अब मसालों की खेती से मालामाल होंगे यूपी के किसान, प्रदेश भर में कृषि विभाग चलाएगा जागरुकता अभियान

धान गेहूं और सब्जियों की पारंपरिक खेती से इतर मसाले की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा हो सकती है। इसके लिए कृषि विभाग ने कमर कस ली है। नवंबर से लखनऊ समेत सूबे के हर जिले में किसानों को मसालों की खेती से जोड़ा जाएगा।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 10:31 AM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 02:44 PM (IST)
अब मसालों की खेती से मालामाल होंगे यूपी के किसान, प्रदेश भर में कृषि विभाग चलाएगा जागरुकता अभियान
अगले महीने से लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में मसालों की खेती को लेकर चलेगा जागरूकता अभियान।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। धान, गेहूं और सब्जियों की पारंपरिक खेती से इतर मसाले की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा हो सकती है। इसके लिए कृषि विभाग ने कमर कस ली है। नवंबर से लखनऊ समेत सूबे के हर जिले में किसानों को मसालों की खेती से जोड़ा जाएगा। बख्शी का तालाब के चंद्र भानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के विशेषज्ञ डा.सत्येंद्र कुमार सिंह ने भी इसे फायदे का सौदा बताया है। उन्होंने बताया कि निरंतर किसान परंपरागत खेती करते आ रहे हैं, धान गेहूं उगाते- उगाते भूमि की उर्वरा शक्ति भी कम हो रही है, क्योंकि इन फसलों को उगाने के लिए अधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता होती है। मसाला वर्गीय फसलों के लिए अच्छी जीवाश्म वाली दोमट मिट्टी एवं बलुई दोमट मिट्टी जिसका पीएच मान 6.5 से 7.5 तक होता है, उपयुक्त रहती है। प्रमुख रूप से मसालों की खेती की हमारे उत्तर प्रदेश में अच्छी संभावनाएं हैं।धनिया, मेथी, कलौंजी, सौंफ एवं अजवाइन की खेती हमारे किसान भाई करके अधिक लाभ कमा सकते हैं। इनकी बुआई नवंबर के पहले सप्ताह तक पूरी हो जानी चाहिए।

अधिक उत्पादन वाली प्रजातियां: डा.सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि धनिया की पंत हरितमा, आजाद धनिया -एक, सुगुना। मेथी की अजमेर मेंथी- पांच,कस्तूरी मेथी, पूसा अर्ली बंचिंग। अजवाइन की सिलेक्शन-एक, सिलेक्शन-दो, गुजरात अजवाइन- एक, प्रजातियों की बुआई फादया देगी। कलौंजी की आजाद कलौंजी, पंत कृष्णा, एन‌एस -32 अच्छी किस्में हैं। यह कार्बनिक पदार्थ से युक्त बलुई दोमट मिट्टी मे अधिक उत्पादन देती हैं। प्रमुख रूप से उष्णकटिबंधीय जलवायु इनके लिए उपयुक्त होती है। प्रति हेक्टर धनिया 15 से 20 क्वींटल, सौंफ, 10 से 12 क्वींटल, मेथी 10 क्वींटल, कलौंजी तथा 10 से 12 क्वींटल की पैदावार होती है। इन फसलों में कीट एवं बीमारियों का प्रकोप जब समय से फसल की बुवाई की जाती है तो कम लगते हैं। कभी-कभी पत्तियों का रस चूसने वाले की तीन फसलों पर लग जाते हैं जिसमें माहू प्रमुख है। इसे प्रबंधित करने के लिए ब्यूबेरिया बैसियाना-तीन ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी कि दर से घोल बनाकर छिड़काव करने से इसका नियंत्रण हो जाता है। एसीफेट 75 प्रतिशत एसपी की एक ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। उप कृषि निदेशक डा.सीपी श्रीवास्तव ने बताया कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए मसाले की खेती के लिए जागरूकता अभियान नवंबर में पूरे प्रदेश में चलेगा।

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