GST में भी टैक्स चोरों ने ढूंढ़ा लूप होल, अब कम कीमत दिखा कर हो रही बिलिंग

जीएसटी में टैक्स चोरों ने अब अंडर बिलिंग का खेल शुरू किया है। टैक्स की चोरी करने वाले व्यापारी बाहर से लाने वाले माल की बिलिंग कम की करवा माल का परिवहन करते हैं। जबकि आने वाला माल दोगुनी और तीन गुनी कीमत का होता है।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 10:13 AM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 02:08 PM (IST)
GST में भी टैक्स चोरों ने ढूंढ़ा लूप होल, अब कम कीमत दिखा कर हो रही बिलिंग
जीएसटी में भी टैक्स चोरी करने का नया रास्ता बना लिया है, अधिकारी जिसके आगे लाचार हैं।

लखनऊ [नीरज मिश्र]। जीएसटी में टैक्स चोरों ने अब अंडर बिलिंग का खेल शुरू किया है। टैक्स की चोरी करने वाले व्यापारी बाहर से लाने वाले माल की बिलिंग कम की करवा माल का परिवहन करते हैं। जबकि आने वाला माल दोगुनी और तीन गुनी कीमत का होता है। लेकिन प्रवर्तन दल उसे पकड़ नहीं पाते हैं। वजह मौके पर माल की सही कीमत का आकलन संभव नहीं होता है। इस तरह का खेल रेडीमेड गारमेंटस, होजरी, मार्बल, टाइल्स आदि कारोबार में यह खेल आसान होता है।

पकड़ा जाना आसान नहीं: कम बिलिंग करा माल लेकर आ रहे ट्रक स्वामी के पास जो बिल या टैक्स इनवाइस होती है उसमें घोषित माल का ई-वेबिल होता है। ऐसे में उसे रोका जाना मुश्कि ल होता है। यह जानते हुए भी कि जो माल है वह ज्यादा कीमत का है। जीएसटी के ज्वाइंट कमिश्नर अजय वर्मा के मुताबिक दूसरे राज्यों से भेजा जाने वाला माल व्यापारी काफी कम कीमत का बनवा ई-वेबिल जेनेरेट करा लेता है। चूंकि इनवाइस और ई-वेबिल में सामने गड़बड़ी दिखती नहीं, ऐसे में टैक्स की चोरी आसान हो जाती है।

एंटी प्रोफिटरी कमेटी: अंडर वैल्यू वाले माल की मौके पर पड़ताल के लिए विभाग की ओर से एंटी प्रोफिटरी कमेटी का गठन किया गया था। इसका काम माल की वास्तविक कीमत का पता कर असली टैक्स निर्धारित कराना था। लेकिन कमेटी की ओर से अभी तक कोई ठोस पहल जमीन पर नहीं दिखी। आज भी अधिक कीमत के माल को कम का दर्शाकर बिलिंग करा टैक्स चोरी धड़ल्ले से की जा रही है।

जीएसटी चोरी में सेंध लगाने को ये खेल भी: 

बिना माल के इनवाइस जारी करते हैं। व्यापारी अस्तित्वहीन फर्म खोल आईटीसी यानी टैक्स इनपुट क्रेडिट का लाभ ले लेते हैं जिसे पकड़ा जाना आसान नहीं होता है। अभी सीजीएसटी की ओर से एक बड़े कारोबारी को पकड़ा गया था जिसने कई फर्जी फर्मों के सहारे आईटीसी में हेराफेरी की थी। माल किसी और का बिल किसी और का। मामला पकड़ में तब आया कि माल भेजने वाली जिस फर्म का बिल दिखाया गया वह फर्म उस रूट पर दूर-दूर तक नहीं थी।
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