रामलला के परिक्रमा पथ पर प्रतिष्ठित होंगी अधिगृहीत मंदिरों की देव प्रतिमाएं
अयोध्या के राममंदिर ट्रस्ट ने शिरोधार्य किया संतों का मत अरसे से मानस भवन में रखे हैं विग्रह।
अयोध्या [प्रवीण तिवारी]। रामलला जब अपनी जन्मभूमि पर विराजेंगे तब श्रद्धालुओं को उनके साथ ही उन दुर्लभ देव प्रतिमाओं के दर्शन का भी सौभाग्य मिलेगा, जो अधिगृहण के दंश से पीडि़त होकर मानस भवन में निर्वासित जीवन बिता रही थीं। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट इन सभी मंदिरों के विग्रहों को रामलला के साथ ही प्रतिष्ठित करने की योजना बना रहा है। ये सभी विग्रह रामलला के परिक्रमा पथ पर प्रतिष्ठित किए जाएंगे। राम मंदिर का परिक्रमा पथ इतना लंबा होगा कि ये सभी देव विग्रह वहां विराज सकें। इन सभी का पूजन अर्चन राग भोग भी रामलला के साथ ही किया जाएगा।
विवादित ढांचा ध्वस्त किए जाने के बाद केंद्र सरकार ने आसपास का इलाका अधिगृहीत कर लिया था। कई प्रमुख मंदिर भी अधिगृहण के दायरे में आ गए थे। उनके प्रबंधन को सरकार से मुआवजा मिल गया पर उनके विग्रह आज भी सुरक्षित हैं। ऐसे प्रमुख मंदिरों में साक्षी गोपाल मंदिर, राम खजाना, आनंद भवन, सीता रसोई, मानस भवन व कुबेर भवन आदि शामिल हैं। अधिगृहण के समय ही इन सभी मंदिरों की देव प्रतिमाओं को मानस भवन में रखा गया था। अब जब रामजन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर निर्माण की तैयारी चल रही है तो इसी के समानांतर ट्रस्ट के पदाधिकारी अयोध्या के संतों से संवाद कर मंदिर निर्माण, उसके लेआउट तथा अधिगृहीत क्षेत्र के मंदिरों के विग्रहों को स्थापित करने की भी योजना बना रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि रामनगरी के तमाम संतों की राय यही है कि इन्हें भगवान राम के मंदिर में स्थान दिया जाए, जिससे बाहर आने वाले श्रद्धालु रामलला के साथ इन सभी देव विग्रहों का पूजन अर्चन दर्शन कर सकें। संतों के इसी मंतव्य को ट्रस्ट ने शिरोधार्य कर आगे की रणनीति तैयार की है।