Good News: अब इलाज के अभाव में दम नहीं तोड़ेंगे गंभीर मरीज, SGPGI में सात गुना बढ़ेंगे इमरजेंसी बेड
इमरजेंसी में इलाज के लिए लखनऊ में दर-दर भटकने वाले गंभीर मरीजों और उनके तीमारदारों के लिए राहत भरी खबर है। संजय गांधी स्नात्कोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) अब नवंबर से इमरजेंसी बेड की संख्या में सात गुना बढ़ोतरी करने जा रहा है।
लखनऊ, [धर्मेन्द्र मिश्रा]। इमरजेंसी में इलाज के लिए लखनऊ में दर-दर भटकने वाले गंभीर मरीजों और उनके तीमारदारों के लिए राहत भरी खबर है। संजय गांधी स्नात्कोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) अब नवंबर से इमरजेंसी बेड की संख्या में सात गुना बढ़ोतरी करने जा रहा है। इससे अब इलाज के अभाव में गंभीर मरीजों की जान नहीं जाने पाएगी। मौजूदा वक्त में यहां की इमरजेंसी में सिर्फ 30 बेड हैं। दो माह बाद यह संख्या बढ़कर 210 हो जाएगी। इसके बाद एसजीपीजीआइ प्रदेश में केजीएमयू के बाद सर्वाधिक इमरजेंसी बेड क्षमता वाला दूसरा संस्थान हो जाएगाा।
एसजीपीजीआइ में प्रदेश के अलावा बिहार, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के मरीज भी इलाज के लिए आते हैं। मगर इमरजेंसी में बेड नहीं होने से उन्हें निराशा हाथ लगती है। भर्ती होने की उम्मीद में तीमारदार अपने मरीज को लेकर कई दिनों तक आसपास की धर्मशाला या सरकारी निजी भवनों के छज्जों के नीचे रहकर रात-दिन काटते हैं। वहीं कई मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भटकने के बावजूद कहीं भर्ती नहीं हो पाते। ऐसे में या तो वह निजी अस्पतालों में ठगे जाते हैं या फिर आर्थिक रूप से अक्षम मरीज की निजी में जाने की क्षमता नहीं होने से इलाज के अभाव में मौत हो जाती है। लखनऊ के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में कुल मिलाकर इमरजेंसी बेड की संख्या 600 के करीब है। जबकि इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की संख्या रोजाना इसके पांच गुने से भी अधिक है।
नवंबर से शुरू होगी अत्याधुनिक इमरजेंसी: एसजीपीजाइ के निदेशक डा. आरके धीमन ने बताया कि नवंबर से 210 बेड क्षमता की इमरजेंसी सेवा शुरू कर दी जाएगी। यह काफी अत्याधुनिक होगी। यहां एडवांस सिस्टम से मरीजों को भर्ती की सुविधा होगी। इससे मरीजों को बेड खाली होने की जानकारी भी मिलती रहेगी।
लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में इमरजेंसी बेड संख्या
हम चाहते हैं कि किसी भी इमरजेंसी के मरीज को लौटाना नहीं पड़े। ताकि इलाज के अभाव में किसी की मौत न हो। इसलिए इमरजेंसी सेवाओं की क्षमता बढ़ाई जा रही है। इससे मरीजों की मुश्किलें आसान होंगी। -प्रो. डा. आरके धीमन, निदेशक एसजीपीजाइ।