PM Modi Mann Ki Baat: पीएम मोदी ने सराहा वाराणसी के इंद्रपाल सिंह बत्रा का प्रयास, बोले- इनसे प्रेरणा लें लोग

PM Modi Mann Ki Baat इंद्रपाल सिंह बत्रा ने अपने घर में लकड़ी के ऐसे घोंसले बनवाए जिनमें गोरैया आसानी से रह सके। आज बनारस के कई घर इस मुहिम से जुड़ रहे हैं। मैं चाहूंगा प्रकृति पर्यावरण प्राणी पक्षी जिनके लिए भी बन सके प्रयास हमें भी करने चाहिए।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Sun, 28 Mar 2021 12:57 PM (IST) Updated:Mon, 29 Mar 2021 12:26 AM (IST)
PM Modi Mann Ki Baat: पीएम मोदी ने सराहा वाराणसी के इंद्रपाल सिंह बत्रा का प्रयास, बोले- इनसे प्रेरणा लें लोग
वाराणसी के सिगरा की श्रीनगर कालोनी के इंद्रपाल सिंह बत्रा

लखनऊ, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को आकाशवाणी पर अपने कार्यक्रम मन की बात में वाराणसी के इंद्रपाल सिंह बत्रा के प्रयास को जमकर सराहा। पीएम नरेंद्र मोदी ने मन की बात के 75वें संस्करण में वाराणसी के इंद्रपाल सिंह बत्रा के गौरैया प्रेम का जिक्र किया है।

पीएम मोदी ने कहा कि इंद्रपाल सिंह बत्रा ने अपने घर में लकड़ी के ऐसे घोंसले बनवाए जिनमें गोरैया आसानी से रह सके। आज बनारस के कई घर इस मुहिम से जुड़ रहे हैं। मैं चाहूंगा प्रकृति, पर्यावरण, प्राणी, पक्षी जिनके लिए भी बन सके, कम-ज्यादा प्रयास हमें भी करने चाहिए। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि अभी कुछ दिन पहले ही 20 मार्च को गौरैया दिवस मनाया गया है। पहले गौरैया हमारे घरों की दीवारों की सीमाओं पर चहकती हुई पाई जाती थी, अब लोग यह बताकर गौरैया को याद करते हैं कि आखिरी बार उन्होंने गौरैया देखी थी। उन्होंने कहा कि मेरे बनारस के साथी इंद्रपाल सिंह बत्रा जी जो काम किया वह बेमिसाल है।

वाराणसी के सिगरा की श्रीनगर कालोनी के इंद्रपाल सिंह बत्रा के घर में 300 घोंसले और सैकड़ों चिडिय़ों का डेरा है। वह अपने परिवार के साथ गौरैया को बचाने की मुहिम के साथ ही अपने निवास में ही गौरैया को संरक्षण देने में लगे हैं। उनका मानना है कि अब तो कंक्रीट में तब्दील होते शहर में इन चिडिय़ों की चूं -चूं सुनना मुनासिब नहीं होता। बीते 15 वर्ष से हमारे घर मे चिडिय़ों का बसेरा है। इंद्रपाल सिंह बत्रा केटरिंग का काम करते है परंतु गौरैया से इन्हेंं ऐसा लगाव हुआ कि इन्होंने अपने घर में ही इस पक्षी को पालना शुरू कर दिया। अब इनके घर में करीब 300 घोसले और इन घोसलों में हजारों की संख्या में गौरैया रहती हैं। यह अपनी पत्नी और परिवार के लोगों के साथ इनका पालन पोषण करते है। इंद्रपाल की पत्नी सोनिया बताती हैं कि उनके सारे बच्चे इन्ही गौरैया के साथ खेलते-खेलते बड़े हुए हैं। इनकी बेटी तो दिल्ली में पढ़ाई करती है, लेकिन रोज फोन पर गौरैया की खबर लेती है। वह जब भी वाराणसी आती है तो फिर बिस्कुट का पैकेट लेकर इनके साथ खेलने में लग जाती है।

इंद्रपाल सिंह बत्रा वाराणसी के उन चुनिंदा लोगों में हैं जिन्होंने गौरैया संरक्षण को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। उन्होंने बताया कि उनके घर में चिडिय़ों का आना आम बात थी। सुबह के नाश्ते से लेकर रात का भोजन चिडिय़ों से बांटने की आदत हो गई थी। तकरीबन दो दशक पहले मुझे महसूस हुआ कि मेरे बरामदे में सुबह चिडिय़ों का चहचहाना कम हो गया है। उनकी संख्या भी तेजी से घटने लगी। मैंने गौर किया कि मोहल्ले में 20-25 गौरैया ही बची हैं। तब मैंने गौरैयों के बारे में पढऩा शुरू किया। उनके लिए अनुकूल माहौल और खानपान की जानकारी ली। करीब 18 वर्ष पहले मैंने अपने घर के चारों ओर अनुकूल वातावरण बनाना शुरू किया। इस समय मेरे घर में सैकड़ों गौरैया के साथ अन्य पक्षियों का भी बसेरा है। सभी चिडिय़ों के लिए दोनों वक्त के भोजन का प्रबंध मेरी और मेरे परिवार की जिम्मेदारी है। मोहल्ले के लोग भी इस कार्य में सहयोग करने लगे हैं। मेरे घर के चारों ओर गौरैयों के सौ से अधिक घोंसले हैं।

प्रकृति संरक्षण के प्रति सजग प्रधानमंत्री @narendramodiजीने अपनी #MannKiBaat में बनारसकी श्रीनगरकॉलोनीके निवासी इंद्रपालसिंह बत्राजीकी गोरैयाबचानेकी मुहीमका ज़िक्र हम सबकेलिए गौरवपूर्ण और प्रेरणादायीहै.आज बनारसके कई घर इसमुहिमसे जुड़कर प्रकृति संरक्षणका कर्तव्यपालन कर रहेहै.

— Anandiben Patel (@anandibenpatel) March 28, 2021

एक गौरेया के घर से बेघर होने से बदला जीवन का उद्देश्य: सरदार इंद्रपाल बत्रा का बचपन से ही प्रकृति की तरफ एक गहरा झुकाव था। बहुत साल पहले एक गौरेया के घर से बेघर होने पर उनको बहुत दुख पहुंचा। तभी से इंद्रपाल सिंह बत्रा ने कुछ करने की सोची और उन्होंने श्रीनगर कॉलोनी में बने अपने ही घर का सैकड़ों ऐसी गौरया का अशियाना बना दिया। उन्होंने अपने घर में कई सारे पेड़ लगाए हैं और गौरेयों के लिए मिट्टी के बर्तन भी जगह जगह रखे गए हैं। इंद्रपाल  सुरक्षित शेल्टर और खाना उपलब्ध कराते हैं। वह अपने परिवार के साथ गौरेया के संरक्षण के लिए काम कर रहा है।

आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने आज @mannkibaat कार्यक्रम में बनारस के श्री इंद्रपाल सिंह बत्रा जी द्वारा गौरैया संरक्षण हेतु किए गए कार्यों का वर्णन किया है।

श्री बत्रा जी से प्रेरणा प्राप्त कर अनेक लोग गौरैया संरक्षण हेतु प्रेरित होंगे।

आपका आभार प्रधानमंत्री जी। — Yogi Adityanath (@myogiadityanath) March 28, 2021

बदलते कल्चर ने छीन लिया आशियना: मानवों के बीच में रहने की आदती गौरैया मुख्यत: बबूल, कनेर, नींबू, अमरूद, अनार, मेहंदी, बांस की कोठी में घोंसला बनाती हैं। शहर में पेड़ों की कमी होने लगी तो गौरैयों ने पुराने चलन के मकानों के रोशनदारों और मुक्कों में अपना आशियाना खोज लिया। फ्लैट कल्चर ने उनसे यह आशियाना भी छीन लिया है।

संख्या 80 फीसदी तक कम: पक्षी विज्ञानी डॉ. अरविंद मिश्र बताते हैं कि मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद जैसे बड़े शहरों व हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में गौरैया की हालत चिंताजनक है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के अनुसार आंध्र प्रदेश में इनकी संख्या 80 फीसदी तक कम हुई है। केरल, गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में इनमें 20 फीसदी तक की कमी देखी गई है। उन्होंने बताया कि दुनिया में गौरैया की 26 प्रजातियां पाई जाती हैं। उनमें छह प्रजातियां भारत में मिलती हैं। इनके नाम हाउस स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, सिंड स्पैरो, रसेट स्पैरो, डेड सी स्पैरो और ट्री स्पैरो हैं।

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