अब गर्भ में ही चल जाएगा थैलेसीमिया का पता, डॉक्टरों ने खोज निकाला ये रास्ता Lucknow News

बड़ी कामयाबी हीमोग्लोबिन-ई और सिकलसेल एनीमिया का भी पता लगेगा। केजीएमयू में गर्भवती की होगी जांच दस जनपदों शुरुआत।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Sun, 15 Sep 2019 08:54 AM (IST) Updated:Sun, 15 Sep 2019 03:37 PM (IST)
अब गर्भ में ही चल जाएगा थैलेसीमिया का पता, डॉक्टरों ने खोज निकाला ये रास्ता Lucknow News
अब गर्भ में ही चल जाएगा थैलेसीमिया का पता, डॉक्टरों ने खोज निकाला ये रास्ता Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू ने गर्भस्थ शिशुओं में थैलेसीमिया का राज खोलने का रास्ता ढूंढ लिया है। इसके तहत दो से तीन माह की गर्भवती के खून का नमूना लिया जाएगा। थैलेसीमिया, सिकलसेल एनीमिया या हीमोग्लोबिन-ई की पुष्टि होने पर पति की भी जांच कराई जाएगी। दोनों की रिपोर्ट मिलान के बाद गर्भ में पल रहे शिशु से अम्लाइकल फ्ल्यूड का नमूना लिया जाएगा। उसका डीएनए निकालकर वी-2बीटा चेक पैनल पर जांच कर म्यूटेशन देखा जाएगा। यदि इसमें थैलेसीमिया की पुष्टि हुई तो दंपती को बच्चे के बारे में फैसला लेने का विकल्प खुला रहेगा। 

तीन करोड़ 85 लाख आवंटित

केजीएमयू के सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च के मॉलीक्यूलर बायोलॉजी लैब की डॉ. नीतू सिंह ने हीमोग्लोबिनपैथीज अनुवांशिक स्क्रीनिंग प्रोजेक्ट तैयार किया था। इसके लिए तीन करोड़ 85 लाख रुपये का बजट नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) ने आवंटित कर दिया है। 

ऐसी होगी जांच 

स्क्रीनिंग में थैलेसीमिया समेत अन्य रक्त विकारों के प्रकोप का आकलन होगा। पहले गर्भवती के खून की जांच की जाएगी। वही लक्षण मिलने पर अम्लाइकल फ्ल्यूड से डीएनए स्तर पर पड़ताल की जाएगी। इससे बच्चों में थैलेसीमिया, सिकलसेल एनीमिया व हीमोग्लोबिन-ई का भी पता चल जाएगा। 

यहां से सैंपल जाएंगे केजीएमयू

राज्य के 10 जिलों यह प्रोजेक्ट चलाया जाएगा। तीन माह तक की 70 हजार गर्भवतियों की जांच होगी। लखनऊ के अवंतीबाई और क्वीनमेरी अस्पताल में 20 हजार और लोहिया अस्पताल में पांच हजार सैंपल लिए जाएंगे। इसके अलावा वाराणसी के एसएसपीजी हॉस्पिटल, बरेली, अलीगढ़, झांसी, जीबी नगर, गोरखपुर, सहारनपुर, बुलंदशहर व मेरठ के जिला अस्पतालों में सैंपल भरे जाएंगे। यह जांच केजीएमयू में मॉल्डीटॉफ सीक्वेंसर मशीन पर होगी।

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