centenary year celebrations of Lucknow University: पंकज प्रसून ने हास्य व्यंग्य में दिया विज्ञान का संदेश
हास्य व्यंग्य कवि पंकज प्रसून लविवि ने जेनेटिक इंजीनियरिंग माॅलेकुलर बायोलॉजी एनवायरमेंटल साइंस बायोकेमेस्ट्री टॉक्सिकोलॉजी पैरासाइटोलॉजी फिजिक्स के विषयों को कविताओं में पिरोकर उम्दा तरीके से पेश किया गया। पंकज प्रसून ने कहा कि विज्ञान की कविताएं प्राइमरी के पाठ्यक्रम में शामिल की जानी चाहिए।
लखनऊ, जेएनएन। हास्य व्यंग्य कवि पंकज प्रसून विज्ञान को सीरियस नहीं बल्कि सेलिब्रेशन बनाना चाहते हैं। लविवि के शताब्दी वर्ष के अवसर पर मालवीय सभागार में आयोजित कार्यक्रम में भी उन्होंने यही संदेश दिया कि आम जनमानस में कविता के जरिए विज्ञान को प्रसारित किया जा सकता है । पंकज प्रसून इसे अपना लक्ष्य बताते हुए कहते हैं कि विज्ञान कविताएं प्राइमरी के पाठ्यक्रम में शामिल हों, जिससे बच्चे के विकास के शुरुआती दौर में ही वह विज्ञान के सिद्धांतों को सीख जाए। प्रस्तुति में जेनेटिक इंजीनियरिंग, माॅलेकुलर बायोलॉजी, एनवायरमेंटल साइंस, बायोकेमेस्ट्री, टॉक्सिकोलॉजी, पैरासाइटोलॉजी, फिजिक्स के विषयों को कविताओं में पिरोकर उम्दा तरीके से पेश किया गया। अंत में उन्होंने श्रोताओं की फरमाइश पर अपनी कविता लड़कियां बड़ी लड़ाका होती हैं...भी सुनाई। उन्होंने दिल और सेहत के संबंध को एक अलंग अंदाज में परिभाषित करते हुए पढ़ा-
कैसे बने सहारा दिल
ब्लड पम्पिंग से हारा दिल
प्यार घटा है, फैट बढ़ा है
कोलेस्ट्रॉल का मारा दिल...।
पहले मोम की खिड़की थी वह फिर लोहे का डोर हो गई
मीठे बोल बोलती थी फिर डेसीबल का शोर हो गई
शादी से पहले मुझको नाइट्रस ऑक्साइड लगती थी
शादी हुई तो एकदम से वह एचटूएसओफोर हो गई...।
वर्चुअल दुनिया में बनते-बिगड़ते संबंधों पर भी उन्होंने चुटकी ली-
तुमने ब्लॉक किया है मुझको लेकिन इतना बतला देना
दिल में जो प्रोफाइल है वो कैसे ब्लॉक करोगी
बंद किये सारे दरवाजे, लेकिन इतना समझा देना
मन की जो ओपन विंडो है उसको कैसे लॉक करोगी।
आगे कहा-
अंतर्मन की विचरण सीमा इंटरनेट से बहुत बड़ी है
वाॅल फेसबुक की थी पहले आज हमारे बीच खड़ी है।
इन पंक्तियों पर भी खूब ठहाके लगे-
खुल गए उनके अकाउंट फेसबुक पर बैंक में जिनका कोई खाता नहीं है
कर रहे वो साइन इन और साइन आउट
जिनको करना साइन तक आता नहीं है...।
ये इश्क का वायरस है... पंकज प्रसून ने इश्क के वायरस को कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक बताते हुए पढ़ा-
जो है सबसे बड़े रिस्क का वायरस
कंप्यूटर की हार्ड डिस्क का वायरस
कोरोना से ज्यादा खतरनाक है
उसको कहते हैं सब इश्क का वायरस।
प्रेम में विज्ञान का सिलसिला यहीं पर नहीं थमा। उन्होंने कविता में प्रेम के साथ आइंस्टीन का नियम का समझा दिया-
तुम्हारी आंखों में न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण है
जिनमें नशा इस तरह भरा है
जैसे एसिड के डिब्बे में एल्कोहल धरा है
जरूरत है तो मोहब्बत के करंट की
जुड़ गया है मन से मन का वायर
मैं आइंस्टीन तुम मेरी एमसीस्क्वायर..
दिलो जान नहीं, प्रोटॉन-न्यूट्रॉन की बातें पंकज ने पढ़ा-
जिंदगानी है एक्वेरियम की तरह
चल रही डार्विन के नियम की तरह
इनको छेड़ो ना विस्फोट हो जाएगा
भावनाएं हैं यूरेनियम की तरह
जब भी खोलो हमेशा लगेंगे जवां
खत सहेजें हैं हरबेरियम की तरह...।
भाती नहीं है हमको दिलो जान की बातें
आओ करें प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की बातें