यूपी में अब ऑनलाइन गैंबलिंग भी होगा गैरजमानती अपराध, सटोरियों को 3 साल तक की सजा की सिफारिश

उत्तर प्रदेश में ऑनलाइन गैंबलिंग करने वालों की मुश्किलें अब बढ़ने वाली हैं। राज्य विधि आयोग ने अंग्रेजों के जमाने में बने सार्वजनिक जुआ अधिनियम को न सिर्फ कठोर बनाया है बल्कि ऑनलाइन गैंबलिंग और सट्टे के अलग-अलग रूपों को भी गैरजमानती अपराध की श्रेणी में ला दिया है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 06:00 AM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 10:03 AM (IST)
यूपी में अब ऑनलाइन गैंबलिंग भी होगा गैरजमानती अपराध, सटोरियों को 3 साल तक की सजा की सिफारिश
उत्तर प्रदेश में अब ऑनलाइन गैंबलिंग भी गैरजमानती अपराध होगा।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में ऑनलाइन गैंबलिंग करने वालों की मुश्किलें अब बढ़ने वाली हैं। राज्य विधि आयोग ने अंग्रेजों के जमाने में बने सार्वजनिक जुआ अधिनियम को न सिर्फ कठोर बनाया है, बल्कि ऑनलाइन गैंबलिंग और सट्टे के अलग-अलग रूपों को भी गैरजमानती अपराध की श्रेणी में ला दिया है। कई राज्यों के कानूनों का अध्ययन करने के बाद आयोग के अध्यक्ष न्यायूमर्ति एएन मित्तल की अगुवाई में उत्तर प्रदेश सार्वजनिक द्यूत (निवारण) विधेयक का प्रारूप तैयार किया है, जिसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दिया गया है। माना जा रहा है कि सरकार जल्द जुआ को लेकर प्रदेश में अपना अलग कानून लागू करेगी।

राज्य विधि आयोग ने अपने मसौदे में अधिकतम तीन वर्ष की सजा का प्रविधान किए जाने के साथ ही मुआवजे की रकम को भी बढ़ाने की सिफारिश की है। खास बात यह है कि इस नए कानून के प्रारूप को बीते एक दशक में तेजी से पनपे जुआ के आनलाइन स्वरूप को ध्यान में रखकर बनाया गया है। प्रदेश में जुआ घरों का संचालन करने वालों व सटोरियों के नाखून तोड़ने के लिए अहम सिफारिशें की गई हैं।

केंद्र सरकार सार्वजनिक जुआ अधिनियम को खत्म करने की तैयारी में है और राज्यों को इसके लिए अपना-अपना कानून बनाने के निर्देश दिए गए हैं। इस कड़ी में मेघालय, महाराष्ट्र, गोवा, नगालैंड, उड़ीसा, तेलंगाना, दिल्ली व कुछ अन्य राज्य अपना कानून बना भी चुके हैं। विधि आयोग ने अन्य राज्यों के कानूनों के साथ सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के कई अहम फैसलों का भी अध्ययन किया है। इसके साथ ही प्रदेश की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उप्र सार्वजनिक जुआ (निवारण) विधेयक का प्रारूप तैयार किया है।

वर्तमान में सार्वजनिक स्थान पर जुआ खेलते पकड़े जाने पर तीन माह की सजा व 50 रुपये जुर्माने का प्रावधान है। आयोग ने इसे बढ़ाकर एक साल तक की सजा व पांच हजार रुपये जुर्माना किए जाने की संस्तुति की है। साथ ही आयोग ने ऑनलाइन गैंबलिंग, जुआ घर के संचालन व सट्टे को गैरजमानती अपराध बनाते हुए तीन साल तक की सजा तथा कोर्ट जो चाहे वह जुर्माना राशि तय करने की संस्तुति की है।

खास बात यह है कि अब पुलिस को क्रिकेट मैच से लेकर अन्य खेलों में करोड़ों रुपये का सट्टा खिलवाने वालों पर कानूनी शिकंजा कसने के लिए आइपीसी की धाराओं का सहारा नहीं लेना पड़ेगा। आयोग ने अपने मसौदे में यह प्रस्ताव भी किया है कि यदि कहीं जुआ घर या किसी परिसर में सट्टे का संचालन हो रहा होगा, तो यह माना जाएगा कि वहां बरामद रकम जुआ से संबंधित ही है और वहां मौजूद सभी लोग जुआ खेल रहे थे।

घर में परिवार के लोग खेल सकेंगे जुआ : राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएन मित्तल का कहना है कि गेम आफ स्किल और चांस में भी फर्क किया गया है। गेम आफ स्किल के तहत खेले जाने वाले ताश के खेल दंडनीय नहीं होंगे। यानी रमी व ऐसे अन्य खेल, जिनमें बाजी लगाने वाला अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल करता है। कट पत्ता व तीन पत्ती जैसे खेल, जिनमें बाजी लगाने वाला पूरी तरह से एक मौके (चांस) पर निर्भर होता है, वह दंडनीय अपराध की श्रेणी में होगा। उनका कहना है कि रीति-रिवाज व मनोरंजन के लिए यदि कोई परिवार अपने घर में ताश की बाजी लगाता है और वहां कोई बाहरी व्यक्ति मौजूद नहीं है, तो वह दंडनीय नहीं होगा।

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