अटकलों को विराम देने में जुटे ओमप्रकाश राजभर, बोले- पिछड़े को सीएम बनाएं तो भाजपा के साथ गठबंधन

सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि भाजपा यदि किसी पिछड़ी जाति के नेता को सरकार बनने पर मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा करे जातिगत जनगणना कराए और अनिवार्य निश्शुल्क शिक्षा की शर्त माने तो भाजपा के साथ गठबंधन कर सकते हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 01:14 AM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 08:05 AM (IST)
अटकलों को विराम देने में जुटे ओमप्रकाश राजभर, बोले- पिछड़े को सीएम बनाएं तो भाजपा के साथ गठबंधन
सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन की संभावना न के बराबर है।

लखनऊ, जेएनएन। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से मुलाकात के बाद शुरू हुई अटकलों को विराम देने का पूरा प्रयास सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर कर रहे हैं। बुधवार को बलिया में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने भाजपा से किसी भी प्रकार के समझौते की संभावना को खारिज करते हुए स्पष्ट कहा कि मंगलवार को स्वतंत्र देव सिंह से क्या बात हुई, इस बारे में वह फोन कर खुद एआइएमआइएम के अध्यक्ष असदउद्दीन ओवैसी को बता चुके हैं।

सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि भाजपा यदि किसी पिछड़ी जाति के नेता को सरकार बनने पर मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा करे, जातिगत जनगणना कराए और अनिवार्य निश्शुल्क शिक्षा की शर्त माने तो भाजपा के साथ गठबंधन कर सकते हैं। उन्होंने साथ में जोड़ा कि भाजपा के साथ गठबंधन की संभावना न के बराबर है। भागीदारी संकल्प मोर्चा में एआइएमआइएम सहित छोटे दल शामिल रहेंगे और साथ मिलकर 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।

योगी सरकार के पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि वह मोर्चा को मजबूती देने के लिए सात अगस्त को वाराणसी और आठ अगस्त को प्रयागराज में महिला और पिछड़ों का सम्मेलन करने जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि मंगलवार को राजभर ने भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह के साथ प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह के आवास पर पहुंचकर उनसे मुलाकात की थी। उसके बाद अटकलें शुरू हो गई हैं कि राजभर को मनाने का प्रयास चल रहा है। संभवत: वह नाराजगी छोड़कर चुनाव से पहले भाजपा के साथ जा सकते हैं।

बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ मिलकर लड़ी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष बीते कई माह से अलग ताल ठोंक रहे हैं। सत्ताधारी दल से प्रतिशोध के अंदाज में विपक्षी दलों का संकल्प भागीदारी मोर्चा बनाने में जुटे हैं। इस बीच अटकलें चल ही रही थीं कि एक-दूसरे की जरूरत को समझते हुए भाजपा और सुभासपा 2017 की तरह फिर साथ आ सकती हैं। आखिरकार ना-नुकुर करते-करते राजभर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से मिलने मंगलवार को उनके आवास पर पहुंच ही गए। 'राजनीति में कुछ भी संभव है...।' इस बात ने अटकलें तेज कर दीं कि मुलाकात समझौते की मेज पर हुई है। हालांकि, ओमप्रकाश अभी भी इससे इन्कार ही कर रहे हैं।

चुनावों में लगातार प्रचंड बहुमत हासिल कर रही भाजपा को भरोसा है कि वह अकेले भी 2022 का विधानसभा चुनाव बहुमत से जीतेगी, लेकिन सहयोगी दलों को साथ लेकर चलने की अपनी रीति-नीति नहीं छोड़ना चाहती। यही वजह है कि कुछ दिन पहले रूठे निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद को मना लिया गया है। चूंकि पूर्वांचल की कई सीटों पर राजभर वोट का प्रभाव है, इसलिए भाजपा चाहती है कि पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर भी साथ ही रहें।

इधर, राजभर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को अपने मोर्चे में शामिल करने की चाहत जाहिर करने के साथ ही आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, एआइएमआइएम के असदउद्दीन ओवैसी और प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव से कई दौर की वार्ता कर चुके हैं। दावा करते हैं कि टीएमसी और शिवसेना से भी गठबंधन की बात चल रही है। भाजपा की भी कोशिश है कि छोटे दलों के खड़े हो रहे इस मोर्चे में सेंध लगा दी जाए। इसमें सबसे अधिक सहूलियत राजभर का हाथ पकड़ने में ही है।

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