अब सिर्फ 'समाधान पोर्टल' से होगा विभागों की हर तरह की शिकायत और समस्या का निस्तारण

यूपी में शिकायत और निस्तारण के विभिन्न पोर्टल को अब समाधान पोर्टल से जोड़ दिया गया है। हर विभाग की जिम्मेदारी तय करते हुए भौतिक सत्यापन को भी अनिवार्य कर दिया गया है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Tue, 18 Feb 2020 04:14 PM (IST) Updated:Tue, 18 Feb 2020 04:16 PM (IST)
अब सिर्फ 'समाधान पोर्टल' से होगा विभागों की हर तरह की शिकायत और समस्या का निस्तारण
अब सिर्फ 'समाधान पोर्टल' से होगा विभागों की हर तरह की शिकायत और समस्या का निस्तारण

लखनऊ, जेएनएन। आगरा और मीरजापुर पुलिस की कारस्तानी हाल ही में सामने आई थी कि कैसे आवेदक का मोबाइल नंबर दर्ज न कर शासन की आंख में धूल झोंक रहे थे। जनसुनवाई की ऑनलाइन व्यवस्था में से ऐसी सभी चालबाजियों को 'ऑफलाइन' करने के लिए शासन ने नई व्यवस्था की है। शिकायत और निस्तारण के विभिन्न पोर्टल को अब समाधान पोर्टल से जोड़ दिया गया है। हर विभाग की जिम्मेदारी तय करते हुए भौतिक सत्यापन को भी अनिवार्य कर दिया गया है।

पिछले दिनों पुलिस का कारनामा खुला कि वह सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत अपलोड करते वक्त शिकायतकर्ता का मोबाइल नंबर काट दे रहे थे, ताकि फीडबैक न लिया जाए। ऐसे ही कई तरह की शिकायतें मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचीं। इस पर शासन ने व्यवस्था को और चुस्त-दुरुस्त करने का प्रयास किया है।

शिकायतों के विभिन्न माध्यम जैसे, मुख्यमंत्री कार्यालय, जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक या पुलिस अधीक्षक कार्यालय, संपूर्ण समाधान दिवस (तहसील दिवस), थाना समाधान दिवस, भारत सरकार (पीजी पोर्टल), मुख्यमंत्री हेल्पलाइन (1076), एंटी-भूमाफिया, एंटी करप्शन आदि से प्राप्त शिकायतों को समाधान पोर्टल में समन्वित कर दिया गया है। मुख्य सचिव आरके तिवारी ने इस संबंध में सोमवार को शासनादेश जारी कर दिया।

अब ऐसे होगी निगरानी

आवेदक को अपना मोबाइल नंबर अनिवार्य रूप से लिखना होगा। यदि उसके पास मोबाइल नंबर उपलब्ध न हो तो किसी निकटस्थ व्यक्ति का नंबर लिखेंगे। जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, एसएसपी के स्तर से न्यूनतम 50 फीसद और अन्य जिलास्तरीय अधिकारी सौ फीसद संदर्भ अधीनस्थ अधिकारियों को आख्या के लिए ही अग्रसारित कर सकेंगे। शिकायत के निस्तारण के बाद आवेदक तत्काल मोबाइल ऐप या पोर्टल के माध्यम से फीडबैक दे सकते हैं। यदि चार दिन तक आवेदक स्वयं फीडबैक दर्ज नहीं करते हैं तो कॉल सेंटर के माध्यम से फीडबैक लिया जाएगा। अनुमोदनकर्ता या निस्तारणकर्ता अधिकारी के स्तर से पुनर्जीवित संदर्भ में फिर असंतुष्ट का फीडबैक मिला तो वह फिर अपने स्तर से उसे पुनर्जीवित नहीं कर सकेंगे। सात दिन से अधिक समय से लंबित प्रस्तावों की संख्या के अनुसार मासिक मूल्यांकन रिपोर्ट में श्रेणीकर्ता उच्चाधिकारी के अंक कटेंगे। मुख्यमंत्री कार्यालय स्तर से पोर्टल पर समस्त स्तरों पर अत्यधिक समय से लंबित और निस्तारित संदर्भों का मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा रैंडम आधार पर परीक्षण किया जाएगा। असंतोषजनक निस्तारण पाए जाने पर शिकायतों को विशेष सचिव या उच्च स्तर के अधिकारी श्रेणीकरण करते हुए पुनर्जीवित किया जाएगा और ऐसे प्रकरण मुख्यमंत्री के सामने रखे जाएंगे। शासन और निदेशालय स्तर से अपने विभाग की शिकायतों और उनके निस्तारण की निगरानी की जाएगी। फीडबैक के बाद स्पेशल क्लोज किए गए या दो माह से अधिक समय तक लंबित मामलों के परीक्षण के लिए मंडल स्तर से अपर आयुक्त की अध्यक्षता में विभिन्न विभागों के अधिकारियों की टीम गठित की जाएगी। समाधान पोर्टल में स्पेशल क्लोज किए गए न्यूनतम 40 प्रकरणों का भौतिक सत्यापन भी क्षेत्रीय भ्रमण के दौरान करवाया जाएगा।
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