अब कम समय में असर करेगी दवाएं, लखनऊ विश्वविद्यालय ने UK की यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर इजाद किया नया Formula
कई बार दवा के तुरंत असर न करने से मरीज की जान खतरे में पड़ जाती है। मगर अब ऐसा नहीं होगा। लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर और उनकी टीम ने एक ऐसा फार्मूला तैयार किया है जिससे दवाएं बहुत कम समय में घुलनशील हो जाएंगी।
लखनऊ [पुलक त्रिपाठी]। इमरजेंसी और ट्रॉमा के मामले में गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए समय बेहद मायने रखता है। कई बार दवा के तुरंत असर न करने से मरीज की जान खतरे में पड़ जाती है। मगर, अब ऐसा नहीं होगा। लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर और उनकी टीम ने एक ऐसा फार्मूला तैयार किया है, जिससे दवाएं बहुत कम समय में घुलनशील हो जाएंगी। विशेषज्ञों के अनुसार किसी मरीज के शरीर में दवा जितनी जल्दी घुलनशील होगी, असर भी उतनी ही जल्द करेगी। इससे मरीज को तत्काल राहत पहुंचाई जा सकेगी। आपातकाल में त्वरित चिकित्सा मुहैया कराने के लिए इस शोध को क्रांतिकारी माना जा रहा है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग की अध्यक्ष प्रो. पूनम टंडन के रिसर्च गु्रप, स्वीडन की लुलिया यूनिवर्सिटी आफ टेक्नोलाजी के डा. मनीष कुमार शिंपी और यूके की यूनिवर्सिटी आफ ब्रैडफोर्ड के प्रो. वेनु बंगला के संयुक्त शोध में यह सफलता मिली है। इसमें घुलनशीलता के लिए मुख्य दवा के साथ को-फार्मर मिलाया जाता है। इस कारण दवा का शरीर पर जल्द असर शुरू हो जाता है। खास बात यह है कि जिस दवा के रिस्पांस टाइम को कम करने के लिए को-फार्मर मिलाया जाएगा, उसके रीट्रायल की जरूरत नहीं पड़ेगी। कारण, इससे दवा की मेडिसिनल संरचना में कोई बदलाव नहीं होता।
पैरासिटामॉल समेत कई दवाओं पर शोध
शोध के दौरान कई दवाओं पर काम किया गया। इसमें दर्द निवारक और बुखार कम करने के लिए पैरासिटामॉल,मूत्र पथ के जीवाणु संक्रमण के उपचार में काम आने वाली नाइट्रोफुरंटिन, विटामिन बी-3, निकोटिनमईड व ब्लड में यूरिक एसिड का स्तर अत्यधिक बढऩे पर उसके इलाज में काम आने वाली फेबक्सोस्टेट आदि शामिल हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि इस फार्मूले को अन्य जीवन रक्षक दवाओं की घुलनशीलता बढ़ाने में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।
लविवि ने दिया बेस्ट रिसर्च पेपर अवार्ड
प्रो. पूनम टंडन के साथ इस रिसर्च में लखनऊ विश्वविद्यालय (लविवि) के भौतिक विज्ञान विभाग की शोध छात्राएं अनुभा श्रीवास्तव, कर्निका श्रीवास्तव, इरम खान, जया पांडेय, प्रीति प्रजापति, अनुराधा शुक्ला तथा प्रिया वर्मा भी शामिल रहीं। इस शोध को बेस्ट रिसर्च पेपर अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
लखनऊ विश्वविद्यालय की भौतिक विज्ञान की विभागाध्यक्ष प्रो पूनम टंडन ने बताया कि फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट्स में नॉन टॉक्सिक को-फॉर्मर मिलाने पर को-क्रिस्टल तैयार होता है। को- फार्मर का काम दवा की संरचना में परिवर्तन लाना है। पैरासिटामॉल में एमिनो एसिड को को-फार्मर के रूप में एड किया गया है। अच्छी बात यह है कि अधिक घुलनशीलता वाली इस दवा के लिए किसी मेडिसिनल ट्रायल की जरूरत नहीं है। इस संबंध में हमारे विदेशी सहयोगी संस्थान से विश्व की प्रतिष्ठित फार्मास्यूटिकल कंपनियां संपर्क में हैं। यह हमारी बहुत बड़ी उपलब्धि है।