लखनऊ में ढाई करोड़ की नकली दवाएं बरामद, छापेमारी में सप्लायर गिरफ्तार-सरगना की तलाश
क्राइम ब्रांच कानपुर द्वारा एक दिन पहले गिरफ्तार आरोपित से मिले इनपुट पर हुई कार्रवाई। पकड़ा गया सचिन लखनऊ के साथ ही सीतापुर रायबरेली उन्नाव हरदोई समेत अन्य जनपदों में सप्लाई करता था। वहीं अब गिरोह के सरगना की तलाश में पुलिस दबिश दे रही है।
लखनऊ, जेएनएन। कानपुर क्राइम ब्रांच से मिले इनपुट के आधार पर सोमवार रात लखनऊ और कानपुर पुलिस ने अमीनाबाद क्षेत्र के माडल हाउस में संयुक्त ऑपरेशन शुरू किया। पुलिस ने यहां से दो गोदामों में छापेमारी कर ढाई करोड़ की नशीली और नकली दवाइयां, इंजेक्शन और कास्टमेटिक क्रीम बरामद की गई है। पुलिस टीम ने सप्लायर सचिन यादव को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तारी के बाद कानपुर पुलिस आरोपित को लेकर चली गई। वहीं अब गिरोह के सरगना की तलाश में पुलिस दबिश दे रही है।
विकास पांडेय एसीपी गोविंदनगर कानपुर ने बताया कि क्राइम ब्रांच को नशीली दवाओं के खेप आने की सूचना मिली थी। इस सूचना पर गोविंद नगर पुलिस के साथ क्राइम ब्रांच ने दबौली टेंपो स्टैंड के पास छापेमारी जगईपुरवा निवासी पिंटू गुप्ता उर्फ गुड्डू और बेकनगंज निवासी आसिफ मोहम्मद खां उर्फ मुन्ना बताया था। आरोपितों के पास से सत्रह हजार सात सौ पचास नाइट्रावेट और 48 हजार नकली एंटीबायोटिक जिफी बरामद हुई थी। पकड़े गए आरोपितों की निशानदेही पर पुलिस ने लखनऊ के अमीनाबाद क्षेत्र के माडल हाउस कसाईबाड़ा स्थित दो दवा के गोदामों में छापेमारी की। कानपुर पुलिस ने अमीनाबाद इंस्पेक्टर आलोक कुमार राय से संपर्क किया। इसके बाद कानपुर क्राइम ब्रांच, गोविंदनगर पुलिस टीम सोमवार शाम लखनऊ पहुंची।
यहां इंस्पेक्टर अमीनाबाद आलोक कुमार राय के साथ मिलकर माडल हाउस में छापेमारी की। पकड़ा गया सचिन लखनऊ के साथ ही सीतापुर, रायबरेली, उन्नाव, हरदोई समेत अन्य जनपदों में सप्लाई करता था। क्राइमब्रांच ने बताया कि गोदाम से बड़ी मात्रा में नशीली, नकली दवाएं, इंजेक्शन, कास्मेटिक क्रीम समेत कई अन्य उत्पाद बरामद किए हैं। लोडर भरकर माल पुलिस ने कब्जे में लिया है। बरामद दवाओं की कीमत करीब ढाई करोड़ रुपये बताई जा रही है। अब पुलिस गिरोह के सरगना की तलाश में जुटी है। यह लोग उत्तराखंड के देहरादून, मेरठ, मुजफ्फरनगर, हिमाचल प्रदेश से नकली दवाएं बनवाते थे।
जिसकी डिमांड बढ़ती उसी की कराते मैन्यूफैक्चरिंग : पुलिस सूत्रों के मुताबिक जिस दवा की डिमांड बढ़ती थी उसकी ही नकली दवा की मैन्यूफैक्चरिंग कराई जाती है। कोरोना काल में एंटीबायोटिक दवाओं की मांग बढ़ जाती है। इस पर यह लोग भारी मात्रा में उसकी मैन्यूफैक्चरिंग कराने लगते हैं। यह लोग जिफी की हूबहू टेबलेट और नशीले इंजेक्शन आदि बनवाते थे।