अब UP के इन सर्वाधिक प्रदूषित शहरों का पहले होगा 'इलाज', अलग-अलग हिस्सों में बांटकर शुद्ध की जाएगी हवा

कानपुर से होगी शुरुआत 174 हिस्सों में बांटा शहर। इसके बाद उत्तर प्रदेश के अन्‍य शहरों की बारी आएगी। शहर को दो किलोमीटर गुणे दो किलोमीटर के ग्रिड में बांटकर प्रदूषण फैलाने वाले कारकों से सबसे पहले निपटा जाएगा।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Sun, 21 Feb 2021 10:00 AM (IST) Updated:Sun, 21 Feb 2021 09:14 PM (IST)
अब UP के इन सर्वाधिक प्रदूषित शहरों का पहले होगा 'इलाज', अलग-अलग हिस्सों में बांटकर शुद्ध की जाएगी हवा
शहर को दो किलोमीटर गुणे दो किलोमीटर के ग्रिड में बांटकर प्रदूषण फैलाने वाले कारकों से सबसे पहले निपटा जाएगा।

लखनऊ [शोभित श्रीवास्तव]। वायु प्रदूषण के लिहाज से शहरों में सर्वाधिक प्रदूषण फैलाने वाले स्रोतों का सबसे पहले इलाज किया जाएगा। सरकार ने शहरों को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर हवा शुद्ध करने की योजना बनाई है। 'ग्रिड आधारित एक्शन प्लान' के तहत शहर को दो किलोमीटर गुणे दो किलोमीटर के ग्रिड में बांटकर प्रदूषण फैलाने वाले कारकों से सबसे पहले निपटा जाएगा। इस मॉडल की शुरुआत कानपुर से होने जा रही है। आइआइटी कानपुर की जियोग्राफिक इनफॉरमेशन सिस्टम (जीआइएस) आधारित अध्ययन को आधार बनाकर शहर को 174 ग्रिड में बांटा गया है। सबसे पहले 23 ग्रिड में एक साथ फोकस कर वायु प्रदूषण दूर किया जाएगा।

दरअसल, जल प्रदूषण में स्रोत पहले से पता होते हैं, लेकिन वायु प्रदूषण में स्रोत की जानकारी नहीं होती है। उत्सर्जन कहीं होता है और हवा के अनुरूप उसका असर कहीं और दिखाई देता है। अभी तक शहरों में किस स्रोत से कितना वायु प्रदूषण फैल रहा है इसको लेकर कोई जानकारी नहीं होती है। इसलिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आइआइटी कानपुर से कानपुर व आगरा में वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोतों की जानकारी के लिए जीआइएस आधारित विस्तृत अध्ययन कराया है। इसमें प्रदूषण फैलाने वाले स्रोत चिह्नित किए गए हैं। इसी अध्ययन के आधार पर वायु प्रदूषण दूर करने के लिए अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ग्रिड आधारित एक्शन प्लान तैयार किया है। माइक्रो लेवल एक्शन प्लान के जरिए इंडस्ट्री, वाहन, भवन निर्माण एवं विध्वंस, रोड डस्ट, घरेलू उत्सर्जन, अस्पताल, कचरा जलाने, होटल एवं रेस्तरां से होने वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाया जाएगा।

इस एक्शन प्लान के जरिए सबसे छोटी इकाई को लेकर वायु गुणवत्ता प्रबंधन किया जाएगा। प्रदूषण फैलाने वाले कारकों पर कार्रवाई कर योजना को समय पर पूरा करने की तैयारी है। इसके तहत सबसे पहले उन ग्रिडों का चयन किया गया है जहां से शहर में सबसे अधिक प्रदूषण फैल रहा है। इस प्लान के तहत वर्ष 2024 तक वायु प्रदूषण यानी पीएम 2.5 व पीएम 10 को 20 से 30 फीसद तक कम करने का लक्ष्य रखा गया है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के इस मॉडल की तारीफ की है।

यहां लागू होगी योजना: आगरा, लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, गाजियाबाद, नोएडा, खुर्जा, फीरोजाबाद, अनपरा, गजरौला, झांसी, मुरादाबाद, रायबरेली एवं बरेली। 

प्रदूषण के इन स्रोतों रहेगा फोकस: रोड डस्ट, कंस्ट्रक्शन डस्ट, ओपेन एरिया, वाहनों का प्रदूषण, इंडस्ट्री का प्रदूषण, घरेलू प्रदूषण, कचरा जलाने से होने वाला प्रदूषण, होटल में लगे डीजल जेनरेटर, अस्पतालों में लगे डीजल जेनरेटर व इंडस्ट्री में लगे डीजल जेनरेटर

11 विभाग एक साथ करेंगे काम:  प्रदूषण दूर करने में 11 विभाग एक साथ काम करेंगे। इनमें यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नगर निगम, विकास प्राधिकरण, वन विभाग, यातायात पुलिस, राज्य विद्युत उत्पादन निगम, जिला उद्योग केंद्र, संभागीय परिवहन अधिकारी, जिला पूर्ति अधिकारी, यूपी मेट्रो रेल कारपोरेशन व सेंट्रल यूपी गैस लिमिटेड है।

ग्रिड आधारित एक्शन प्लान तैयार: उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सदस्य सचिव आशीष तिवारी के मुताबिक, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रिड आधारित एक्शन प्लान तैयार किया है। इस मॉडल के आधार पर सबसे पहले कानपुर में वायु प्रदूषण कम करने के उपाय किए जाएंगे। इसके बाद आगरा, लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी सहित अन्य शहरों में यह मॉडल लागू किया जाएगा।

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