UP Panchayat Chunav: आरक्षण फार्मूले में देरी से बढ़ी प्रत्‍याशियों की उलझन, अभी करना होगा इंतजार

UP Panchayat Chunav यूपी में पंचायत चुनाव में आरक्षण फार्मूले को लेकर प्रत्याशियों की उलझनें बढ़ गई हैं। आरक्षण नए सिरे से हो या चक्रानुक्रम यह फैसला अब सरकार को लेना है। फिलहाल नई आरक्षण सूची के लिए उम्मीदवारों को कुछ और इंतजार करना होगा।

By Umesh Kumar TiwariEdited By: Publish:Wed, 27 Jan 2021 01:16 PM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 08:36 AM (IST)
UP Panchayat Chunav: आरक्षण फार्मूले में देरी से बढ़ी प्रत्‍याशियों की उलझन, अभी करना होगा इंतजार
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में नई आरक्षण सूची के लिए उम्मीदवारों को कुछ और इंतजार करना होगा।

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी जोरों पर है, लेकिन आरक्षण फार्मूले को लेकर प्रत्याशियों की उलझनें बढ़ गई हैं। आरक्षण नए सिरे से हो या चक्रानुक्रम, यह फैसला अब सरकार को लेना है। क्षेत्र और जिला पंचायतों में आरक्षण शून्य करने और ग्राम सभाओं में चक्रानुक्रम लागू किए जाने पर भी विचार हो रहा है। फिलहाल नई आरक्षण सूची के लिए उम्मीदवारों को कुछ और इंतजार करना होगा।

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की सरगर्मियां तेज हैं। अब गांव में ग्राम प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्यों के लिए आने वाली आरक्षण सूची का इंतजार किया जा रहा है, जिसके बाद यह तय हो सकेगा कि कौन से वार्ड और ग्राम सभा में किस जाति के लिए चुनाव लड़ने को सीट अरक्षित की गई है। हालांकि अभी तक आरक्षण लिस्ट के बारे में कोई भी सूचना जारी नहीं हुई है। आरक्षण को लेकर अभी तक सरकार में बैठकें चल रही हैं। फरवरी में स्थिति साफ हो सकती है। 

आरक्षण शून्य करने से बढ़ी उलझन : पंचायतों में आरक्षण की उलझन वर्ष 2015 में ग्राम पंचायतों में आरक्षण शून्य करने से बढ़ी है। आरक्षण शून्य करने का अर्थ ग्राम पंचायतों में नए सिरे से आरक्षण लागू किया जाएगा। वर्ष 2000 में हुए आरक्षण का चक्र आगे नहीं बढ़ेगा। अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्ग की जनसंख्या के आधार पर ग्राम पंचायतों की सूची वर्णमाला क्रम में बनाकर जातीय व जेंडर आरक्षण को लागू किया गया था। इसके विपरीत क्षेत्र व जिला पंचायतों में चक्रानुक्रम लागू हुआ था।

पांच वर्ष में 337 नई ग्राम पंचायतें सृजित : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने बाद प्रदेश में 337 नई ग्राम पंचायतें सृजित हुईं, जबकि 1217 ग्राम पंचायतों का अस्तित्व शहरों में समाहित हो गया। अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश की 75 जिला पंचायतों में वार्डों की संख्या वर्ष 2015 के 3,120 से घटकर 3,051 रह गई है। क्षेत्र पंचायतों की संख्या 821 से बढ़कर 826 हो गई है। दूसरी ओर क्षेत्र पंचायत वार्डों की संख्या 77,801 से घट कर 75,855 रह गई है। वर्ष 2015 में 59,074 ग्राम पंचायतों में प्रधान चुने गए थे, जबकि वर्ष 2021 में 58194 प्रधान चुने जाएंगे। इसी क्रम में ग्राम पंचायताों के वार्डों में भी कमी आई है। वर्ष 2015 में 7,44,558 वार्ड थे तो अब घटकर 7,31,813 ही रह गए हैं। परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब राज्य सरकार को पदों का आरक्षण तय करना है।

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