Coronavirus Death Case: छंटने लगा श्मशानघाट से उठता गाढ़ा काला धुआं, लखनऊ में कम होने लगी शवों की संख्या
23 अप्रैल को भैंसाकुंड और गुलाला घाट पर पहुंचे थे 175 शव। 04 मई के बाद से शव पहुंचने की संख्या हुई एक तिहाई। अप्रैल में हर दिन सौ से डेढ़ सौ शव श्मशानघाट भैंसाकुंड और गुलाला पर आते थे।
लखनऊ, (अजय श्रीवास्तव)। बात अप्रैल की है, जब भैंसाकुंड श्मशानघाट से उठता गाढ़ा काला धुआं कोरोना के बढ़ते प्रकोप को बता रहा था। शव वाहन का शोर ही सुनाई पड़ता था। एक-एक साथ 50 से 70 चिताएं जलाई जाती थीं। लाकडाउन और लोगों की सतर्कता से अब मौत का आकड़ा काफी कम हुआ है। यह राहत की बात है। चार मई के बाद हालात सुधरे हैं। लोगों को इलाज मिलने में भी तेजी आई है। नतीजा, मृतकों की संख्या कम होने से अंतिम संस्कार के लिए इंतजार नहीं करना पड़ रहा है।
अप्रैल में हर दिन सौ से डेढ़ सौ शव श्मशानघाट भैंसाकुंड और गुलाला पर आते थे। इन्हीं घाटों पर कोविड संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार होता है। शवों की संख्या अप्रैल शुरुआत में अचानक बढऩे और विद्युत शवदाह गृहों पर लंबी वेटिंग होने लगी थी। शाम को आए शव का नंबर रात 11 बजे ही आ पाता था। देखते ही देखते शवों का आंकड़ा सौ के पार हो गया था। लिहाजा, वेटिंग खत्म करने के लिए नगर निगम ने अंतिम संस्कार लकड़ी से कराना शुरू कराया। पहले 50 चिताएं बनाई गईं लेकिन, यह भी कम पडऩे लगीं तो कुछ दिन बाद ही सौ चिताएं तैयार की जाने लगीं। यह हाल श्मशानघाट भैंसाकुंड (कोविड) का था। 23 अप्रैल को तो भैंसाकुंड और गुलाला घाट पर कोरोना संक्रमित शवों के पहुंचने की संख्या 175 तक हो गई थी, जबकि 22, 24 और 27 अप्रैल को डेढ़ सौ का आंकड़ा पार हो गया था। अब चार मई से यह संख्या घटकर एक तिहाई तक पहुंच गई है।
गुलाला और भैंसाकुंड श्मशानघाट पर तारीखवार पहुंचने वाले शवों की संख्या
28 अप्रैल - 144 27 अप्रैल - 152 26 अप्रैल - 141 25 अप्रैल - 131 24 अप्रैल - 152 23 अप्रैल - 175 22 अप्रैल - 154गुलाला श्मशान घाट
(अप्रैल में यहां हर दिन 35 से 40 कोविड शव पहुंचते थे)