लखनऊ में एक करोड़ का प्लाट चालीस लाख में बिका, एलडीए के बाबुओं और दलालों के गठजोड़ की जांच शुरू
फर्जी हस्ताक्षर से बाहर ही बाहर हो गई वाणिज्यक भूखंडों की रजिस्ट्री। 79 भूखंडों में पंद्रह से अधिक भूखंड की फाइलें प्राधिकरण में नहीं। यही नहीं खरीदने वाले ने उस पर बिल्डिंग खड़ी करवा दी और बिजली कनेक्शन ले लिए।
लखनऊ, जेएनएन। लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) के बाबुओं, पूर्व अफसरों और दलालों का गठजोड़ इतना मजबूत रहा कि ट्रांसपोर्ट नगर के वाणिज्यक भूखंडों की रजिस्ट्री बाहर ही बाहर होती गई और यहां बैठे अफसरों को भनक तक नहीं लगी। लविप्रा सचिव को मिले पत्र से अब राज खुलने शुरू हो गए हैं। पत्र में जिन भूखंडों का जिक्र था, वह एक एक करके गलत निकलने लगे हैं। अब इनकी चरणबद्ध तरीके से जांच अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा ने शुरू कर दी है। लविप्रा अफसरों को उम्मीद नहीं थी कि यह गोलमाल हुआ होगा। जांच में प्रथम दृष्टया पता चला है कि जिस वाणिज्यक भूखंड की कीमत एक करोड़ थी, उसे चालीस से साठ लाख रुपये में बेचा गया। यही नहीं खरीदने वाले ने उस पर बिल्डिंग खड़ी करवा दी और बिजली कनेक्शन ले लिए। अब ऐसे लोगों से भूखंड खाली कराना चुनौती बन गया है।
ट्रांसपोर्ट नगर में भूखंड संख्या एफ 480 भी सवाल उठने लगे हैं। यह 140 वर्ग मीटर का भूखंड एक करोड़ से अधिक का है, इसकी भी रजिस्ट्री संदेह के घेरे में है, जो कंप्यूटर पर विनोद कुमार के नाम है। लविप्रा अफसरों के मुताबिक भूखंड संख्या एफ 301, 361, 181, 362, जी 129, ई 433 की फाइलें खोलने के आदेश दिए जा चुके हैं। अब एफ 480 की कुंडली भी खोली जाएगी। ट्रांसपोर्ट नगर योजना में आवंटन प्रकिया वर्ष 1981 से शुरू हुई, लेकिन दलालों ने बाबुओं से मिलकर बाहर ही बाहर रजिस्ट्री करवा ली, पैसा जो जमा होना था, वह भी जमा करा दिया और कागजों में सही हो गए। यही नहीं दलालों ने भूखंड लेकर बेच दिए, कई ट्रांसपोर्ट इन दलालों के चक्कर में फंसे हुए हैं, कुछ ट्रांसपोर्टर भी खरीदे हुए भूखंड बेच चुके है।
आसान न होगा कब्जा वापस लेना
लविप्रा के लिए अपने भूखंड को पाने के लिए कानूनी प्रकिया अपनाते हुए संघर्ष करना पड़ सकता है। क्योंकि दलाल, पूर्व अफसर व बाबू अपना काम करके निकल गए। अब खरीददार और लविप्रा के बीच पेंच फंसा है। प्राधिकरण अभियंताओं ने मौके पर निरीक्षण किया तो भूखंडों पर निर्माण है और व्यवसाय चल रहा है। ऐसे भूखंडों का रिकार्ड लविप्रा में नहीं है।