Covid-19 News Update: लखनऊ में नॉन कोविड मरीजों की जिंदगी पर आफत, लौटाए जा रहे गंभीर मरीज

पीजीआइ ने विभागों के आधे संख्या में बेड पर कोविड की वजह से भर्ती बंद कर रखा है। इमरजेंसी में हर घंटे चार–पांच मरीज वापस किए जा रहे हैं। सामान्य दिनों में सभी विभाग के पास ए व बी साइड में 60 बेड रहते हैं।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Fri, 09 Apr 2021 09:40 AM (IST) Updated:Fri, 09 Apr 2021 09:40 AM (IST)
Covid-19 News Update: लखनऊ में नॉन कोविड मरीजों की जिंदगी पर आफत, लौटाए जा रहे गंभीर मरीज
लखनऊ के सरकारी अस्‍पतालों में नॉन कोविड मरीजों की भर्ती हुई बंद।

लखनऊ [धर्मेंद्र मिश्रा[। 70 वर्षीय शांति के शरीर में बहुत अधिक सूजन आ गई है । गैस्ट्रो के डॉक्टर ने बेड न होने के कारण इमरजेंसी में भेज दिया। वहां भी भर्ती नहीं हो सकी। इसी तरह संतकबीर नगर से आई 55 वर्षीय सुनीता को न्यूरो संबंधी गंभीर दिक्कत है। तबीयत बिगड़ने पर परिवारजन पीजीआइ लाए। आरटीपीसीआर जांच भी कराई। मगर डॉक्टर को दिखाने की तारीख नहीं मिल सकी।

ऐसी दिक्कतें सिर्फ इन्हीं के साथ नहीं है, बल्कि संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में इसी तरह रोज 200 से 250 लोग बिना इलाज वापस जा रहे हैं। केजीएमयू और लोहिया संस्थान से भी मरीज लौटाए जा रहे हैं। ऐसे में नॉन कोविड मरीजों की जिंदगी पर आफत आ गई है।

पीजीआइ ने विभागों के आधे संख्या में बेड पर कोविड की वजह से भर्ती बंद कर रखा है। इमरजेंसी में हर घंटे चार–पांच मरीज वापस किए जा रहे हैं। सामान्य दिनों में सभी विभाग के पास ए व बी साइड में 60 बेड रहते हैं। अब बी साइड के सभी वार्ड बंद कर दिए गए हैं। इससे इमरजेंसी के मरीज भी वार्ड में शिफ्ट नहीं हो पा रहे।

सामान्य ओपीडी में आने वाले 45 सौ मरीज बेहाल: पीजीआइ के हर विभाग में लगभग 300 से 400 मरीज नॉनकोविड के सामान्य दिनों में आते हैं। मुख्य रूप से न्यूरो, न्यूरो सर्जरी, नेफ्रो, यूरो, गैस्ट्रो, गैस्ट्रो सर्जरी, पिडिया गैस्ट्रो, कार्डियो, कार्डियक सर्जरी, पल्मोनरी, इंडो , इंडो सर्जरी, क्लीनिक इम्यूनोलॉजी, क्लिनिकल हिमैटोलाजी मुख्य रूप से ऐसे विभाग हैं, जहां कुल मिलाकर करीब 4500 मरीज ओपीडी में आते हैं। इस समय इन विभागों में केवल 50-50 मरीज देखे जा रहे हैं।

मरीजों का कहना है कि हम लोग कहां जाएं।

बिना जांच के कैसा इलाज: फालोअप पर चल रहे मरीजों की जांच के बिना दवा की डोज को घटाना-बढाना संभव नहीं है। विशेषज्ञता वाले विभागों की जांच पहले तो निजी क्षेत्र में संभव नहीं है। यदि है तो इतना महंगी कि सामान्य मरीज खर्च वहन नहीं कर सकते। ऐसे में यहां की ई–ओपीडी से मरीजों को ज्यादा लाभ नहीं मिल पाता।

कोरोना के लिए नियमित सिस्टम की जरूरत: डॉ पीके गुप्ता जो कि सामाजिक सरोकार मंच के संयोजक भी हैं, का कहना है कि स्वाइन फ्लू की तरह कोरोना के लिए नियमित व्यवस्था की जरूरत है। यह भी कभी बढेगा तो कभी घटेगा। ऐसे में विशेष रूप से राजधानी के किसी एक अस्पताल को जहां पर नान कोविड का लोड कम है, उसे कोरोना या इंफेक्शियस डिजीज अस्पताल बना कर उसके लिए अलग से संसाधन हमेशा अलर्ट रखें।

एसजीपीजीआइ प्रवक्ता कुसुम ने बताया कि कोविड की वजह से हमने विभागों की बी साइड को ब्लॉक कर रखा है। बेड कम होने से मरीजों की भर्ती में दिक्कत है। यदि कोई अति गंभीर मरीज है तो उसे लेने का प्रयास किया जाता है।

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