UP: पीएसी में 3134 पद सृजित करने का प्रस्ताव, सिविल पुलिस के बराबर प्रमोशन के अवसर दिलाने की तैयारी
यूपी सिविल पुलिस की तुलना में पिछड़े पीएसी कर्मियों को जल्द पदोन्नति के अवसर मिलेंगे। इस असमानता को दूर करने के लिए डीजीपी मुख्यालय ने प्रस्ताव भेजा है जिसमें पीएसी के आरक्षी से लेकर निरीक्षक स्तर के कुल 3134 पद सृजित किए जाने की सिफारिश की गई है।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश सिविल पुलिस की तुलना में पिछड़े पीएसी कर्मियों को भी अब जल्द पदोन्नति के अवसर मिलेंगे। इस असमानता को दूर करने के लिए डीजीपी मुख्यालय ने शासन को प्रस्ताव भेजा है, जिसमें पीएसी के आरक्षी से लेकर निरीक्षक स्तर के कुल 3134 पद सृजित किए जाने की सिफारिश की गई है। इन पदों के सृजन से पदोन्नति की दौड़ में पिछड़े पीएसी कर्मियों को सिविल पुलिस की तुलना में आगे बढ़ने के समान अवसर मिल सकेंगे।
प्रस्ताव में निरीक्षक सशस्त्र पुलिस/पीएसी के 45 व उपनिरीक्षक सशस्त्र पुलिस/पीएसी के 3089 पदों के सृजन की बात कही गई है। इसके लिए नागरिक पुलिस के नियतन से आरक्षी व मुख्य आरक्षी के पदों को समर्पित किए जाने का प्रस्ताव भी है। अधिकारियों का कहना है कि नए पदों के सृजन से पीएसी कर्मियों की पदोन्नति हो सकेगी। बताया गया कि 1992 बैच के आरक्षी नागरिक पुलिस में पदोन्नति पाकर निरीक्षक तक बन चुके हैं, जबकि इसी बैच में पीएसी में भर्ती हुए आरक्षी पद न होने की वजह से पदोन्नति के अवसर नहीं पा सके। इसे लेकर पीएसी कर्मियों को कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाना पड़ा था।
उल्लेखनीय है कि सूबे में 932 पीएसी कर्मी करीब दो दशक से सिविल पुलिस में अपनी सेवाएं दे रहे थे। इनमें छह सिविल पुलिस में उपनिरीक्षक तथा 890 जवान हेड कांस्टेबिल के पदों पर पदोन्नति पा चुके थे, जबकि 22 जवान सिपाही के पद पर ही थे और 14 जवान अपना सेवाकाल पूरा कर चुके थे।
एडीजी स्थापना ने सितंबर, 2020 में छह उपनिरीक्षकों व 890 मुख्य आरिक्षयों का डिमोशन कर उनके मूल संवर्ग पीएसी में भेजने का आदेश दिया था, जबकि 22 सिपाहियों को इसी पद पर वापस भेजने को कहा गया था। इसे लेकर पीएसी कर्मियों का असंतोष सामने आया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया था और एडीजी स्थापना के आदेश को रद कर दिया था। मुख्यमंत्री ने उन पीएसी कर्मियों की सेवा सिविल पुलिस में ही बरकरार रखने का भी आदेश दिया था।