Lucknow Coronavirus News: सीएमओ की जांच टीम हुई ढीली...कैसे मिलेंगे कोरोना संक्रमित

तीस हजार तक जांच होती थी जो घटकर 17000 और अब ग्रामीण इलाकों को मिलाकर 20000 जांच हो रही है। 20 अप्रैल के बाद से सीएमओ की टीम ने संक्रमण का प्रभाव कम दिखाने के लिए जांच करने की प्रक्रिया को ही ढीला कर दिया है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 07:22 AM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 10:45 AM (IST)
Lucknow Coronavirus News: सीएमओ की जांच टीम हुई ढीली...कैसे मिलेंगे कोरोना संक्रमित
संक्रमित मरीज चिह्नित करने में अफसर कर रहे लापरवाही।

लखनऊ, (अजय श्रीवास्‍तव)। अफसरों ने भी ऐसा खेल खेला है कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। शहर में कोरोना के बढ़ते ग्राफ को कम करने के लिए अब एंटीजन जांच का ग्राफ ही गिरा दिया गया है। यह जांच कम हुई तो आरटी-पीसीआर की जांच पर भी उसका असर दिखने लगा है। ऐसे में संक्रमित मरीजों की संख्या भी घटी  दस दिन पहले तक शहर में ही 25 से तीस हजार तक जांच होती है, जो घटकर 16 से 17 हजार हो गई। ऐसे में जांच के अभाव में संक्रमित मरीज कैरियर का काम कर सकता है। अब ग्रामीण इलाकों को भी शामिल किया गया है तो यह जांच शनिवार को 20000 तक पहुंच गई इसकी पुष्टि खुद सीएमओ डॉक्टर संजय भटनागर भी करते हैं

इसमें सेंट्रल टीम ही हर दिन 12 से 14 सौ तक एंटीजन जांच करती थी, जो पिछले 12 दिनों से पांच से छह सौ के बीच सिमट गई है। हाल यह है कि एंटीजन जांच से जुड़ी टीम कुछ भी साफ बताने को तैयार नहीं है और गेंद एक दूसरे के पाले में डाली जा रही है। एक तरफ सरकार अधिक से अधिक लोगों की जांच कराने पर जोर दे रही है, जिससे संक्रमितों की पहचान कर उन्हें सुरक्षित किया जा सके और वह संक्रमण फैलाने में कैरियर का काम न करे, लेकिन 20 अप्रैल के बाद से सीएमओ की टीम ने संक्रमण का प्रभाव कम दिखाने के लिए जांच करने की प्रक्रिया को ही ढीला कर दिया है। 20 अप्रैल से पहले सेंट्रल टीम द्वारा करीब 12 सौ से 14 सौ तक एंटीजन जांच होती थी। यह जांच बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, सार्वजनिक जगह और वीआइपी लोगों की होती थी। इसके लिए कोविड कंट्रोल सेंटर से एक सेंट्रल टीम बनाई गई थी। इस काम के लिए 18 टीमों को लगाया गया है। दस दिन पहले एक बैठक में जांच का प्रतिशत कम करने के एक मौखिक आदेश के बाद ही जांच की रफ्तार ढीली हो गई है ऐसा

मरीज कम होने पर जांच का प्रतिशत गिरा : सीएमओ डा. संजय भटनागर सफाई देते हैं कि जब संक्रमण का प्रभाव अधिक था तो शहरी क्षेत्र में जांच भी 25 से 30 हजार तक कराई जाती थी। इसमे 50 प्रतिशत एंटीजन और 50 प्रतिशत आरटी-पीसीआर जांच होती थी लेकिन, कुछ दिनों से संक्रमित कम मिलने से जांच भी 16 से 17 हजार तक ही हो रही है। शनिवार को पूरे लखनऊ में करीब 20000 लोगों की जांच कराई गई है इसमें ग्रामीण इलाके भी शामिल है सीएमओ का यह जवाब ही तमाम सवाल खड़े कर रहा है कि शहर में एक तरफ तमाम लोग संक्रमण से भयभीत हैं और इसके कोई भी लक्षण दिखने पर घर पर इलाज कर रहे हैं तो यह कैसे मान लिया जाए कि संक्रमण कम हो गया है।

वार्ड निगरानी समिति के काम पर भी सवाल : पार्षद की अध्यक्षता में बनाई गई वार्ड निगरानी समिति भी कागजों पर ही है। यह समिति घर-घर जाकर लोगों में संक्रमण के लक्षण पता करने में विफल साबित हो रही है। समिति वार्ड में बीमार और अन्य लक्षण के मरीजों की रिपोर्ट तक नहीं दे रही है और न मददगार बन पा रही है। पार्षद भी नगर निगम की सैनिटाइजेशन मशीन के साथ चलकर और खुद से छिड़काव करते हुए फोटो और वीडियो बनाकर उसे जारी कर वाहवाही ही लूट रहे हैं।

इनका फोन मिल जाए तो क्या कहने! : कोरोना की जांच कराने के लिए जिम्मेदार अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. एमके सिंह ने अपने मोबाइल नंबर पर न जाने कौन सा जादू कर दिया है कि वह मिलता ही नहीं है। जब भी फोन मिलाइए तो एक की संदेश आता है कि यह सेवा अभी उपलब्ध नहीं है, कुछ देर बार दोबारा मिलाइए। कोरोना रोकथाम में लगे किसी जिम्मेदार अफसर का नंबर ही अगर यह संदेश दे तो आम लोगों का दर्द कौन सुनेगा। यह नंबर वही हैं, जिसे प्रशासन ने हेल्प लाइन के लिए जारी किया था।

तो नॉन कोविड मौत इतनी कैसे? : संक्रमण की शत प्रतिशत जांच न होने से उसका प्रभाव दिख रहा है। जांच न होने और जांच रिपोर्ट देर से मिलने से लोग घरों में ही दम तोड़ रहे हैं। भैंसाकुंड श्मशानघाट पर सामान्य दाह संस्कार में सामान्य दिनों में 15 से 16 शव ही आते थे, जबकि पिछले वर्ष कोरोना काल में सामान्य मौतों का ग्राफ और भी गिर गया था। यह बात खुद भैंसाकुंड श्मशानघाट के महापात्र राजेंद्र मिश्र भी कहतेे हैं कि पिछले वर्ष कोरोना काल में बहुत कम (नॉन कोविड) शव आते थे, लेकिन इस बार तो एक-एक दिन में सौ से अधिक का आंकड़ा पहुंच गया है। इसी तरह गुलाला घाट के महापात्र विनोद पांडेय कहते हैं कि पहले आठ शव तक आते थे, लेकिन इस बार 70 से 80 शव तक आए हैं। इसी तरह सन्नाटे में रहने वाले शहर के 20 श्मशानघाटों पर नॉन कोविड शव पहुंच रहे हैं। यही हाल कब्रिस्तानों का भी है। ऐशबाग कब्रिस्तान की देखरेख करने वाले मोहम्मद कलीम कहते हैं कि सामान्य दिनों की अपेक्षा नॉन कोविड शव कई गुना बढ़ गए थे, जबकि अन्य 42 कब्रिस्तानों में भी शव जाने लगे, जहां जाते नहीं थे।

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