KGMU: वेंटिलेटर पर मरीज का फेफड़ा फटा-मौत, ऑक्सीजन का प्रेशर अधिक देने का आरोप

केजीएमयू में वेंटिलेटर पर मरीज की मौत का मामला। एक यूनिट से दूसरी यूनिट के वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया था। आरोप है कि वेंटिलेटर शिफ्टिंग के वक्त ऑक्सीजन का प्रेशर अधिक दे दिया गया।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Sun, 21 Apr 2019 09:50 AM (IST) Updated:Sun, 21 Apr 2019 09:50 AM (IST)
KGMU: वेंटिलेटर पर मरीज का फेफड़ा फटा-मौत, ऑक्सीजन का प्रेशर अधिक देने का आरोप
KGMU: वेंटिलेटर पर मरीज का फेफड़ा फटा-मौत, ऑक्सीजन का प्रेशर अधिक देने का आरोप

लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में वेंटिलेटर पर भर्ती मरीज का फेफड़ा फट गया। दोनों किडनियों ने काम करना बंद कर दिया और शनिवार दोपहर मरीज की मौत हो गई। परिजन का आरोप है कि वेंटिलेटर शिफ्टिंग के बाद ऑक्सीजन का प्रेशर अधिक दे दिया गया। इसके चलते मौत हो गई।

ये है पूरा मामला 

प्रयागराज निवासी जयशंकर तिवारी (45) को ब्रेन हैमरेज था। भाई शिवाकांत तिवारी के मुताबिक, जयशंकर को 24 मार्च को ट्रॉमा सेंटर में पल्मोनरी क्रिटिकल केयर विभाग के आरआइसीयू में भर्ती कराया गया। यहां जयशंकर को वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया। उनकी हालत में काफी सुधार आ गया था। इसी बीच 17 अप्रैल को मरीज जयशंकर को आरआइसीयू से क्रिटिकल केयर मेडिसिन के सीसीएम यूनिट में वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया। आरोप है कि यहां वेंटिलेटर शिफ्टिंग के वक्त ऑक्सीजन का प्रेशर देने में लापरवाही की गई। इससे मरीज का फेफड़ा फट गया। शनिवार दोपहर एक बजे मरीज जयशंकर की मौत हो गई।

पहले एक्स-रे में सही, दूसरे में फटा मिला फेफड़ा

केजीएमयू के आरआइसीयू में भर्ती जयशंकर का 16 अप्रैल को एक्स-रे हुआ। उसमें फेफड़ा सही था। वहीं, 17 अप्रैल को आरआइसीयू से सीसीएम में जयशंकर को शिफ्ट किया गया। यहां दोबारा 18 अप्रैल को एक्स-रे कराया गया। इस दौरान बायां फेफड़ा फटा मिला।

किडनी भी हुईं फेल, थमीं सांसें

जयशंकर के परिजन शिवाकांत के मुताबिक आरआइसीयू में मरीज की यूरिन पास हो रही थी। वहीं, सीसीएम में फेफड़ा फटने के बाद स्थिति और बिगड़ गई और किडनी भी काम करना बंद कर दिया।

स्वयं सेवक हूं, मेरी भी सुनवाई नहीं

शिवाकांत के मुताबिक, 12 वर्ष की आयु में वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता बने। भर्ती के वक्त केजीएमयू के अफसरों को फोन भी कराया। बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई। विधायक ने पत्र भी लिखा। 30 हजार रुपये वार्षिक आय प्रमाण पत्र लगाया। बावजूद मुफ्त इलाज की प्रक्रिया पूरी नहीं की गई। करीब पांच लाख रुपये इलाज पर खर्च हुआ। मामले की शिकायत उच्चाधिकारियों से की जाएगी।

डॉक्टर बोले, एक-दो फीसद मरीजों में ही फेफड़ा फटने का खतरा

विभागाध्यक्ष व सीसीएम के इंचार्ज डॉ. अविनाश अग्रवाल ने कहा कि मरीज को वेंटिलेटर से पॉजिटिव प्रेशर दिया जाता है। ऐसे में एक-दो फीसद मरीजों में फेफड़ा फटने का खतरा रहता है। इसे बैरो ट्रॉमा कहते हैं। उन्होंने मरीज जयशंकर के इलाज में लापरवाही से साफ तौर पर नकारा। कहा, उसकी पहले से हालत गंभीर थी। डॉ. अविनाश के मुताबिक जयशंकर का फेफड़ा फटने पर एयर प्लूरा में भर गई। हार्ट बैठने लगा। ऐसे में तुंरत हार्ट के डॉक्टर को बुलाया। उन्हें बचाने का पूरा प्रयास किया गया। मगर, संभव नहीं हो सका।

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