अब चीन जैसे देशों के Bio-Terrorism को मुंहतोड़ जवाब देगा India, पुणे व लखनऊ की BSL-4 लैब बढ़ाएगी समारिक ताकत

विशेषज्ञों के अनुसार इस तरह की लैब की संख्या बढऩे से अज्ञात व जानलेवा बीमारियों का न सिर्फ त्वरित समाधान खोजने में सहूलियत होगी बल्कि सामरिक दृष्टि से भी ङ्क्षहदुस्तान की धाक साउथ-ईस्ट एशिया समेत दुनिया भर में बढ़ेगी।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Tue, 23 Feb 2021 03:35 PM (IST) Updated:Tue, 23 Feb 2021 03:35 PM (IST)
अब चीन जैसे देशों के Bio-Terrorism को मुंहतोड़ जवाब देगा India, पुणे व लखनऊ की BSL-4 लैब बढ़ाएगी समारिक ताकत
पुणे के बाद लखनऊ में देश की दूसरी बीएसएल-4 की स्थापना से बढ़ेगी सामरिक ताकत।

लखनऊ, [धर्मेन्द्र मिश्रा]। पुणे के बाद लखनऊ के किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी एंड इंफेक्शस डिजीज के लिए बायोसैफ्टी लेवल-4 (बीएसएल-4) की दूसरी लैब खुलने से देश अज्ञात वायरस-बैक्टीरिया व फंगस से फैलने वाली जानलेवा बीमारियों से डटकर मुकाबला कर सकेगा। साथ ही अब चीन जैसे दुश्मन देशों की ओर से फैलाए जाने वाले जैविक आतंकवाद(बायोटेररिज्म) को भी मुंहतोड़ जवाब देगा।

विशेषज्ञों के अनुसार इस तरह की लैब की संख्या बढऩे से अज्ञात व जानलेवा बीमारियों का न सिर्फ त्वरित समाधान खोजने में सहूलियत होगी, बल्कि सामरिक दृष्टि से भी ङ्क्षहदुस्तान की धाक साउथ-ईस्ट एशिया समेत दुनिया भर में बढ़ेगी। इससे अपना देश बायोसैफ्टी के मामले में अब अमेरिका, रूस, चीन व कनाडा जैसे देशों की श्रेणी में खड़ा हो जाएगा।

क्या है बीएसएल-4 लैब: यह रेयरेस्ट ऑफ द रेयर डिजीज के कारकों को खोजने व उसका समाधान ढूंढऩे के लिए होती है। यहां पर लाइलाज व जानलेवा पैथोजन रखे जाते हैं, जिनपर हमेशा शोध चलता रहता है। ये पैथोजन एक तरह से अज्ञात वायरस-बैक्टीरिया व फंगस ही होते हैं, जिसको लेकर की जाने वाली जरा सी लापरवाही सिर्फ लैब कर्मियों के लिए ही नहीं, बल्कि आसपास की आबादी समेत देश-दुनिया के लिए घातक हो सकती है। चीन के वुहान लैब से निकला तथाकथित कोरोना वायरस इसका एक उदाहरण है।

जैविक आतंकवाद से ऐसे होगी सुरक्षा: बीएसएल-4 लैब में रखे जाने वाले खतरनाक पैथोजन पर शोध करके जब कोई देश उसका समाधान खोज लेता है तो इसका मतलब हुआ कि उसने इससे खुद को बचाने का समाधान ढूंढ़ लिया। दूसरे देशों के लिए यह वायरस, बैक्टीरिया, फंगस अज्ञात व जानलेवा होते हैं। इसलिए इनका इस्तेमाल दुश्मन देश जैविक हथियारों के रूप में कर सकते हैं। ताकि जिस देश के खिलाफ यह हथियार इस्तेमाल किए जा रहे हैं न तो वह इसकी कोई काट निकाल सके और न ही दुनिया के कोई दूसरे देश उसका आसानी से समाधान खोज सकें। अब दो बीएसएल-4 लैब होने से ऐसे अज्ञात पैथोजन से अपनी सुरक्षा करने के साथ ही साथ दुश्मन देशों के जैविक हथियारों की काट भी खोजी जा सकेगी। ऐसे में देश सामरिक दृष्टि से भी मजबूत होगा।

जैविक हथियार हैं दुनिया के लिए बड़ा खतरा: विशेषज्ञों के अनुसार जैविक हथियार दुनिया के लिए बढ़ा खतरा हैं। इससे जैविक आतंकवाद को बढ़ावा मिल रहा है। सेना के एक कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी जैविक आतंकवाद के प्रति फौज को सतर्क कर चुके हैं। अमेरिका, रूस, कनाडा, चीन जैसे देशों में बड़ी बीएसएल-4 लैब हैं। रिसर्च एंड एनालिसिस विंग(रॉ) के एक पूर्व अधिकारी बताते हैं कि ज्यादातर समर्थ देशों ने गुप्त रूप से अपने लिए जैविक हथियार बना रखे हैं। हालांकि परमाणु हथियारों की तरह जैविक हथियारों के बनाने व उसके इस्तेमाल पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध भी लागू हैं। बावजूद दुश्मन देश चोरी-छिपे यह काम कर रहे हैं।

एसजीपीजीआइ के माइक्रोबायलोजी विभागाध्यक्ष डॉ. उज्ज्वला घोषाल ने बताया कि बीएसएल-4 लैब में रेयरेस्ट ऑफ द रेयर डिजीज फैलाने वाले कारकों की जांच की जाती है। जोकि अज्ञात व जानलेवा होते हैं। इसमें रखे जाने वाले खतरनाक पैथोजन पर हमेशा शोध चलता रहता है। कुछ देश उसका समाधान खोजने पर बाद में उसे दूसरे देशों के खिलाफ जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं। ऐसी स्थितियों का मुकाबला करने में अब और आसानी हो सकेगी।

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