Lucknow Development Authority: शाइन सिटी पर कसा शिकंजा, एलडीए की सीमा में प्लाटिंग करना नहीं होगा आसान
निवेशकों का साठ हजार करोड़ रुपये लेकर फरार राशिद नसीम पर लखनऊ विकास प्राधिकरण ने भी शिकंजा कसा हुआ है। भू माफियाओं की सूची में शामिल राशिद की लखनऊ में फिलहाल कोई भी प्लाटिंग जो बिना नक्शे की थी सभी को सील करने के बाद ध्वस्त कर दिया गया है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। दस लाख निवेशकों का साठ हजार करोड़ रुपये लेकर फरार राशिद नसीम पर लखनऊ विकास प्राधिकरण ने भी शिकंजा कसा हुआ है। भू माफियाओं की सूची में शामिल राशिद की लखनऊ में फिलहाल कोई भी प्लाटिंग जो बिना नक्शे की थी, सभी को सील करने के बाद ध्वस्त कर दिया गया है। वहीं लविप्रा की सीमा में कोई भी प्लाटिंग करना शाइन सिटी के लिए आसान नहीं होगा। बकायदा नियमों का पालन करने के बाद भी निवेशकों को बेच सकेगा। हजारों मुकदमों का आरोपी राशिद व उसका भाई आसिफ की पूरी टीम निवेशकों का पैसा लेकर फरार है। बता दें कि कुछ कर्मचारियों ने आम पब्लिक को बेवकूफ बनाकर प्लाट बेचे और उसमें कमीशन कमाया और राशिद से अलग होकर अपनी गोसाईगंज, मोहनलालगंज, मस्तेमऊ, बाराबंकी, सीतापुर रोड पर प्लाटिंग कर रहे हैं। यह प्रापर्टी डीलर आठ से दस बीघे वाले हैं। ऐसे डीलरों को खूब कमीशन रेवडी की तरह बांटा गया।
लविप्र के तत्कालीन उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने टॉप छह की भूमाफियाओं की सूची में शाइन सिटी को भी डाला था। बकायदा राशिद नसीम की जेल रोड पर स्थित कई लाख वर्ग फिट की जमीन पर अवैध रूप से चल रही प्लाटिंग को सील करवाया और फिर नियमानुसार सुनवाई का समय दिया। कई सुनवाई में जब नहीं आया तो विहित प्राधिकारी ने ध्वस्त करने के आदेश जारी कर दिए थे और आज के समय यह भी प्लाटिंग भी पुलिस की अभिरक्षा में है। कुछ माह पहले राशिद नसीम की कंपनी में काम करने वाले विजलेश केसरवानी ने पीडि़तों का एक संगठन तैयार करके प्रयागराज हाईकोर्ट में कंपनी के खिलाफ 60 हजार करोड़ से अधिक की ठगी की रिट दायर की थी।ठगी में उसकी पत्नी, भाई समेत कंपनी के 50 से अधिक कर्मचारी आरोपित हैं।
हर साल बढ़ता गया कारोबार, बदलता गया आफिस: राशिद ने सबसे पहले मोहनलागंज में साइड शुरू की तो सााउथ सिटी में आफिस किराया पर लिया। साल भर चलाया और फिर एचएएल के सामने स्थित एक निजी शापिंग काम्प्लेक्स में कार्यालय खोल लिया। यहां शापिंग काम्प्लेक्स के स्वामी को इनके कारनामे की भनक हुई तो कमता से पहले एक पूरी बिल्डिंग में धूमधाम से नया आफिस खोला। यहां भी बहुत दिन तक चल नहीं आया। इसके बाद गोमती नगर स्थित मेयो नर्सिंग होम के पीछे कार्यालय खोला। इस पूरे खेल में सेल्स मैनेजर अशुतोष श्रीवास्तव की भूमिक अहम रही। अंत में गोमती नगर स्थित आरएस मॉल के सामने स्थित एक निजी काम्प्लेक्स के दो फ्लोर किराए पर ले लिया। यहां दो साल से अधिक आफिस चला। यहां उसका भाई आसिफ व घर के अन्य लोग बैठते थे। लीगल सेल बनी थी, जहां वकील को खड़ा करके निवेशकों को अरदब में उस वक्त लिया जाता था, जब निवेशक भूखंड पर कब्जा मांगता था।