COVID-19 Effect: लखनऊ में कालाबाजारियों की निगाह अब पल्स ऑक्सीमीटर पर, रोज बढ़ रहीं हैं कीमतें
ढाई हजार से ऊपर बढ़ती डिमांड देख कालाबाजारियों ने जरूरतें देख मनमाना रेट लेना शुरू कर दिया। लोकल वाले पल्स ऑक्सीमीटर 1500 से 1800 तक बेच रहे हैं। अगर बड़ी कंपनियों के इस उपकरण को आम बाजार में लेना चाह रहे हैं तो ढाई हजार या फिर इससे भी ऊपर।
लखनऊ, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के दौर में अब कालाबाजारियों की नजर पल्स ऑक्सीमीटर पर टिकी है। बाजार में ऑक्सीमीटर ढूंढने पर भी नहीं मिल रहे हैं। जो हैं भी वह ब्रांडेड और महंगे हैं। डिमांड अधिक देख इसका फायदा सिर्फ कालाबाजारी ही नहीं कंपनियां भी उठा रही हैं।रोज कीमतों में बदलाव किए जा रहे हैं। इसका असर मरीजों और आमजनों पर पड़ रहा है। लोग मजबूरी में महंगे दाम पर पल्स ऑक्सीमीटर खरीदने को मजबूर हैं। हाल यह है कि ऑक्सीजन का स्तर नापने वाले इस उपकरण पल्स ऑक्सीमीटर के रेट दोगुने से ज्यादा हो चुके हैं। बाजार में कमी है। पेश है बाजार में पल्स ऑक्सीमीटर की कीमतों पर नीरज मिश्र की रिपोर्ट...।
अब 1500 तक लोकल वाला ब्रांडेड: सर्जिकल के थोक कारोबारी यतिन मलिक ने बताया कि ढाई हजार से ऊपर बढ़ती डिमांड देख कालाबाजारियों ने जरूरतें देख मनमाना रेट लेना शुरू कर दिया है। लोकल वाले पल्स ऑक्सीमीटर 1500 से 1800 तक बेच रहे हैं। अगर बड़ी कंपनियों के इस उपकरण को आम बाजार में लेना चाह रहे हैं तो ढाई हजार या फिर इससे भी ऊपर। कारोबारी बताते हैं कि पहले लोकल 500 से 600 और ब्रांडेड जीएसटी मिलाकर 1000 से 1200 रुपये तक मिल जाते थे। अब कंपनियां आपूर्ति ही कम कर रही हैं। रोज रेट में बदलाव कर रही हैं।
माल की कमी है और जरूरत अधिक। कंपनियां माल नहीं दे पा रही हैं। रोज कीमताें में बदलाव किया जाता है। गुजरात हो या फिर बैंगलौर आदि की कंपनियां जरूरत के मुताबिक ऑक्सीमीटर नहीं दे पा रही हैं। माल की कमी का फायदा लोकल कालाबाजारी उठा रहे हैं। जल्द ही बड़ी खेप पहुंचने वाली है। स्थितियां सामान्य हो जाएंगी।
मेडिकल स्टोर संचालक डीबी सिंह ने बताया कि पहले जो 500 से 800 रुपये में ऑक्सीमीटर मिल जाता था। कालाबाजारी सक्रिय हैं। अब बाजार में ढूंढे नहीं मिल रहा है। ज्यादा रेट बताओं तो ग्राहक लेने को तैयार नहीं। जिनके घरों में कोविड के ज्यादा मरीज हैं वह भी उनकी संख्या के हिसाब से ऑक्सीमीटर खरीद रहे हैं। आमलोग भी खरीद रहे हैं। इससे माल की कमी बनी हुई है।सीधी बात है जब माल कम है जरूरत कई गुना ज्यादा।