Smart City Project: UP के सात शहरों में स्‍मार्ट पार्किंग के लिए नहीं मिल रही जमीन, रिपोर्ट में खुली पोल

गोरखपुर अयोध्या मेरठ अलीगढ़ गाजियाबाद वृंदावन और फिरोजाबाद ऐसे नगर निगम हैं जहां के अफसर स्मार्ट पार्किंग की योजना को फाइल से बाहर नहीं निकाल पाए हैं। मुख्य सचिव ने भूमि तलाशने के दिए निर्देश। रिपोर्ट से सामने आई हकीकत।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Sat, 20 Mar 2021 11:26 AM (IST) Updated:Sat, 20 Mar 2021 11:26 AM (IST)
Smart City Project: UP के सात शहरों में स्‍मार्ट पार्किंग के लिए नहीं मिल रही जमीन, रिपोर्ट में खुली पोल
उत्‍तर प्रदेश के सात शहरों में नहीं मिल रही स्‍मार्ट पार्किंग की जमीन।

लखनऊ [अजय श्रीवास्तव]। शहरों को स्मार्ट बनाने की योजना में अफसरशाही हावी होती जा रही है। सरकार हर किसी को स्मार्ट सुविधा देना चाहती है, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत स्मार्ट पार्किंग बनाई जानी थी, लेकिन सात शहरों के अफसर इस योजना के लिए अभी तक जमीन का चयन नहीं कर पाए हैं। रिपोर्ट से यह हकीकत सामने आने के बाद खुद मुख्य सचिव ने ही नाराजगी जताई है।

गोरखपुर, अयोध्या, मेरठ, अलीगढ़, गाजियाबाद, वृंदावन और फिरोजाबाद ऐसे नगर निगम हैं, जहां के अफसर स्मार्ट पार्किंग की योजना को फाइल से बाहर नहीं निकाल पाए हैं। जमीन की तलाश ही नहीं हो पाई तो योजना आगे कैसे बढ़ेगी? यह अपने आप में ही बड़ा सवाल है। अगर इन शहरों में स्मार्ट पार्किंग बन गई होती तो हर किसी को अपने वाहन खड़े करने की झंझट से राहत मिल जाती। साथ ही वह घर बैठे ही पार्किंग में पहले ही जगह बुक करा लेता और पार्किंग शुल्क भी ऑनलाइन भुगतान कर देता।

स्मार्ट पार्किंग की खासियत

आप पार्किंग पहुंचे तो बाहर ही पता चल जाता कि अंदर जगह है कि नहीं? ऐसे में आपको अंदर वाहन ले जाकर वापस ले जाने के झंझट से राहत मिल जाती। अगर पार्किंग में जगह है तो आटोमेटिक प्रवेश करते ही पर्ची मिलते ही बैरियर खुल जाएगा। दिशा सूचक आपको बता देता है कि कौन सी जगह खाली है। शुल्क का भुगतान भी डिजिटल और नकद हो जाएगा। अगर आपने अपने मोबाइल फोन पर स्मार्ट पार्किंग का एप लोड कर रखा है तो घर बैठे ही पार्किंग की लोकेशन के साथ ही वहां जगह की उपलब्धता के बारे में पता चल जाएगा। अगर जगह खाली है तो घर बैठे ही पार्किंग शुल्क भी जमा कर सकते हैं। पार्किंग में वाहन कितने बजे प्रवेश हुआ और कितने बजे निकला इसकी भी जानकारी मिल सकेगी। कौन सा वाहन कितने दिनों से पार्किंग में खड़ा है, इसका ब्योरा भी तत्काल उपलब्ध हो सकेगा। पारदर्शी व्यवस्था होने से पार्किंग शुल्क की चोरी में रोकथाम लग सकेगी।

लखनऊ में भी नहीं बन सकी स्मार्ट पार्किंग

लखनऊ में भी सात स्मार्ट पार्किंग बनाने की योजना थी। इसमें लालबाग के झंडी पार्क, दयानिधान पार्क और सरोजनी नायडू पार्क की भूमिगत पार्किंग का चयन किया गया था, लेकिन कागजों से यह योजना बाहर नहीं निकल सकी।

यहां अधूरी पड़ी है पार्किंग

कैसरबाग चकबस्त कोठी परिसर में तो वैसे अनावासीय भवन बनना था, लेकिन बाद में उसे मल्टीलेवल स्मार्ट पार्किंग में तब्दील कर दिया गया था। यहां कई मंजिला निर्माण भी हो गया था, लेकिन आगे बजट न मिलने से काम बंद हो गया। स्मार्ट सिटी बोर्ड ने बजट देने से मना करते हुए नगर निगम को अपने संसाधनों से उसे पूरा कराने को कहा गया था। इससे पूर्व स्मार्ट सिटी बोर्ड की सात अगस्त 2019 को हुई बैठक में अधूरे कार्य को पूरा करने के लिए दस करोड़ देने पर सहमति बनी थी, लेकिन बजट नहीं मिल पाया। करीब तीन वर्ष पहले बिल्डिंग की नींव रखी गई और आवस्थापना निधि 12.12 करोड़ की बजट मंजूरी के बाद 4.77 करोड़ जारी हो पाए थे, लिहाजा आगे का निर्माण बंद हो गया। अधूरी बिल्डिंग जंगल में तब्दील हो गई। निर्माण पूरा कराने को लेकर सेंट्रल बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अमरेश पाल ने भी मध्य विधानसभा क्षेत्र से विधायक और कानून व विधि मंत्री ब्रजेश पाठक को पत्र लिखा था। यह पत्र शासन भी गया। ऐसा इसलिए कि जिला अदालत और निबंधन कार्यालय में आने वाले वाहनों को जगह मिल सके और जाम से छुटकारा मिल सके।

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