Oxygen Cylinder Blast in Lucknow: बिना हाइड्रो टेस्टिंग के भरा जा रहा था आक्सीजन सिलिंडर

Oxygen Cylinder Blast in Lucknow विशेषज्ञों के अनुसार क्योंकि 2000 पीएसआइ के प्रेशर से जब आक्सीजन सिलिंडर में भरी जाती है और सिलिंडर कमजोर हुआ तो वह इमारत समेत जो भी उसकी चपेट में आता है उसके चीथड़े उड़ा देता है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 06:00 AM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 01:16 PM (IST)
Oxygen Cylinder Blast in Lucknow: बिना हाइड्रो टेस्टिंग के भरा जा रहा था आक्सीजन सिलिंडर
सिलिंडर की चादर हो गई थी कमजोर इस कारण हुआ ब्लास्ट।

लखनऊ, [सौरभ शुक्ला]। केटी आक्सीजन प्लांट में बना हाइड्रो टेस्टिंग वाले सिलिंडर भरे जा रहे थे। सिलिंडर की चादर काफी कमजोर हो चुकी थी। इस कारण वह 2000 पीएसआइ (पौंड स्क्वायर इंच) का प्रेशर नहीं झेल सका और ब्लास्ट हो गया। जिसके कारण यह हादसा हुआ। फायर विभाग और औद्योगिक सुरक्षा विशेषज्ञ विभाग के सूत्रों की माने तो हादसे प्लांट में हादसे का यही मुख्य कारण है। प्लांट में सिलिंडर बिना हाइड्रो टेस्टिंग सर्टीफिकेट के कतई नहीं भरा जाना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार क्योंकि 2000 पीएसआइ के प्रेशर से जब आक्सीजन सिलिंडर में भरी जाती है और सिलिंडर कमजोर हुआ तो वह इमारत समेत जो भी उसकी चपेट में आता है उसके चीथड़े उड़ा देता है। उदाहरण के लिए कार में 15-20 पीएसआइ और ट्रक में 105 से 110 पीएसआइ प्रेशर की हवा होती है। जब इनके टायर फटते हैं तो आस पास खड़े लोग भी घायल होने के साथ ही वाहन भी क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इससे सिलिंडर ब्लास्ट का अंदाजा लगाया जा सकता है।

हर पांच साल में होती है सिलिंडर की हाइड्रो टेस्टिंग 

सीएफओ (चीफ फायर अफसर) विजय कुमार सिंह का कहना है कि आक्सीजन समेत अन्य सिलिंडर की पांच साल में कंपनी द्वारा ही हाइड्रो टेस्टिंग कराई जाती है। प्लांट पर हाइड्रो टेस्टिंग सर्टीफिकेट के बाद ही उसमें गैस भरी जानी चाहिए। यही सिलिंडर का मानक है। उन्होंने बताया कि हाइड्रो टेस्टिंग में 10 किलो के सिलिंडर में 25 किलो का प्रेशर देकर उसकी क्षमता को चेक किया जाता है। अगर वह इतना प्रेशर झेल लेगा तो ठीक है अन्यथा सिलिंडर को कबाड़ में दे देना चाहिए। उसका प्रयोग नहीं करना चाहिए। सीएफओ ने बताया कि प्लांट में सिलिंडर ब्लास्ट और उसके टुकड़ों के नमूने जांच के लिए ले लिए गए हैं। उन्हें एक्सपर्ट के पास जांच के लिए भेजा गया है।

एक्सपर्ट को भरना चाहिए सिलिंडर, इस दौरान ग्राहकों को करीब 100 मीटर दूर रहना चाहिए : एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) के डिप्टी कमांडेंट नीरज कुमार ने बताया कि प्लांट में एक्सपर्ट और युवाओं को ही सिलिंडर भरना चाहिए। वृद्ध और बीमार व्यक्तियों को इस काम में नहीं लगाना चाहिए। इसके अलावा यहां सिलिंडर भराने को आने वाले ग्राहकों को करीब 100 मीटर दूर एक सुरक्षित स्थान पर खड़ा होना चाहिए। जब जिसका नंबर आए उसे गेट तक पहुंचना चाहिए। प्लांट में किसी अनट्रेंड व्यक्ति को नहीं रहना चाहिए।

सुरक्षा के दृष्टिगत इन बातों का रखें विशेष ध्यान कबाड़ी के यहां से पड़े और बिना हाइड्रो टेस्टिंग वाले सिलिंडर में गैस नहीं भरनी चाहिए। घर पर यदि आक्सीजन सिलिंडर रखें तो उसे सीधा और क्लंप लगाकर रखें। सिलिंडर कभी लुढ़कार कर नहीं ले जाना चाहिए। क्योंकि इससे उनका वाल्व क्षतिग्रस्त हो सकता है। क्षतिग्रस्त वाल्व से गैस लीकेज पर भी हादसा बड़ा हो सकता है। क्योंकि सिलिंडर से जब गैस लीकेज के दौरान अगल निकली तो वह बहुत प्रेशर से निकलती है लोगों को घायल कर सकती है। अधिक ताप वाले स्थान पर सिलिंडर को नहीं रखना चाहिए।

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