साप्ताहिक बंदी पर पुलिस की सख्ती

लखनऊ जेएनएन। कोरोना की मार से बेहाल हुए व्यापार पर त्योहारी सीजन में अब पुलिस की निगाह टेढ़ी हो

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Oct 2020 01:41 AM (IST) Updated:Fri, 30 Oct 2020 01:41 AM (IST)
साप्ताहिक बंदी पर पुलिस की सख्ती
साप्ताहिक बंदी पर पुलिस की सख्ती

लखनऊ, जेएनएन। कोरोना की मार से बेहाल हुए व्यापार पर त्योहारी सीजन में अब पुलिस की निगाह टेढ़ी हो गई है। साप्ताहिक बंदी के दिन गुरुवार को अमीनाबाद, गणेशगंज, श्रीराम रोड, हीवेट रोड, यहियागंज, चौक, मोहन मार्केट, नाका हिंडोला, ऐशबाग, बालागंज, आलमबाग समेत कई इलाकों में बाजारों को पुलिस ने खुलने नहीं दिया। इसे लेकर व्यापारियों ने विधि एवं न्याय मंत्री ब्रजेश पाठक को ज्ञापन भेजकर त्योहारी सीजन में दुकानें खोलने की माग की है। व्यापारियों का कहना है कि दीपावली के चंद दिन शेष हैं। महीनों से ठप पड़े कारोबार को गति देने के लिए इस माह साप्ताहिक बंदी में दुकानें खोलने की अनुमति दी जाए।

व्यापारियों ने आरोप लगाया है कि साप्ताहिक बंदी वाले बाजारों को गुरुवार को खोलने नहीं दिया गया। चौपट कारोबार को देखते हुए लोग बंदी में कारोबार कर रहे थे। पुलिस ने बाजार बंद करा दिए हैं। व्यापारियों को बताया जा रहा है कि बारावफात के जुलूस पर सतर्कता बरतने की वजह से बाजार बंद कराए गए हैं।

सभी संगठनों ने जताया एतराज बाजार बंद कराया जाना गलत है। शुक्रवार को भी सख्ती बरते जाने की बात सामने आ रही है। यह पूरी तरह से मनमानी कार्यप्रणाली है। ऐसे निर्णय व्यापारियों और संगठनों को शामिल किए बिना नहीं लिए जाने चाहिए। अचानक इस तरह के फैसले से व्यापारी नाराज हैं।

अमरनाथ मिश्र, वरिष्ठ महामंत्री लखनऊ व्यापार मंडल एवं अध्यक्ष यहियागंज

जुलूस को लेकर बनाया गया दबाव गलत है। कोरोना के दौर में वैसे भी व्यापार पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है। अब मात्र दो से तीन हफ्तों के कारोबार में इस तरह की बंदिश गलत है। बाजार खुलने की अनुमति दी जाए। यह गलत तरीका है।

अशोक मोतियानी, अध्यक्ष लखनऊ कपड़ा व्यापार मंडल

त्योहार पर साप्ताहिक बंदी से छूट होनी चाहिए थी। लॉकडाउन में व्यापारी वैसे ही परेशान रहा है। अचानक सख्ती दिखाया जाना गलत है। व्यापारियों से बात किए बिना इस तरह का निर्णय व्यापार की कमर तोड़ता है। इससे अफवाहों का बाजार गर्म है।

संजय गुप्ता, अध्यक्ष आदर्श व्यापार मंडल

प्रशासन को त्योहारों पर छूट देनी चाहिए न कि पुलिस द्वारा व्यापारियों का उत्पीड़न कराया जाना चाहिए। वैसे भी यह साल व्यापारियों के लिए सिवाय नुकसान देने के कुछ नहीं रहा। बाजार साप्ताहिक बंदी में खुलने चाहिए। पुलिस की सख्ती बेवजह है।

संदीप बंसल, अध्यक्ष अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल

त्योहार के वक्त में इस तरह की बंदिशें गलत हैं। इससे कारोबार और तबाह होगा। व्यापार को गति देने का मौका है। ऐसे में साप्ताहिक बंदी के दिन की छूट हर हाल में मिलनी चाहिए। इस तरह की कार्रवाई से खरीदार चला जाता है।

अनिल बजाज, महामंत्री लखनऊ कपड़ा व्यापार मंडल

श्रीराम रोड और अमीनाबाद से जुडे़ बाजारों में अचानक पुलिस की सख्ती से व्यापारी नाराज है। त्योहार में बाजार खोले जाने की बात की जाती है न कि बंद करने की। साप्ताहिक बंदी में बाजार खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए।

उत्तम कपूर, उपाध्यक्ष लखनऊ व्यापार मंडल

नाका से जुडे़ सारे बाजारों को पुलिस ने गुरुवार को खुलने नहीं दिया। जो कुछ दुकानें त्योहार को लेकर खोली भी गई थीं, उन्हें भी पुलिस ने बंद करा दिया। त्योहार पर व्यापारियों को राहत देने के बजाय उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।

पवन मनोचा, अध्यक्ष नाका हिंडोला व्यापार मंडल

करवा, धनतेरस, दीपावली जैसे त्योहारों में कम से कम इस बार तो छूट मिलनी ही चाहिए। इस साल वैसे ही कारोबार ध्वस्त रहा है। अब मात्र एक माह के कारोबार के दौरान पुलिस की सख्ती गलत है।

आदीश जैन, लखनऊ सराफा

नजीराबाद और आसपास के क्षेत्र के सभी प्रमुख बाजारों को त्योहार के समय बंद कराए जाने के लिए पुलिस की सख्ती गलत है। कोरोना में व्यापारियों की पहले से ही कमर टूट चुकी है।

सुरेश छबलानी, व्यापारी नजीराबाद

शहर के प्रमुख बाजारों को अचानक बंद कराए जाने का निर्णय गलत है। साप्ताहिक बंदी त्योहारी सीजन में वैसे भी अनुमन्य होती हैं। ऐसे में राजधानी के सभी प्रमुख बाजारों को पुलिस द्वारा बंद कराया जाना गलत है।

देवेंद्र गुप्ता, अध्यक्ष भूतनाथ बाजार एवं कोषाध्यक्ष व्यापार मंडल जागरण विचार

कोरोना के बाजार को जिस कदर क्षति पहुंचाई थी, त्योहारी सीजन ने उससे उबरने में कारोबारियों की काफी मदद की। बाजार में लौटी ये त्योहारी रौनक व्यापारियों के जख्मों पर मरहम की तरह साबित हुआ। अभी वे पूरी तरह चैन की सांस भी नहीं भर पाए थे कि अब पुलिस उनके प्रति सख्त हो उठी। नि:संदेह कोरोनाकाल में सतर्कता पहली प्राथमिकता है, लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि बाजार का बैठ जाना हमारी उन तमाम कोशिशों को बहुत पीछे धकेल देता है, जिनमें हमने इस संक्रमण के खिलाफ बढ़त बनाई थी। सावधानियां बरतनी होंगी, लेकिन हमें आगे भी बढ़ना होगा। इस संतुलन से ही संक्रमण को मात दी जा सकती है।

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