में 15 घंटे से ज्यादा बिजली की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। प्रदेश में जारी बिजली संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री विद्युत व्यवस्था को लेकर सोमवार वीडियो कांफ्रेंसिंग करेंगे।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Mon, 11 Oct 2021 06:30 AM (IST) Updated:Mon, 11 Oct 2021 10:45 AM (IST)
उपलब्धता न बढ़ने से यूपी में बिजली संकट बरकरार, सीएम योगी आज आपूर्ति की स्थिति की करेंगे समीक्षा
कोयले की किल्लत से जारी बिजली संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री विद्युत व्यवस्था को लेकर सोमवार वीडियो कांफ्रेंसिंग करेंगे।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। कोयले की किल्लत से उत्पादन नहीं बढ़ने के कारण उत्तर प्रदेश में बिजली का संकट बरकरार है। उपलब्धता घटने से गांव में 15 घंटे से ज्यादा बिजली की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोयले के लिए जहां केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। कोयले की किल्लत से प्रदेश में जारी बिजली संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री विद्युत व्यवस्था को लेकर सोमवार वीडियो कांफ्रेंसिंग करेंगे। वहीं ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने सभी तापीय बिजली घरों को अधिकतम बिजली का उत्पादन करने के निर्देश दिए हैं। मंत्री ने दावा किया कि प्रदेशवासियों को तय शेड्यूल के मुताबिक बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। जल्द ही कोयले की उपलब्धता बढ़ने से स्थित सामान्य हो जाएगा। 

बदलते मौसम से राज्य में बिजली की मांग इनदिनों 17-18 हजार मेगावाट है। हालांकि, उपलब्धता 15300 मेगावाट के आसपास ही है। मांग व उपलब्धता में लगभग दो हजार मेगावाट का अंतर होने से गांवों में 18 घंटे के बजाय 14-15 घंटे ही बिजली की आपूर्ति हो रही है। इसी तरह तहसील स्तर के कस्बों में 21.30 घंटे के बजाय लगभग 20 घंटे और बुंदेलखंड को 17.30 घंटे ही बिजली दी जा रही है। वैसे बुंदेलखंड को 20 घंटे बिजली आपूर्ति का शेड्यूल है।

कोयले की कमी के चलते उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम की हरदुआगंज, पारीछा, अनपरा का 1089 मेगावाट उत्पादन ठप है। ओबरा सहित इन बिजली घरों से लगभग 3200 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। कम कोयले की स्थित को देखते हुए न्यूनतम क्षमता पर ही यूनिटें चलाई जा रही है। उत्पादन निगम के 610 मेगावाट के हरदुआगंज के पास सिर्फ एक दिन का कोयला है। बिजली घर को प्रतिदिन आठ हजार टन कोयला चाहिए और सिर्फ 8315 टन ही कोयला है इसलिए 370 मेगावाट बिजली का उत्पादन ठप हो गया है।

इसी तरह 920 मेगावाट के पारीछा प्लांट के पास 12,539 टन कोयला ही है जबकि प्रतिदिन के लिए 15 हजार टन चाहिए। एक दिन का भी कोयला न होने से 600 मेगावाट की यूनिटें बंद हैं। 2630 मेगावाट का अनपरा प्लांट की 119 मेगावाट की यूनिट बंद है। यहां दो दिन के लिए कोयला है। प्रतिदिन 40 हजार टन कोयला चाहिए जबकि स्टाक में 82,967 टन है। 800 मेगावाट के ओबरा प्लांट के पास 40 हजार टन से ज्यादा का कोयला होने से ढाई दिन बिजली घर को चलाया जा सकता है। यहां प्रतिदिन 16 हजार टन की खपत है।

गंभीर होते कोयला संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। लगभग 1500 करोड़ रुपये कोयले के बकाए में से भी तकरीबन 400 करोड़ का जल्द भुगतान कोल इंडिया को करने की तैयारी है ताकि कोयले की आपूर्ति तेज हो सके। ऊर्जा मंत्री ने बताया कि कोयले की आपूर्ति पर पूरी नजर रखी जा रही है। हरदुआगंज व पारीछा के लिए चार-चार रेक कोयला आ रहा है। उऩ्होंने बताया कि अब कोई और यूनिट बंद होने की नौबत नहीं आने दी जाएगी। निजी क्षेत्र को भी कोयले की उपलब्धता को बढ़ाते हुए बिजली का अधिकतम उत्पादन करने के लिए कहा गया है।

मंत्री ने कहा कि दिन-प्रतिदिन बिजली की आपूर्ति बेहतर होगी। इस बीच निजी क्षेत्र में ललिलपुर और बारा की एक-एक और यूनिट से बिजली का उत्पादन शुरू होने से फिलहाल 800 मेगावाट उत्पादन बढ़ा है। बिजली संकट से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने ऊर्जा मंत्री से बात की। मौजूदा बिजली संकट पर आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे का स्पष्ट तौर पर कहना है कि यह कुप्रबंधन का ही नतीजा है।

बिजली संकट को लेकर सीएम आज करेंगे वीडियो कांफ्रेंसिंग : कोयले की किल्लत से प्रदेश में जारी बिजली संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विद्युत व्यवस्था को लेकर सोमवार दोपहर 3.30 बजे वीडियो कांफ्रेंसिंग करेंगे। वीडियो कांफ्रेंसिंग से प्रदेश के सभी मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, एडीजी सतर्कता, सभी डिस्काम के प्रबंध निदेशक जुड़ेंगे। प्रदेश में विद्युत आपूर्ति की स्थिति की समीक्षा के अलावा बिजली चोरी और गलत मीटर रीडिंग को लेकर भी मुख्यमंत्री निर्देश दे सकते हैं। गौरतलब है कि विद्युत संयंत्रों में कोयले की किल्लत से बिजली संकट गहरा गया है। बिजली का उत्पादन प्रभावित होने से जबर्दस्त कटौती भी हो रही है। मुख्यमंत्री के साथ बैठक में भाजपा के विधायकों और सांसदों ने भी बिजली कटौती के मुद्दे को जोरशोर से उठाया था।

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