डायबिटिक फुट के घावों का बाईपास सर्जरी से इलाज संभव, SGPGI में शुरू हुई तकनीक

डायबिटीज की वजह से पैरों में होने वाले घाव का इलाज अब आसान हो गया है। इसे बाईपास सर्जरी के जरिए ठीक किया जा सकेगा। संजय गांधी पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने यह प्रयोग शुरू कर दिया है। बचे रहेंगे मरीजों के पैर।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 08:32 AM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 12:50 PM (IST)
डायबिटिक फुट के घावों का बाईपास सर्जरी से इलाज संभव, SGPGI में शुरू हुई तकनीक
एसजीपीजीआइ में स्थापित किया गया इन्फ्राइनगुवाइनल बाईपास तकनीक।

लखनऊ, जेएनएन। डायबिटीज की वजह से पैरों में होने वाले घाव का इलाज अब आसान हो गया है। इसे बाईपास सर्जरी के जरिए ठीक किया जा सकेगा। संजय गांधी पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने यह प्रयोग शुरू कर दिया है। अभी ऑनलाइन कॉल के जरिए मरीजों को सलाह दी जा रही है। कोविड का असर कम होने के बाद ऐसे मरीजों को बुलाकर सर्जरी की जाएगी।एसजीपीजीआई की प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो राजीव अग्रवाल ने बताया कि मधुमेह की वजह से पैरों में होने वाला घाव बढ़ता रहता है। रक्त कि कोशिकाओं में थक्के जमा हो जाते हैं और ये कोशिकाएं ब्लाक हो जाती हैं। इस अवस्था मेंरोगी के पैरों में रक्त का प्रवाह अत्यन्त कम हो जाता है और इसी कारण से उंगलियों अथवा पैर में गैंगरीन भी हो जाती है। ऐसेे मरीजों मधुमेह के कारण पैरों कि प्रधान रक्त वाहिकाएं या तो संकुचित हो चुकीं हैं या वसा के थक्के के कारण कई स्थानों पर ब्लाक होने पर प्लास्टिक सर्जरी विभाग में नई तकनीक से ऑपरेशन किया जाता है।

इस आपरेशन को मेडिकल भाष में इन्फ्राइनगुवाइनल बाईपास कहते हैं। जिसमें कि शरीर कि हीं स्वस्थ रक्त वाहिका का प्रयोग करके, ब्लाक वाली वाहिका को बाईपास किया जाता है। यह आपरेशन हृदय के बाईपास जैसा हीं है, बस अन्तर इतना हीं है कि जो बाईपास हृदय रोग में किया जाता है, उसी तरह का बाईपास मधुमेह से ग्रसित पैरों के संकुचित वाहिकाओं को बाईपास करने में किया जाता है । पिछले 6 माह में करीब 10 रोगियों में इस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए ऑपरेशन किया गया।क्या है खासियतप्रो राजीव अग्रवाल ने बताया कियह आपरेशन अत्यन्त जटिल एवं हाइ मैग्नीफिकेशन में माइक्रोस्कोप के द्वारा किया जाता है। इसमें पैर कि हीं रक्त वाहिका से माइक्रो सर्जरी के द्वारा एक खास विधी से जोड़ा जाता है। इस आपरेशन में पाँच से दस घंटे का समय लग सकता ळे तथा रोग के अनुरूप लम्बी रक्त वाहिनीयों का प्रयोग किया जाता हैं, जो कि एक से डेढ़ फिट तक लम्बी भी हो सकती हैं। क्या है डायबिटीज फूडप्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो राजीव अग्रवाल ने बताया कि डायबिटीज का असररेटीना,गुर्दे,रक्त कि नलियां,तंत्रिकाएं एवं पैर पर पड़ता है। मधुमेह के कारण रोगीयों में पैरों में घाव जल्दी हो जाते हैं। छोटी सी चोट लगने के बाद भी घाव भरने में अधिक समय लगता है। कई बार ऐसे घाव ठीक हीं नही होते हैं । इन्हें डायबिटीक फुट अल्सर कहा जाता है। सही प्रकार से इलाज न मिलने पड़ एक छोटा सा भी ऐसा घाव बढ़ते-बढ़ते पूरे पैर को भी प्रभावित कर लेता है। 

क्या है लक्षण: मधुमेह में सबसे पहले पैरों के रंग में बदलाव आता है, और फिर सुजन और दर्द से रोग का आरंभ होता है। इस अवस्था में अगर चलते हुए, नाखुन काटते हुए या किसी अन्य कारण से पैर में छोटी सी चोट भी लगती है, तो यह आसानी से ठीक नही होती है और जल्दी हीं बड़ा रूप ले लेती है। यदि पैर का कोई हिस्सा संकुचित हो जाए, लंबे समय तक घाव ना भरे कालापन हो तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

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